ETV Bharat / state

मिसाल: 20 वर्षों से 'राम' का पालन-पोषण कर रहे 'अफजल'

author img

By

Published : Feb 25, 2021, 3:15 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 3:28 PM IST

Ramprasad Batham
रामप्रसाद बाथम

देश की राजनीति में हिंदू और मुस्लिम का अलग ही चेहरा है, लेकिन असलियत में यह चेहरा राजनीति से बहुत अलग है. देश में आज भी सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल जिंदा है. सिहोर जिले में एक मुस्लिम मोहल्ला पिछले 20 वर्षों से रामप्रसाद नाम के हिंदू व्यक्ति का पालन-पोषण कर रहा है.

सीहोर। नगर में कस्बे के क्षेत्रवासियों ने सामाजिक सौहार्द की मिसाल पेश की है. यहां पर बीते करीब 20 वर्षों से मुस्लिम परिवार एक हिंदू व्यक्ति के लिए मददगार बने हुए हैं. घर के सदस्य की तरह उसकी देखरेख करते हैं. खाने-पीने से लेकर कपडों तक का इंतजाम भी मुस्लिम लोग ही करते हैं. पिता की मृत्यु के बाद रामप्रसाद को उसके परिजनों के घर से निकाल दिया था. इसके बाद कस्बा क्षेत्र के कुछ मुस्लिम परिवार उसका सहारा बने.

रामप्रसाद बाथम
  • हर जरुरत का रखते है ध्यान

45 वर्षीय रामप्रसाद बाथम करीब 24 सालों ने अफजल पठान के मकान में रहते हैं. अफजल उनसे किसी प्रकार किराया नहीं लेते बल्कि उन्हें खाने से लेकर कपडों की सुविधा उपलब्ध कराते हैं. परिवार के सदस्य की तरह रामप्रसाद की हर जरुरतों का ध्यान रखते हैं.

  • भाईयों ने निकाला, मुस्लिम परिवारों ने पाला

रामप्रसाद के पिता सीहोर नजूल शाखा में पदस्थ थे. भोपाली फाटक पर परिवार के साथ रहते थे. उनके तीन भाई और पांच बहनें हैं. करीब 24 साल पहले पिता की मृत्यु के बाद उनके भाईयों ने उसे घर से निकाल दिया. पिता के रिटायरमेंट का पैसा, मां को मिलने वाली पेंशन और पुस्तैनी मकान उनके भाईयों ने हडप लिया. इसके बाद कस्बे में अफजल पठान और कुछ मुस्लिम परिवारों ने उनका सहयोग किया. कई सालों से वह पठान के घर में रहते हैं. जिसका वह किराया नहीं लेते. मोहल्ले के लोग रामप्रसाद को सुबह-शाम खाना देते हैं और हर छोटी-बडी जरुरतों का ध्यान रखते हैं.

साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना चेहल्लुम, देशभर से मन्नत मांगने आ रहे लोग

  • घर के सदस्य की तरह हैं राम

स्थानीय लोग कहते हैं कि रामप्रसाद उनके परिवार के सदस्य की तरह है. परिवार वाले जब बाहर जाते हैं तो घर की जिम्मेदारी उसे सौंप देते हैं. मजहब प्यार और दूसरों को मदद करना सिखाता है. रामप्रसाद को मोहल्ले वालों ने जगह भी दे रखी है.

  • रामप्रसाद ने नाम बदलकर रखा इकबाल

45 वर्षीय रामप्रसाद बाथम ने अपना नाम इकबाल रख लिया है, वह किसी भी धर्म को नहीं मानते, लेकिन उनकी आखिरी ख्वाहिश है कि उन्हें मुस्लिम रिति-रिवाज के मुताबिक क्रबस्तान में दफन किया जाए. इसके लिए उन्होंने कलेक्टर, एसपी और तहसील में भी आवेदन दे रखा है. वह कहते हैं कि परिवार वालों ने कभी साथ नहीं दिया, लेकिन बैगानों ने अपना समझा और हर मदद की. बिना किसी दबाव के उन्होंने यह निर्णय लिया है.

Last Updated :Feb 25, 2021, 3:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.