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गेहूं कृय केंद्रों पर छाया सन्नाटाः इस बार देरी से शुरू हुई खरीदारी, कीमत भी कम

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Published : Apr 7, 2022, 9:11 PM IST

सागर में गेहूं खरीद समय पर स्टार्ट नहीं होने पर किसान खासा नाराज हैं. इस बार किसानों ने खरीदी केंद्र पर न जाकर बाजार में अपना गेहूं बेचना शुरू कर दिया है. वहीं किसानों को एमएसपी भी कोई खास नहीं मिल रहा है.

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गेहूं

सागर। आज से प्रदेश के 37 जिलों में रबी फसल का उपार्जन शुरू हो गया है. सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना और सरसों की खरीदी के लिए खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. फसल खरीदी के पहले दिन खरीदी केंद्रों पर सन्नाटा देखने को मिला. इसकी जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि पिछली सालों की अपेक्षा सरकार ने इस साल देरी से खरीदी शुरू की है. ऐसे में जरूरतमंद किसान अपनी फसल बाजार में बेच चुका है, इसलिए खरीदी केंद्रों पर भीड़ नहीं है. वहीं कई किसानों का कहना है कि किसानों की पंजीयन व्यवस्था में किए बदलाव की जानकारी न होने के कारण कई किसानों का पंजीयन नहीं हो सका है और जिसका पंजीयन हो गया है, तो स्लॉट बुकिंग नहीं हुई. इसलिए भी किसान परेशान हैं. अभी तक अपनी फसल बेचने के लिए नहीं पहुंचे हैं. (wheat purchasing center sagar)

गेहूं कृय केंद्रों पर छाया सन्नाटा

जिले में क्या है व्यवस्थाः रबी उपार्जन का कार्य 194 खरीदी केंद्रों पर शुरू हो गया है, जिसमें से 58 स्व सहायता समूह की महिलाएं उपार्जन का कार्य अपने-अपने केंद्रों में करेंगी. जिला प्रशासन ने सभी खरीदी केंद्रों पर आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. सभी केंद्रों पर प्रमुख रूप से पेयजल एवं धूप से बचने के लिए छांव की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. (wheat purchasing system sagar)

पहले दिन खरीदी केंद्रों पर कम पहुंचे किसानः रबी फसल खरीदी केंद्रों पर पहले दिन उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं रही. जिले के परसोरिया खरीदी केंद्र पर सुबह से दोपहर के दो बजे तक सिर्फ 8 किसानों ने अपना गेहूं बेंचा. खरीदी केंद्र पथ मौजूद स्टॉफ किसानों का इंतजार करते नजर आए. ऐसे ही हाल परसोरिया के दूसरे खरीदी केंद्र पर देखने को मिले. ज्यादातर किसान बिना फसल के खरीदी केंद्र पहुंचे और खरीदी की व्यवस्था में हुए बदलाव की जानकारी लेते नजर आए. (wheat msp 2022 sagar)

देरी से शुरू हुई खरीदीः खरीदी केंद्र पर पहुंचे किसान नीरज जैन ने बताया कि खरीदी केंद्र पर कम फसल आने की बड़ी वजह देरी से खरीदी शुरू होना है. पहले 25 मार्च को खरीदी शुरू होती थी. इस बार दस दिन बाद खरीदी शुरू हुई है. जिन किसानों की फसल कट गई थी. उन्होंने बाजार में बेंच दी. कटी फसल किसान खेत खलिहान में रखकर सरकार की समर्थन मूल्य की खरीदी का इंतजार नहीं कर सकता था. वहीं समिति प्रबंधक विनय उपाध्याय का कहना है कि नवरात्रि का त्योहार और पहला दिन होने के कारण कम किसान आए हैं. समिति से जुड़े किसान तो खरीदी केंद्र पर ही फसल बेचेंगे. (government on wheat purchasing in mp)

समर्थन मूल्य में कम बढ़ोतरी भी बड़ी वजहः दूसरी तरफ सरकार द्वारा जो गेहूं का दाम तय किया गया है. वह पिछली साल की अपेक्षा मामूली बढ़ोतरी की गई है. पिछले साल गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपए था, जो महज 40 रुपए बढ़कर 2015 रुपए किया गया है. पिछले साल गेहूं पर 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस भी था. इस साल बोनस भी नहीं दिया जा रहा है. बाजार में फसल के हिसाब से अच्छे दाम मिल रहे हैं. यही कारण है किसानों ने फसल को बाजार में बेचना बेहतर समझा है.

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पंजीयन व्यवस्था में स्लॉट बुकिंग की नहीं जानकारीः पहले फसल बेचने के लिए किसान द्वारा पंजीयन कराने पर फसल बेचने के लिए एसएमएस द्वारा सूचना दी जाती थी. इस बार किसानों को खुद स्लॉट बुक करने की व्यवस्था रखी गई है. ज्यादातर किसानों को पंजीयन के बाद स्लॉट बुकिंग की जानकारी नहीं है. समिति प्रबंधक विनय उपाध्याय ने बताया कि स्लॉट बुकिंग की जानकारी का अभाव किसानों में है. कई किसान अभी भी पुरानी व्यवस्था मानकर चल रहे हैं. प्रचार-प्रसार किया गया है. किसानों को स्लॉट बुकिंग के बारे में बताया जा रहा है.

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