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Nauradehi Wildlife Sanctuary: एमपी का सबसे बड़ा Tiger रिजर्व बनेगा नौरादेही अभ्यारण्य, जानें क्या है सबसे बड़ी चुनौती

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Published : Aug 4, 2023, 8:11 AM IST

Updated : Aug 4, 2023, 10:51 AM IST

नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की मंजूरी मिल चुकी है जिसे एमपी का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा. विभाग कई तैयारियों में जुटा है लेकिन कई समस्याएं हैं जो विभाग के सामने चुनौती बन कर खड़ी है.

biggest tiger reserve of MP
नौरादेही अभ्यारण्य

नौरादेही अभ्यारण्य

सागर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व के रूप में आकार लेने जा रहे नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की मंजूरी एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) ने करीब 1 महीने पहले दे दी है. मध्यप्रदेश का वन विभाग नौरादेही को टाइगर रिजर्व में तब्दील करने की तैयारियों में जुटा हुआ है. विशाल क्षेत्रफल में बने मध्य प्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही अभ्यारण्य और मध्य प्रदेश के सबसे छोटे वीरांगना रानी दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है. मौजूदा स्थिति में देखें तो नौरादेही अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 1197 वर्ग किमी है. अभयारण्य के अंदर बसे राजस्व ग्रामों का विस्थापन सबसे बड़ी समस्या है, जो अभी तक अधूरा है. नौरादेही अभ्यारण में बड़े पैमाने पर स्टाफ की कमी है. इसके अलावा घास के मैदानों का प्रबंधन भी बेहतर तरीके से जरूरी है. क्योंकि सरकार भविष्य में नौरादेही में टाइगर के साथ चीता बसाने के लिए तैयारी कर रही है.

नौरादेही अभ्यारण्य के गांवों का विस्थापन अधूरा: केन बेतवा लिंक योजना की मंजूरी के साथ तय हो गया था कि पन्ना टाइगर रिजर्व का विस्थापन नौरादेही अभयारण्य में किया जाएगा और यह ध्यान रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने तैयारियां भी शुरू कर दी थी. मध्य प्रदेश सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती नौरादेही अभयारण्य में बसे राजस्व ग्रामों को अभयारण्य की सीमा से बाहर करना था. पिछले दो-तीन साल से विस्थापन की कार्यवाही लगातार चल रही है लेकिन अभी करीब 65 से 70 गांव ऐसे हैं, जिनका विस्थापन शुरू नहीं हो पाया है.

नौरादेही अभ्यारण्य के भीतर बसे छोटे गांव तो विस्थापन के लिए तैयार हो गए लेकिन कई ऐसे बड़े गांव हैं, जो अभी तक विस्थापन के लिए तैयार नहीं हैं. वन विभाग और राजस्व विभाग इनके लिए लगातार समझाइश दे रहा है, लेकिन अभी तक ये लोग विस्थापन के लिए तैयार नहीं है सरकार द्वारा विस्थापन के लिए बेहतर पैकेज भी दिया जा रहा है और दूसरी जगह जमीन भी दी जा रही है लेकिन जो लोग पीढ़ियों से यहां बसे हुए हैं, वह अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि राजस्व और वन विभाग को भरोसा है कि लोग धीरे-धीरे विस्थापन के लिए तैयार हो जाएंगे.

नौरादेही अभयारण्य में घास के मैदानों का बेहतर प्रबंधन जरूरी: नौरादेही अभ्यारण्य के विशाल क्षेत्रफल के करीब दो तिहाई हिस्से में घास के मैदान हैं, जो टाइगर रिजर्व के लिए काफी महत्वपूर्ण है. घास के मैदान टाइगर रिजर्व के लिए इसलिए जरूरी होते हैं क्योंकि टाइगर मैदान में स्वच्छंद रूप से विचरण करते हैं और घास के मैदान होने के कारण शाकाहारी जानवर काफी संख्या में आकर्षित होते हैं, तो टाइगर के लिए भोजन की समस्या नहीं होती है. पिछले कई सालों में नौरादेही अभ्यारण्य में घास के मैदानों के बेहतर प्रबंधन के प्रयास चल रहे हैं. इस मामले में नौरादेही अभ्यारण्य में प्रबंधन को काफी सफलता भी मिली है. टाइगर रिजर्व की स्थापना के लिए घास के मैदान का प्रबंधन बहुत जरूरी है.

टाइगर रिजर्व के लिहाज से स्टाफ की कमी: फिलहाल नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में जो वन कर्मियों की संख्या है वह टाइगर रिजर्व के लिहाज से काफी कम है. वनकर्मियों से लेकर एसडीओ स्तर तक के अधिकारियों की संख्या में कमी देखने में आई है. एक- एक अधिकारी के ऊपर दोहेरे प्रभार हैं ऐसी स्थिति में प्रबंधन में काफी दिक्कत आती है. टाइगर रिजर्व बनने के पहले नौरादेही अभयारण्य में स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था करना काफी जरूरी होगा. क्योंकि इतने विशाल अभयारण्य का प्रबंधन और बाघों की सुरक्षा में कोई जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता है.

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क्या कहते हैं जानकार: वन और वन्य जीवो के संरक्षण के लिए कार्यरत प्रयत्न संस्था के संयोजक वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि नौरादेही अभयारण्य जो दुर्गावती टाइगर रिजर्व के रूप में प्रस्तावित है. निश्चित तौर पर एक अच्छी खबर है कि यह जल्दी ही अस्तित्व में आ जाएगा, लेकिन वहां पर समस्याएं भी बहुत हैं. वहां बड़े पैमाने पर गांवों और ग्रामीणों का विस्थापन लंबित है. सरकार वहां भविष्य में टाइगर के साथ चीतों को स्थापित करने की सोच रही है. ऐसी स्थिति में विस्थापन बहुत जरूरी है. वन विभाग को चाहिए कि ग्रामीणों से समन्वय स्थापित कर विस्थापन में तेजी लाए, ताकि वहां पर बाघों की संख्या बढ़ सके.

शाकाहारी जीवो के लिहाज से नौरादेही में बड़े पैमाने पर घास के मैदान हैं और उनका प्रबंधन भी अच्छे से किया गया है, जहां टाइगर स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकें और उन्हें एक अच्छा माहौल बनाया जा सके. वहां पर बड़े पैमाने पर स्टाफ की कमी है, इस कमी को टाइगर रिजर्व बनने के पहले दूर किया जाना जरूरी है. पर्यटन विभाग को चाहिए कि वह इस इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम करें क्योंकि यह भविष्य में बहुत बड़ा टाइगर रिजर्व बनेगा.

क्या कहता है अभ्यारण्य प्रबंधन का: नौरादेही अभयारण्य के डीएफओ डॉ ए ए अंसारी कहते हैं कि नौरादेही अभ्यारण्य की अभी तक जो कार्यवाही होना थी, जो वीरांगना रानी दुर्गावती अभयारण्य और नौरादेही अभयारण्य को मिलाकर बनाया जाना है। प्रस्ताव शासन को भेज दिया था और संभवतः एनटीसीए ने निर्णय ले लिया है। टाइगर रिजर्व बनाने की तमाम कार्यवाही प्रचलन में है.

Last Updated :Aug 4, 2023, 10:51 AM IST
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