ETV Bharat / state

Neemuch News: सरकारी स्कूलों के टीचर्स को मोटा वेतन, परीक्षा परिणाम प्राइवेट से बहुत पीछे

author img

By

Published : Jun 15, 2023, 1:12 PM IST

मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत खराब है. यहां मोटी सैलरी पर काम कर रहे शिक्षकों के काम के आकलन का कोई पैमाना नहीं है. इसी का नतीजा है कि सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों का रिजल्ट काफी आगे रहता है. यही हाल नीमच जिले में है. खास बात यह है कि निजी स्कूलों के शिक्षक सरकारी स्कूलों के शिक्षक से कई गुना कम वेतन पाते हैं लेकिन परिणाण कई गुना ज्यादा दे रहे हैं.

MP govt school teacher
सरकारी स्कूलों परीक्षा परिणाम प्राइवेट स्कूलों से बहुत पीछे

नीमच। सरकारी स्कूलों के शिक्षक सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. उन्हें समय-समय पर वेतन भत्ते बढ़े हुए चाहिए. इनका बच्चों की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं है. वहीं, अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक की तुलना में सरकारी स्कूलों के शिक्षक कई गुना सैलरी पाते हैं. इसके बाद भी अगर सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणामों की तुलना प्राइवेट स्कूलों से करें तो तस्वीर साफ हो जाती है.

निजी स्कूलों में सैलरी कम, रिजल्ट अच्छा : सरकारी स्कूलों में शिक्षक को 45 से 85 हजार रुपये वेतन हर माह मिलता है. वहीं प्राइवेट स्कूलों में शक्षकों को महज 4500 से 7500 रुपये मासिक मानदेय पर काम करना पड़ रहा है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा का सुधार करने के लिए सरकार ने सीएम राइज स्कूल खोले हैं. इन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी और पढ़ाने वाले शिक्षकों का चयन परीक्षा लेकर किया गया है. स्वाभाविक है कि पात्रता परीक्षा पद्धति से चयनित शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों उत्कृष्ट ही होंगे. ऐसे में उन विद्यालयों के अच्छे परिणाम आने को उपलब्धि बताया जाना हास्यास्पद है. दूसरी ओर, जिले के सरकारी हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी स्कूलों का रिजल्ट बीते वर्षों की तुलना में बेहद निराशाजनक रहा है.

प्रभारी प्राचार्यों का नहीं शिक्षकों पर कंट्रोल : कोरोना काल के पूर्व के वर्षों के रिजल्ट का आकलन करें तो प्रदेश में टॉप करने वाले बच्चों में 50 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों के हुआ करते थे, लेकिन वर्ष 2023 में 25 मई को घोषित किए गए परिणाम में सामने आया कि दसवीं की टॉप टेन सूची में शासकीय स्कूल के केवल एक विद्यार्थी को स्थान मिला, वह भी अंतिम पायदान पर. यही स्थिति कक्षा 12वीं की रही. आंकड़े बताते हैं कि जिले के अधिकांश स्कूल प्रभारियों के भरोसे हैं और उनका अधीनस्थ शिक्षकों पर कंट्रोल नहीं है. इस कारण स्कूलों में सिलेबस के अनुसार पाठ्यक्रम की ठीक से पढ़ाई नहीं हो पाती है.

ये खबरें भी पढ़ें...

प्रदेश में टॉपर एक भी नहीं : वर्ष 2018 में कक्षा 10 वीं का परिणाम 84.53 प्रतिशत रहा था और प्रदेश में नीमच टॉप रहा था. वहीं कक्षा 12 वीं का परिणाम 88.77 प्रतिशत रहा था. इसी तरह से वर्ष 2019 में कक्षा 10 वीं का परिणाम 80.35 प्रतिशत के साथ प्रदेश में द्वितीय एवं 12 वीं का परिणाम 85.22 प्रतिशत के साथ प्रदेश में प्रथम रहा था. 2020 में कक्षा 10 वीं का परिणाम 79.13 प्रतिशत एवं कक्षा 12 वीं का परिणाम 81.68 प्रतिशत रहा था. जबकि वर्ष 2023 में कक्षा 10 वीं का परिणाम 73.30 एवं कक्षा 12 वीं का परिणाम 73.11 रहा. आश्चर्यजनक है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी बोर्ड परीक्षा के परिणाम में सुधार का दावा कर रहे हैं, जबकि परीक्षा परिणाम के बेहतरी में निजी विद्यालयों का अधिक योगदान रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.