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MP Seat Scan Sirmour: यहां 10 सालों से रीवा रियासत के राजकुमार का राज, कहीं कांग्रेस और बसपा भेद न दे सिरमौर का किला

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Published : Jul 8, 2023, 6:14 AM IST

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर पहले जहां कांग्रेस का दबदबा होता था, वहां अब बीजेपी का राज है. पिछले 10 सालों से रीवा रियासत के राजा यहां से विधायक हैं. इस बार के चुनाव में कहीं कांग्रेस और बसपा छीन न ले बीजेपी के राजा की कुर्सी, पढ़िए समीकरण...

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रीवा। वर्ष 2023 चुनावी साल है, मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव काफी नजदीक है. प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें है. ऐसे में 'ETV BHARAT' आपको प्रदेश की एक एक सीट के बारे में बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे है, विंध्य के रीवा जिले में स्थित सिरमौर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट में पीछले 10 सालों से भाजपा का कब्जा है. रीवा राजघराने के राजकुमार दिव्यराज सिंह पिछले दो बार से क्षेत्र के विधायक हैं. देखा जाए तो रीवा जिले की 8 विधानसभा सीट में विधायक दिव्यराज सिंह ही सबसे कम उम्र के चुने गए विधायक हैं, जिन्हे युवा विधायक के रूप में भी जाना जाता है.

जानिए सिरमौर विधानसभा सीट का समीकरण: आज हम आपको बताने जा रहे हैं, रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट की क्या खासियत है. इस क्षेत्र में पिछले कितने सालों से किस पार्टी का कब्जा है. सिरमौर विधानसभा सीट से 2018 के चुनाव में चुने गए वर्तमान विधायक ने क्षेत्र की जनता के हित में क्या-क्या कार्य कराए है. क्या क्षेत्रीय विधायक के द्वारा कराए गए कार्यों से सिरमौर की जनता संतुष्ट है. या फिर नेता द्वारा किए गए वादे कागजों तक सीमित रह गए.

तराई अंचल के नाम से जाना जाता है यह क्षेत्र: समूचा सिरमौर विधानसभा क्षेत्र वैसे तो धार्मिक और पार्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. यहां पर भगवान भोलेनाथ के तीन प्राचीन मंदिरों के अलावा एक और तराई क्षेत्र वासियों के कुल देवी माता शीतला का मंदिर है. इन चारों मंदिर के कई रोचक किस्से भी हैं. हर एक मंदिर अपनी-अलग अलग कहानियां बयां करती है. इसके अलावा यहां पर देश का 24वां सबसे ऊंचा क्योटी और प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा चचाई जलप्रपात है. क्योटी जलप्रपात से लगा एक 1500 ईसवी पुराना किला है. जिसे देखने अक्सर यहां पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन 20 से 25 वर्ष पहले की अगर बात की जाए तो यहां समूचे तराई अंचल में कुख्यात डाकु ददुआ, महेश और फौजी का खौफ फैला हुआ था.

जनता ने इस बार बनाया विकास को अपना मुद्दा: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. जिसके लिए नेता भी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. वहीं अब जनता भी अपनी समस्याओं पर नेताओं से चर्चा करेंगे. विधानसभा चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने इस बार विकास को अपना मुद्दा बनाया है. यहां की जानता अब बदलाव की स्थिति में है क्योंकि क्षेत्र में ज्यादातर विकास कार्य अधर पर लटके हुए है.

MP Seat Scan Sirmour
सिरमौर सी ट का रिपोर्ट कार्ड

2008 में कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी हारे थे चुनाव बसपा को मिली थी जीत: दरअसल वर्ष 2003 में जिले की मनगवां विधानसभा सीट में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता सफेद शेर कहे जाने वाले पंडित श्रीनिवास तिवारी 2008 के चुनाव में सिरमौर सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुनावी मैदान में उतरे. मगर यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा और बीएसपी कैंडिडेट राजकुमार उर्मालिया इस विधानसभा सीट से जीत हासिल कर विधायक चुने गए.

2013 में श्रीनिवास तिवारी के नाती विवेक तिवारी बबला हारे चुनाव: वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने श्रीनिवास तिवारी के नाती विवेक तिवारी बबला को चुनावी मैदान में उतारा. मगर भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर युवा प्रत्याशी उतारकर जीत हासिल की. रीवा राजघराने के युवराज दिव्यराज सिंह पहली बार बीजेपी के टिकट से सिरमौर के विधायक चुने गए.

साल 2018 का विधानसभा चुनाव: वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में एक और जहां काग्रेस के टिकट से पूर्व प्रत्याशी विवेक तिवारी की पत्नि अरुणा तिवारी को चुनावी मैदान पर उतारा गया तो भाजपा ने दोबार दिव्यराज सिंह को चुनावी रण में खड़ा कर दिया. जिसके बाद शंखनाद हुआ और दिव्यराज सिंह चुनाव जीतकर दोबारा विधायक की कुर्सी पर विराजमान हो गए.

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साल 2018 का रिजल्ट

10 वर्षों में खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए विधायक: बताया जा रहा है कि पिछले 10 वर्षों में बीजेपी के विधायक दिव्यराज सिंह का कार्यकाल मिला जुला रहा. उन्होंने कुछ खास उपलब्धि तो हासिल नहीं की मगर स्थानीय लोगों के निजी कामों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. मगर जातिगत समीकरण के चलते इस बार सिरमौर विधानसभा की जनता का रुख ठीक नहीं लग रहा है. वह इसलिए क्योंकि सिरमौर विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है.

आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है क्षेत्र की जनता: बताया गया की सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं. जहां लोगों को चलने के लिए सड़क तक नसीब नहीं हुई. वहीं बिजली, पानी लोगों की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित दिखाई देते हैं. कई लोगों ने तो यह तक कह दिया कि वह इस बार अपना विधायक चुनने के लिए वोट ही नहीं करेंगे.

सिरमौर विधानसभा में कुल वोटर: तराई अंचल कहे जाने वाले सिरमौर विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 5 लाख 39 हजार के आसपास है. जबकि वोटरों की बात की जाए तो यहां पर कुल 210359 है. जिसमे पुरुष वोटर की संख्या 112473 है. वहीं महिला वोटर की संख्या 97885 है. और अन्य वोटर की संख्या 1 है.

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सिरमौर सीट के मतदाता

सिरमौर सीट का जातीय समीकरण: सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में सामान्य 47 प्रतिशत, ब्राह्मण 36 प्रतिशत, ओबीसी 20 प्रतिशत, अजा 17 एवं अजजा 18 प्रतिशत. यह विधानसभा क्षेत्र भी ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है. इस विधानसभा में प्रत्याशी की जीत हार का फैसला यही वर्ग करता है.

रीवा रियासत के राजकुमार दिव्यराज सिंह हैं विधायक: रीवा रियासत के महाराजा पुष्पराज सिंह के बेटे दिव्यराज सिंह सिरमौर विधानसभा से भाजपा विधायक हैं. जिन्हें युवा विधायक भी कहा जाता है. वर्ष 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता ने उन्हें विधायक बनाया. इस क्षेत्र से कांग्रेस के राजमणि पटेल, बसपा के राजकुमार उर्मलिया और समाजवादी पार्टी के रामलखन शर्मा व बसपा के रामगरीब बनवासी कद्दावर नेता है. पूर्व में इन्हीं का यहां पर बोलबाला था. लेकिन प्रदेश भर में चल रही भाजपा की लहर ने इन नेताओं की नैया डुबो दी. जिसके बाद रियासत के युवराज दिव्यराज सिंह ने बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा और विधायक बने.

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जातीय समीकरण

1952 से 2018 तक यह रहे है विधायक: सिरमौर विधानसभा सीट से 1952 में नर्मदा प्रसाद सिंह केएमपीपी पार्टी से विधायक चुने गए. 1957 के चुनाव में चंपा देवी कांग्रेस से विधायक बनी. 1962 में जमुना प्रसाद प्रासोपा पार्टी से विधायक बने. 1967 में प्रसोपा के टिकट पर एक बार फिर जमुना प्रसाद ने चुनाव जीता और क्षेत्र के विधायक बन गए. 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता राजमणि पटेल सिरमौर से विधायक बने. 1977 में सीता प्रसाद ने इस सीट से जनता पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लडा और जीत हासिल की. 1980 में कांग्रेस के राजमणि पटेल ने एक बार फिर यहां की जानता का विश्वास जीता और विधायक बने. 1985 में तीसरी बार कांग्रेस के राजमणि पटेल ने चुनाव लड़ा और विधायक बन गए.

चार बार विधायक रह चुके है कांग्रेस के राजमणि पटेल: 1990 में रामलखन शर्मा ने जनता दल की टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1993 में रामलखन शर्मा माकपा की टिकट लेकर चुनावी मैदान पर उतरे और दोबारा विधायक बन गए. 1998 में कांग्रेस के राजमणि पटेल ने फिर जीत हासिल की और सिरमौर विधानसभा से वह चौथी बार विधायक चुने गए. 2003 में रामलखन शर्मा ने माकपा की टिकट से चुनाव लड़ा और तीसरी बार क्षेत्र के विधायक बने. 2008 के चुनाव में बसपा उम्मीदवार राजकुमार उर्मलिया ने जीत हासिल की. इसके बाद से कांग्रेस का अस्तित्व यहां से गर्त में जाता गया. भाजपा की आंधी ने कांग्रेस के गढ़ को तबाह कर दिया और वर्ष 2013 के सिरमौर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना खाता खोल लिया और युवा प्रत्याशी दिव्यराज सिंह यहां विधायक चुने गए.

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सिरमौर की खासियत

क्षेत्र में मिनी बाणसागर की योजना अधर पर लटकी: अब 2023 में एक बार फिर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सिरमौर क्षेत्र की जनता बदलाव की ओर है. बताया जा रहा है की यहां की जनता अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. क्षेत्र की कई सड़कें अब भी चलने के लायक नहीं है. यहां की सबसे बड़ी सौगात मिनी बाणसागर बांध थी जो पिछले 10 वर्षों से अधर पर है. तीन नेशनल हाइवे वो भी सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई. इसके अलावा क्षेत्र में कुछ ऐसी सड़कें है. जो आजादी के बाद से अब तक नहीं बनी. इसके अलावा पीने का पानी भी लगभग 40 प्रतिशत लोगों को ही नसीब हुआ है. पॉवर हाउस बनने के बाद भी क्षेत्र में बिजली की समस्या बनी हुई है. मात्र 18 से 20 घंटे ही लोगों को बिजली मिलती है. इसके अलावा वर्तमान विधायक पर पक्षपात के भी आरोप है.

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दिव्यराज सिंह बीजेपी विधायक

यहां पढ़ें कुछ और सीट स्कैन...

2023 के दावेदार: 2023 के अगामी विधानसभा चुनाव में भजापा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखी जा सकती है. वो भी तब जब कांग्रेस की ओर से राजमणि पटेल को चुनावी मैदान पर उतारा जाए. इस क्षेत्र में चार बार कांग्रेस से विधायक रहे राजमणि पटेल वर्तमान में राज्यसभा सांसद है. लोग इन्हें काफी पसंद भी करते हैं. इसके अलावा कयास लगाए जा रहे हैं की राजमणि पटेल के पुत्र रमेश पटेल को भी कांग्रेस से टिकट दी जा सकती है. वहीं हाल ही में बसपा का दामन थामने वाले रिटायर्ड डीएसपी बीडी पांडे को भी हाथी में बैठाकर बसपा चुनावी मैदान पर उतार सकती है. क्योंकि क्षेत्र की जनता के बीच वह भी काफी लोकप्रिय हैं. क्षेत्र में बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के बीच ही चुनावी घमासान देखने को मिलेगा.

क्षेत्र में नही हुए कोई भी कार्य: ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष धनेंद्र तिवारी ने क्षेत्र के विकास को लेकर कई सारे प्रश्न चिन्ह लगाए है. उनका कहना है की क्षेत्र में वर्तमान विधायक के द्वारा अब तक कोई कार्य नहीं कराए गए. 2013 में मिनी बाणसागर का काम शुरू किया गया और 20 प्रतिशत काम करके उसे अधूरा छोड़ दिया गया. 3 वर्ष का टेंडर था 10 वर्ष बीत गए लेकिन इसका निर्माण नहीं हुआ. इसके बाद यह योजना अब भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुकी है. क्षेत्र की जनता आज भी प्यासी है. क्षेत्र में सड़कों के हालत बद से भी बद्तर है. बिजली की बात की जाए तो यहां पर मात्र 12 से 14 घंटे ही क्षेत्र के लोगों को बिजली मिल पाती है. नष्टिगवां कॉलेज खुला लेकिन वह भी यूपी बॉर्डर में खोल दिया गया. अतरैला में आईटीआई खुलना था, सरकारी जमीन आवंटित हुई पर कॉलेज नहीं खुला. किसानों की फसलें ओलावृष्टि से नष्ट हुई. किसी किसान को मुवाजा तक नहीं मिला. गांव में एक भी नया स्कूल नहीं खुला. 10 सालों में सिर्फ घोषणाएं हुई पर कार्य नही हुआ.

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क्या हैं मुद्दे

विधायक ने बोले विकास और गरीब का कल्याण मुद्दा: वहीं "ETV BHARAT" से बात करते हुए सिरमौर विधायक ने कहा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व में मध्यप्रदेश को विकसित राज्य में ले जाने का बहुत बड़ा काम हो रहा है. कांग्रेस के कार्यकाल में मध्यप्रदेश में गड्ढों वाली सड़क थी, यहां के लोग अंधेरे में और कच्चे घरों में रहते थे. अगर अब की बात की जाए तो रीवा के चारों ओर फोर लेन सड़कें हैं. 24 घंटे बिजली दी जा रही है. नहरों का जाल बिछाया गया है. सभी गरीबों को घर प्राप्त हो रहे है. यह सारे विकास के काम भारतीय जनता पार्टी ने किए है. विधायक ने कहा की इसी तरह से सिरमौर में भी दो कार्यकाल के दौरान हमने कॉलेज, आईटीआई, सिविल अस्पताल, नई नगर पंचायत डाभौरा बनाई है. इसके आलावा कई सारे कार्य किए है. जवा में एक सिविल अस्पताल बनाने की योजना बनाई गई है क्षेत्र में हुए कार्यों को लेकर जनता में काफी उत्साह है. 2023 के चुनावी मुद्दे को लेकर विधायक ने कहा की हमारा मुद्दा ही क्षेत्र का विकास और गरीबों का कल्याण है. लाड़ली बहना योजना में बहनों को सम्मन निधि मिली है, कृषि सम्मान भी हमारी सरकार ने दिया है. हम केवल वादे नहीं करते वादों का क्रियान्वयन कर के भी हमरी पार्टी दिखाती है.

रीवा। वर्ष 2023 चुनावी साल है, मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव काफी नजदीक है. प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें है. ऐसे में 'ETV BHARAT' आपको प्रदेश की एक एक सीट के बारे में बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे है, विंध्य के रीवा जिले में स्थित सिरमौर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट में पीछले 10 सालों से भाजपा का कब्जा है. रीवा राजघराने के राजकुमार दिव्यराज सिंह पिछले दो बार से क्षेत्र के विधायक हैं. देखा जाए तो रीवा जिले की 8 विधानसभा सीट में विधायक दिव्यराज सिंह ही सबसे कम उम्र के चुने गए विधायक हैं, जिन्हे युवा विधायक के रूप में भी जाना जाता है.

जानिए सिरमौर विधानसभा सीट का समीकरण: आज हम आपको बताने जा रहे हैं, रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट की क्या खासियत है. इस क्षेत्र में पिछले कितने सालों से किस पार्टी का कब्जा है. सिरमौर विधानसभा सीट से 2018 के चुनाव में चुने गए वर्तमान विधायक ने क्षेत्र की जनता के हित में क्या-क्या कार्य कराए है. क्या क्षेत्रीय विधायक के द्वारा कराए गए कार्यों से सिरमौर की जनता संतुष्ट है. या फिर नेता द्वारा किए गए वादे कागजों तक सीमित रह गए.

तराई अंचल के नाम से जाना जाता है यह क्षेत्र: समूचा सिरमौर विधानसभा क्षेत्र वैसे तो धार्मिक और पार्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. यहां पर भगवान भोलेनाथ के तीन प्राचीन मंदिरों के अलावा एक और तराई क्षेत्र वासियों के कुल देवी माता शीतला का मंदिर है. इन चारों मंदिर के कई रोचक किस्से भी हैं. हर एक मंदिर अपनी-अलग अलग कहानियां बयां करती है. इसके अलावा यहां पर देश का 24वां सबसे ऊंचा क्योटी और प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा चचाई जलप्रपात है. क्योटी जलप्रपात से लगा एक 1500 ईसवी पुराना किला है. जिसे देखने अक्सर यहां पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन 20 से 25 वर्ष पहले की अगर बात की जाए तो यहां समूचे तराई अंचल में कुख्यात डाकु ददुआ, महेश और फौजी का खौफ फैला हुआ था.

जनता ने इस बार बनाया विकास को अपना मुद्दा: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. जिसके लिए नेता भी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. वहीं अब जनता भी अपनी समस्याओं पर नेताओं से चर्चा करेंगे. विधानसभा चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने इस बार विकास को अपना मुद्दा बनाया है. यहां की जानता अब बदलाव की स्थिति में है क्योंकि क्षेत्र में ज्यादातर विकास कार्य अधर पर लटके हुए है.

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सिरमौर सी ट का रिपोर्ट कार्ड

2008 में कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी हारे थे चुनाव बसपा को मिली थी जीत: दरअसल वर्ष 2003 में जिले की मनगवां विधानसभा सीट में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता सफेद शेर कहे जाने वाले पंडित श्रीनिवास तिवारी 2008 के चुनाव में सिरमौर सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुनावी मैदान में उतरे. मगर यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा और बीएसपी कैंडिडेट राजकुमार उर्मालिया इस विधानसभा सीट से जीत हासिल कर विधायक चुने गए.

2013 में श्रीनिवास तिवारी के नाती विवेक तिवारी बबला हारे चुनाव: वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने श्रीनिवास तिवारी के नाती विवेक तिवारी बबला को चुनावी मैदान में उतारा. मगर भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर युवा प्रत्याशी उतारकर जीत हासिल की. रीवा राजघराने के युवराज दिव्यराज सिंह पहली बार बीजेपी के टिकट से सिरमौर के विधायक चुने गए.

साल 2018 का विधानसभा चुनाव: वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में एक और जहां काग्रेस के टिकट से पूर्व प्रत्याशी विवेक तिवारी की पत्नि अरुणा तिवारी को चुनावी मैदान पर उतारा गया तो भाजपा ने दोबार दिव्यराज सिंह को चुनावी रण में खड़ा कर दिया. जिसके बाद शंखनाद हुआ और दिव्यराज सिंह चुनाव जीतकर दोबारा विधायक की कुर्सी पर विराजमान हो गए.

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साल 2018 का रिजल्ट

10 वर्षों में खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए विधायक: बताया जा रहा है कि पिछले 10 वर्षों में बीजेपी के विधायक दिव्यराज सिंह का कार्यकाल मिला जुला रहा. उन्होंने कुछ खास उपलब्धि तो हासिल नहीं की मगर स्थानीय लोगों के निजी कामों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. मगर जातिगत समीकरण के चलते इस बार सिरमौर विधानसभा की जनता का रुख ठीक नहीं लग रहा है. वह इसलिए क्योंकि सिरमौर विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है.

आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है क्षेत्र की जनता: बताया गया की सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं. जहां लोगों को चलने के लिए सड़क तक नसीब नहीं हुई. वहीं बिजली, पानी लोगों की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित दिखाई देते हैं. कई लोगों ने तो यह तक कह दिया कि वह इस बार अपना विधायक चुनने के लिए वोट ही नहीं करेंगे.

सिरमौर विधानसभा में कुल वोटर: तराई अंचल कहे जाने वाले सिरमौर विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 5 लाख 39 हजार के आसपास है. जबकि वोटरों की बात की जाए तो यहां पर कुल 210359 है. जिसमे पुरुष वोटर की संख्या 112473 है. वहीं महिला वोटर की संख्या 97885 है. और अन्य वोटर की संख्या 1 है.

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सिरमौर सीट के मतदाता

सिरमौर सीट का जातीय समीकरण: सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में सामान्य 47 प्रतिशत, ब्राह्मण 36 प्रतिशत, ओबीसी 20 प्रतिशत, अजा 17 एवं अजजा 18 प्रतिशत. यह विधानसभा क्षेत्र भी ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है. इस विधानसभा में प्रत्याशी की जीत हार का फैसला यही वर्ग करता है.

रीवा रियासत के राजकुमार दिव्यराज सिंह हैं विधायक: रीवा रियासत के महाराजा पुष्पराज सिंह के बेटे दिव्यराज सिंह सिरमौर विधानसभा से भाजपा विधायक हैं. जिन्हें युवा विधायक भी कहा जाता है. वर्ष 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता ने उन्हें विधायक बनाया. इस क्षेत्र से कांग्रेस के राजमणि पटेल, बसपा के राजकुमार उर्मलिया और समाजवादी पार्टी के रामलखन शर्मा व बसपा के रामगरीब बनवासी कद्दावर नेता है. पूर्व में इन्हीं का यहां पर बोलबाला था. लेकिन प्रदेश भर में चल रही भाजपा की लहर ने इन नेताओं की नैया डुबो दी. जिसके बाद रियासत के युवराज दिव्यराज सिंह ने बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा और विधायक बने.

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जातीय समीकरण

1952 से 2018 तक यह रहे है विधायक: सिरमौर विधानसभा सीट से 1952 में नर्मदा प्रसाद सिंह केएमपीपी पार्टी से विधायक चुने गए. 1957 के चुनाव में चंपा देवी कांग्रेस से विधायक बनी. 1962 में जमुना प्रसाद प्रासोपा पार्टी से विधायक बने. 1967 में प्रसोपा के टिकट पर एक बार फिर जमुना प्रसाद ने चुनाव जीता और क्षेत्र के विधायक बन गए. 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता राजमणि पटेल सिरमौर से विधायक बने. 1977 में सीता प्रसाद ने इस सीट से जनता पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लडा और जीत हासिल की. 1980 में कांग्रेस के राजमणि पटेल ने एक बार फिर यहां की जानता का विश्वास जीता और विधायक बने. 1985 में तीसरी बार कांग्रेस के राजमणि पटेल ने चुनाव लड़ा और विधायक बन गए.

चार बार विधायक रह चुके है कांग्रेस के राजमणि पटेल: 1990 में रामलखन शर्मा ने जनता दल की टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1993 में रामलखन शर्मा माकपा की टिकट लेकर चुनावी मैदान पर उतरे और दोबारा विधायक बन गए. 1998 में कांग्रेस के राजमणि पटेल ने फिर जीत हासिल की और सिरमौर विधानसभा से वह चौथी बार विधायक चुने गए. 2003 में रामलखन शर्मा ने माकपा की टिकट से चुनाव लड़ा और तीसरी बार क्षेत्र के विधायक बने. 2008 के चुनाव में बसपा उम्मीदवार राजकुमार उर्मलिया ने जीत हासिल की. इसके बाद से कांग्रेस का अस्तित्व यहां से गर्त में जाता गया. भाजपा की आंधी ने कांग्रेस के गढ़ को तबाह कर दिया और वर्ष 2013 के सिरमौर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना खाता खोल लिया और युवा प्रत्याशी दिव्यराज सिंह यहां विधायक चुने गए.

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सिरमौर की खासियत

क्षेत्र में मिनी बाणसागर की योजना अधर पर लटकी: अब 2023 में एक बार फिर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सिरमौर क्षेत्र की जनता बदलाव की ओर है. बताया जा रहा है की यहां की जनता अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. क्षेत्र की कई सड़कें अब भी चलने के लायक नहीं है. यहां की सबसे बड़ी सौगात मिनी बाणसागर बांध थी जो पिछले 10 वर्षों से अधर पर है. तीन नेशनल हाइवे वो भी सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई. इसके अलावा क्षेत्र में कुछ ऐसी सड़कें है. जो आजादी के बाद से अब तक नहीं बनी. इसके अलावा पीने का पानी भी लगभग 40 प्रतिशत लोगों को ही नसीब हुआ है. पॉवर हाउस बनने के बाद भी क्षेत्र में बिजली की समस्या बनी हुई है. मात्र 18 से 20 घंटे ही लोगों को बिजली मिलती है. इसके अलावा वर्तमान विधायक पर पक्षपात के भी आरोप है.

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दिव्यराज सिंह बीजेपी विधायक

यहां पढ़ें कुछ और सीट स्कैन...

2023 के दावेदार: 2023 के अगामी विधानसभा चुनाव में भजापा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखी जा सकती है. वो भी तब जब कांग्रेस की ओर से राजमणि पटेल को चुनावी मैदान पर उतारा जाए. इस क्षेत्र में चार बार कांग्रेस से विधायक रहे राजमणि पटेल वर्तमान में राज्यसभा सांसद है. लोग इन्हें काफी पसंद भी करते हैं. इसके अलावा कयास लगाए जा रहे हैं की राजमणि पटेल के पुत्र रमेश पटेल को भी कांग्रेस से टिकट दी जा सकती है. वहीं हाल ही में बसपा का दामन थामने वाले रिटायर्ड डीएसपी बीडी पांडे को भी हाथी में बैठाकर बसपा चुनावी मैदान पर उतार सकती है. क्योंकि क्षेत्र की जनता के बीच वह भी काफी लोकप्रिय हैं. क्षेत्र में बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के बीच ही चुनावी घमासान देखने को मिलेगा.

क्षेत्र में नही हुए कोई भी कार्य: ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष धनेंद्र तिवारी ने क्षेत्र के विकास को लेकर कई सारे प्रश्न चिन्ह लगाए है. उनका कहना है की क्षेत्र में वर्तमान विधायक के द्वारा अब तक कोई कार्य नहीं कराए गए. 2013 में मिनी बाणसागर का काम शुरू किया गया और 20 प्रतिशत काम करके उसे अधूरा छोड़ दिया गया. 3 वर्ष का टेंडर था 10 वर्ष बीत गए लेकिन इसका निर्माण नहीं हुआ. इसके बाद यह योजना अब भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुकी है. क्षेत्र की जनता आज भी प्यासी है. क्षेत्र में सड़कों के हालत बद से भी बद्तर है. बिजली की बात की जाए तो यहां पर मात्र 12 से 14 घंटे ही क्षेत्र के लोगों को बिजली मिल पाती है. नष्टिगवां कॉलेज खुला लेकिन वह भी यूपी बॉर्डर में खोल दिया गया. अतरैला में आईटीआई खुलना था, सरकारी जमीन आवंटित हुई पर कॉलेज नहीं खुला. किसानों की फसलें ओलावृष्टि से नष्ट हुई. किसी किसान को मुवाजा तक नहीं मिला. गांव में एक भी नया स्कूल नहीं खुला. 10 सालों में सिर्फ घोषणाएं हुई पर कार्य नही हुआ.

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क्या हैं मुद्दे

विधायक ने बोले विकास और गरीब का कल्याण मुद्दा: वहीं "ETV BHARAT" से बात करते हुए सिरमौर विधायक ने कहा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व में मध्यप्रदेश को विकसित राज्य में ले जाने का बहुत बड़ा काम हो रहा है. कांग्रेस के कार्यकाल में मध्यप्रदेश में गड्ढों वाली सड़क थी, यहां के लोग अंधेरे में और कच्चे घरों में रहते थे. अगर अब की बात की जाए तो रीवा के चारों ओर फोर लेन सड़कें हैं. 24 घंटे बिजली दी जा रही है. नहरों का जाल बिछाया गया है. सभी गरीबों को घर प्राप्त हो रहे है. यह सारे विकास के काम भारतीय जनता पार्टी ने किए है. विधायक ने कहा की इसी तरह से सिरमौर में भी दो कार्यकाल के दौरान हमने कॉलेज, आईटीआई, सिविल अस्पताल, नई नगर पंचायत डाभौरा बनाई है. इसके आलावा कई सारे कार्य किए है. जवा में एक सिविल अस्पताल बनाने की योजना बनाई गई है क्षेत्र में हुए कार्यों को लेकर जनता में काफी उत्साह है. 2023 के चुनावी मुद्दे को लेकर विधायक ने कहा की हमारा मुद्दा ही क्षेत्र का विकास और गरीबों का कल्याण है. लाड़ली बहना योजना में बहनों को सम्मन निधि मिली है, कृषि सम्मान भी हमारी सरकार ने दिया है. हम केवल वादे नहीं करते वादों का क्रियान्वयन कर के भी हमरी पार्टी दिखाती है.

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