सागर। रहस मेला में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कर्रापुर आश्रम के संत पंचमदास महाराज और नगर निगम सागर के अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार द्वारा राजा मर्दन सिंह जूदेव, संत शिरोमणी रविदास जी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया.रहस मेला समिति अध्यक्ष अभिषेक भार्गव द्वारा सभी संत जनो का शाल, श्रीफल से सम्मान किया गया. इस मौके पर अभिषेक भार्गव ने कहा कि अनुयायियों की मांग पर क्षेत्र में रविदास मंदिरों का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में मंत्री गोपाल भार्गव को उपस्थित होना था. लेकिन विधानसभा सत्र होने के कारण वे नहीं पहुंच सके. सागर नगर निगम अध्यक्ष वृन्दावन अहिरवार ने कहा कि रहली विधानसभा क्षेत्र बहुत विकसित है. यहां मंत्री गोपाल भार्गव ने 40 वर्षों की तपस्या की है. यह तपोभूमि है,यहां जाति वर्ग के भेद नही है, सभी को समान अधिकार है. मेला रहस बुंदेलखंड का प्रसिद्व मेला है और अभी तक ऐसा मेला कहीं नहीं देखा. जहां एक ही पंडाल के नीचे संतों को सम्मान मिल रहा है. वहीं सेवा रूप में हितग्राहियो को लाभों का वितरण भी किया जा रहा है.
मेले में हितग्राहियों को मिला लाभ : रहस मेले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, उद्यानिकी, स्वास्थ्य, महिला व बाल विकास, पशु चिकित्सा, आयुष ऊर्जा, वन, जनपद पंचायत रहली, शिक्षा, सामाजिक न्याय, कृषि उपज मंडी, कृषि, जल संसाधन, खाद्य व नागरिक आपूर्ति, परिवहन, उद्योग, राजस्व, श्रम, रोजगार कार्यालय आदि के अधिकारी मौजूद रहे. सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों ने दिव्यांग व्यक्तियों हेतु दिव्यांग प्रमाण पत्र व सामग्री वितरित की. रहस लोकोत्सव के पहले दिन 772 व्यक्तियों को लाभ मिला. जिन्हें विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ दिया गया. मेले में जिले के सभी विभागों ने अपने 70 स्टॉल लगाए. मेले के प्रथम दिन 788 व्यक्तिओं ने अपने आवेदन पत्र संबंधित विभाग के स्टॉल पर जमा किये और 772 हितग्राहियों को लाभ पहुंचाया गया. सामाजिक न्याय विभाग ने 13 दिव्यांगों को ट्राई साइकिल, 25 को कृत्रिम अंग, 6 श्रवण यंत्र वितरित किये. 167 दिव्यागों के प्रमाण पत्र और 91 आयुष्मान कार्ड बनाये गए.
रहस मेले की दो सौ साल पुराना इतिहास : रेहली विधानसभा के गढ़ाकोटा में महाराजा "मर्दन सिंह जू देव" के राज्याभिषेक की वर्षगांठ पर 18 वीं सदी में शुरू हुई. रहस मेले की परंपरा लगातार 218 वर्षो से जारी है. ऐतिहासिक रहस मेला पशु व्यवसाय के लिए सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी मशहूर है. रहस मेले में व्यापार व्यवसाय के साथ मनोरंजन के अलावा बुन्देली कला, संस्कृति और परंपरा की झलक भी देखने को मिलती है. हर साल बसंत पंचमी से औपचारिक रूप से प्रारम्भ होकर होली तक चलने वाले रहस मेले को बहुउपयोगी बनाने के लिए प्रशासन के द्वारा भी अनेक प्रकार के आयोजन किए जाते हैं. इसके अलावा शासन द्वारा चार दिवसीय राज्य स्तरीय आयोजन मेले में कराए जाते है. पूर्व में मेला मुख्य रूप से पशु विक्रय तक सीमित था, लेकिन स्थानीय विधायक कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव के प्रयासों से रहस मेला पिछले 20 सालों में जनोपयोगी और बहुआयामी बन गया है.
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रहस मेला 5 मार्च तक : रहस मेला 5 मार्च तक चलेगा, जिसमें विभिन्न कार्यक्रम होंगे. 3 मार्च को राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन का आयोजन और शाम को मुंबई की आर्केस्ट्रा एवं डांस ग्रुप के द्वारा फिल्मी एवं विदेशी डांसरों की प्रस्तुति होगी. साथ ही साथ लोक गायक जित्तू खरे द्वारा 101 लोक नर्तकियों द्वारा प्रसिद्ध बुंदेलखंडी नृत्य की प्रस्तुति होगी. 4 मार्च को आदिवासी गौरव सम्मेलन और शाम को इंडियन आइडल के कलाकारों के द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी. 5 मार्च को लाडली बहना योजना का शुभारंभ समारोह होगा. शाम को शानदार कव्वाली मुकाबले का आयोजन किया जाएगा.