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Navratri 2023: आज से शारदीय नवरात्रि का आरंभ.. मिट्टी की मूर्तियों का बढ़ा चलन, लोगों की पहली पसंद मिट्टी से बनी माता की मूर्तियां

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 15, 2023, 7:12 AM IST

Updated : Oct 15, 2023, 8:58 AM IST

Shardiya Navratri 2023
शारदीय नवरात्रि 2023

Shardiya Navratri 2023: आज से शारदीय नवरात्रि 2023 की शुरुआत हो गई है, इस दौरान पूजा करने के लिए मिट्टी से बनी माता की मूर्तियां लोगों की पहली पसंद बन गई है. फिलहाल मूर्तियों को अंतिम रूप देने के लिए कलाकार जुटे हुए हैं.

लोगों की पहली पसंद मिट्टी से बनी माता की मूर्तियां

Shardiya Navratri 2023 Puja: मुरैना जिले में नवरात्रि महोत्सव को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं, जगह-जगह माता रानी के पंडाल भी सज चुके हैं. वहीं कोलकाता से आए विशेष कलाकार मिट्टी से बनाई गई माता रानी की मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक लोगों की पहली पसंद मिट्टी से बनी माता की मूर्ति है. कोलकाता के कलाकार मिट्टी, बांस, घास और कच्चे कलर का उपयोग कर माता रानी के नौ रूपों की प्रतिमा बना रहे हैं, जिससे विसर्जन के दौरान पानी में मिट्टी आराम से घुल जाए और कलर से पानी प्रदूषित न हो. 13 साल पहले पीओपी की मूर्तियों पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था, जिस पर बड़ोखर निवासी मूर्तिकार बासु राठौर ने 2013 में कोलकाता से मूर्तिकार बुलाकर मूर्ति बनवाना शुरू किया था.

ऐसे आया मिट्टी की मूर्ति बनाने का आइडिया: बड़ोखर निवासी मूर्तिकार बासू राठौर का कहना है कि "पहले साल केवल एक दर्जन से अधिक मूर्तियां बनाई थी, लेकिन धीरे-धीरे काम बढ़ता गया और इस साल करीब 150 से अधिक माता की मिट्टी की मूर्तियों को बनावाया गया है, जो मूर्तियां जिले सहित अन्य जिलों मे भी मूर्तियों को श्रद्धालु ले जा रहे हैं. मैं जब कलकत्ता घूमने के लिए गया था, तो वहां मिट्टी की मूर्तियां बनाते हुए कलाकारों को देखा तो मैंने सोचा क्यों ना मैं भी मिट्टी की मूर्तियां बनाऊं. उसके बाद मैंने 2012 मे कलकत्ता से कलाकार बुलाकर पहली बार मिट्टी की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था."

फिलहाल अब 10 साल से लगातार कलकत्ता से एक दर्जन मूर्तिकार मुरैना आते हैं और यहां मिट्टी की मूर्तियां बनाते हैं. जबसे प्रशासन ने POP की मूर्तियों पर रोक लगाई है, तब से श्रद्धालुओं मे मिट्टी की मूर्तियों के प्रति और भाव बड़ा हुआ है.

मिट्टी की मूर्तियों का बढ़ा चलन: एक मूर्तिकार ने बताया कि इस बार मिट्टी से माता रानी की मुर्ति 4 फीट से 12 फीट तक बनाई गई है, जिसमें शिव स्वरूप, काली माता का स्वरूप, जंगल स्वरूप और माता रानी के 9 रूप सहित अन्य स्वरूपों की मूर्ति बनाई हैं. ये मूर्तियां अम्बाह, पोरसा, सबलगढ़, श्योपुर, भिंड जिले के गोरमी और यूपी के आगरा एवं राजस्थान के धौलपुर तक मिट्टी से बनी मूर्तियों को श्रद्धालु ले जा गए हैं. वहीं मूर्ति खरीददारों का कहना है कि जबसे प्रशासन ने पीओपी की मूर्तियों पर रोक लगाई है, तब से मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्तियां खरीद रहे हैं.

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मिट्टी और पीओपी की मूर्ति में फर्क: POP की मूर्ति को जब नदी मे विसर्जन किया जाता है, उसके कई दिनों तक मूर्ति पानी में घुल नहीं पाती. POP मूर्ति पर पेंट कलर इस्तेमाल किए जाते हैं, जो पानी को प्रदूषित करते हैं. लेकिन मूर्ति की मूर्ति को जब नदी में विसर्जन किया जाता है तो थोड़ी ही देर मे मिट्टी पानी मे घुल जाती है और पानी में मिल जाती है. वहीं मिट्टी की मूर्ति में उपयोग किए गए कलर कच्चे होते है, जो की पानी को प्रदूषण नहीं करते.

Last Updated :Oct 15, 2023, 8:58 AM IST
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