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Harsiddhi Mata Mandir: यहां 3 रूपों में दर्शन देती हैं मां हरसिद्धि, बुंदेलखंड का प्रसिद्ध तीर्थ रानगिर बना धार्मिक पर्यटन का केंद्र

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Published : Mar 22, 2023, 4:20 PM IST

चैत्र नवरात्रि लगते ही माता मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. नवरात्रि में 9 देवियों की पूजा की जाती है ऐसे में देवी शक्तीपीठों में श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है. एमपी के सागर में स्थित मां हरसिद्धि माता के मंदिर में भक्तों का जन सैलाब पहुंच रहा है. इस आर्टिकल में जानेंगे मां हरसिद्धि माता के मंदिर का इतिहास, महत्व और भी बहुत कुछ.

sagar harsiddhi mata mandir
हरसिद्धि माता

सागर। वैसे तो बुंदेलखंड में मां जगतजननी के कई प्रसिद्ध मंदिर है लेकिन जिले के रहली विकासखंड के रानगिर में स्थित मां हरसिद्धि का प्राचीन मंदिर लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर रानगिर में देहार नदी के किनारे पर पहाड़ पर स्थित मां हरसिद्धि के मंदिर चैत्र नवरात्रि में लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. कभी दुर्गम क्षेत्र में स्थित यह मंदिर अब लोगों के लिए काफी सुगम होता जा रहा है. मंदिर के इतिहास और वैभव को लेकर कई तरह की किवदंतिया भी प्रचलित है.

sagar harsiddhi mata mandir
हरसिद्धि माता

सुगम हो रहा रास्ता: पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के विधानसभा क्षेत्र में स्थित मंदिर तक श्रद्धालुओं की पहुंच सुगम करने के लिए मंदिर को प्रमुख मार्गों से जोड़ा जा रहा है. खासकर सागर संभागीय मुख्यालय से मंदिर की दूरी कम करने के लिए केबल ब्रिज की भी बनाया जा रहा है. रानगिर मंदिर को धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने से भक्तजनों को मां हरसिद्धि के आसानी से दर्शन होंगे, तो बुंदेलखंड इलाके का पर्यटन और भी प्रसिद्ध होगा और लोगों को रोजगार मिलेगा.

sagar harsiddhi mata mandir
हरसिद्धि माता मंदिर

कहां स्थित है रानगिर में हरसिद्धि माता का मंदिर: सागर जिले के रहली विकासखंड के रानगिर में मां हरसिद्धि माता का मंदिर स्थित है. हरसिद्धि माता के दरबार जाने के लिए सागर रहली मार्ग पर 5 मील से रानगिर जा सकते हैं. वहीं नेशनल हाईवे 44 से भी माता के दरबार पहुंच सकते हैं. मंदिर के निर्माण को लेकर कोई प्रमाणित दस्तावेज मौजूद नहीं है लेकिन लोगों का कहना है कि इसी इलाके में महाराजा छत्रसाल और धामोनी की मुगल फौज के बीच में मुकाबला हुआ था और राजा छत्रसाल विजयी हुए थे. फिर उन्होंने यहां पर मां हरसिद्धि के मंदिर का निर्माण करवाया था. पहले मंदिर पहुंचना काफी कठिन था, क्योंकि यह जंगली इलाके में हैं और इसका रास्ता काफी दुर्गम था.

रानगिर की कहानी: वैसे तो रानगिर स्थित मां हरसिद्धि के मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतिया हैं, जो अलग-अलग तरीके से प्रचलित हैं. हरसिद्धि माता मंदिर के बारे में कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति के अपमान से दुखी सती ने योग बल से शरीर त्याग दिया था. इस बात से क्रोधित भगवान शंकर ने सती के शव को लेकर विकराल तांडव किया था. भगवान शिव के कोप से संसार में हाहाकार मच गया. भगवान विष्णु ने सती के शव को अपने चक्र से अंगों में बांटा और यह अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्ति पीठ स्थापित हैं. कहा जाता है कि सती माता की रान यानि जांघ यहीं गिरी थी इसीलिए ये इलाका रानगिर कहलाया.

एक दिन में तीन रूप बदलती हैं हरसिद्धि माता: रानगिर स्थित मंदिर में विराजी हरसिद्धि मां के बारे में कहा जाता है कि वह एक दिन में 3 रूपों में दर्शन देती हैं. प्रातः काल मां बालिका के रूप में होती हैं और दोपहर में मां प्रौढ़ रूप धारण कर लेती हैं और संध्या आरती के समय में वृद्धा स्वरूप में नजर आती हैं.

sagar harsiddhi mata mandir
हरसिद्धि माता

धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयास: यह मंदिर रहली विधानसभा क्षेत्र में आता है. रहली के विधायक मौजूदा पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव हैं. पीडब्ल्यूडी विभाग की जिम्मेदारी संभालने के बाद गोपाल भार्गव ने चारों तरफ से रानगिर मंदिर पहुंचने के लिए सड़कों की योजना बनाई है. इस मंदिर को एक रोड के जरिए कई शहरों से जोड़ा जा रहा है. सागर-दमोह-जबलपुर मार्ग पर पड़ने वाले चनौआ गांव से सागर रहली मार्ग पर रानगिर तिराहा और रानगिर तिराहे से रानगिर मंदिर और सीधे नेशनल हाईवे 44 से जोड़ा जा रहा है. इसके अलावा संभागीय मुख्यालय सागर से दूरी कम करने के लिए रानगिर में बूढ़ी रानगिर से बरोदा को केबल ब्रिज बनाकर जोड़ा जा रहा है. जिससे सागर से रानगिर मंदिर की दूरी कम हो जाएगी. दरअसल यह इलाका मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लोगों की आस्था का केंद्र है और एक धार्मिक पर्यटन सैंडल के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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