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सिंचाई के लिए बांधों में पानी नहीं,किसानों की फसलें हो रही बर्बाद, नदियों की धारा पी रहे उद्योग

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Published : Sep 30, 2020, 7:32 PM IST

Updated : Sep 30, 2020, 8:06 PM IST

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मुरैना चंबल अंचल में पिछले साल की तुलना में इस बार कम बारिश हुई है, जिसके चलते किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. वहीं बांधों में भी पानी नहीं दिया है, जिससे किसान फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. जबकि ओद्योगिक क्षेत्रों में बराबर पानी की सप्लाई की जा रही है.

मुरैना। जिले में औसत से कम बारिश होने के कारण न केवल खरीफ की फसल बल्कि रवि की फसल भी प्रभावित हो रही है. जिले में तीन छोटे-छोटे बांध बने हैं, जो अंचल में नहरों के माध्यम से सिंचाई का काम करते हैं. लेकिन इस बार कम बारिश होने के चलते यह बांध अभी तक खाली है. इसलिए खरीफ सीजन की फसल सरसों के लिए नहरों में अभी तक पानी नहीं छोड़ा गया, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योगों को फायदा पहुंचाने के लिए अंचल की सांक नदी से लगातार पानी की सप्लाई की जा रही है.

उद्योगों को दिया जा रहा पानी

सांक नदी और आसन नदी पर कुल 4 बांध बने हुए हैं. जो पिलुआ बांध, कोतवाल बांध, पगारा बांध और आसन बैराज बांध हैं. अंचल के किसानों की कृषि भूमि डूब में आने के कारण यह विवादों में है. इसलिए उसे अभी तक भरना शुरू नहीं किया गया है. किसानों की मांग है कि जब तक उन्हें क्षतिपूर्ति की पूरी राशि नहीं मिल जाती. तब तक वह उनकी खेती को प्रभावित ना करें. इस सीजन अंचल में हुई बारिश के आंकड़ों पर अगर नजर डालें, तो जिले में गत वर्ष 800 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई थी.

पिछले साल की तुलना में बांधों में कम पानी

जबकि अंचल की औसत बारिश का आंकड़ा 700 मिलीमीटर है. इस साल पूरे सीजन में 1 जून से अभी तक महज 440 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो औसत बारिश से भी 260 मिली मीटर बारिश कम है.जबकि पिछले साल की तुलना में देखें तो 50 फ़ीसदी बारिश कम हुई है. वहीं पिलुआ बांध जो बारिश में भर जाया करता था, बल्कि बांध से और अधिक पानी बरसात में रिलीज कर उसका संतुलन बनाया जाता था. जो इस बार लगभग 90 फ़ीसदी तक पहुंच पाया है. इसी तरह कोतवाल बांध में भी 96 फ़ीसदी तक भरा हुआ है. पगारा बांध की बात करें तो 36 फ़ीसदी पानी इसके अंदर है. शेष खाली पड़ा हुआ है. इस लिहाज से अंचल के किसानों की और आम लोगों की जरूरतों को बमुश्किल पूरा किया जा सकेगा. बावजूद इसके सांक नदी से लगातार औद्योगिक क्षेत्रों को पानी दिया जा रहा है.

ओद्योगिक क्षेत्रों में दिया जा रहा पानी

किसानों का कहना है कि अगर इन औद्योगिक क्षेत्रों को पानी देने के बजाय नहर में पानी छोड़ दिया जाता, तो खरीफ की फसल बाजरा में भी पानी चला जाता, जो बारिश ना होने के कारण प्रभावित हुई है. किसानों की चिंता न करते हुए प्रशासन उद्योगों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं. सांक नदी के नूराबाद पुल पर लगाए गए विद्युत पंपों से औद्योगिक क्षेत्रों को सप्लाई की जाती है.यहां बामोर औद्योगिक क्षेत्र के जेके टायर इंडस्ट्रीज को पानी की सप्लाई की जाती है.

सप्लाई नियम से ज्यादा दिया जा रहा पानी

यह सप्लाई नियम के मुताबिक दिन में 8 बजे से शाम 5 बजे तक होनी चाहिए, जो 24 घंटे की जाती है. जिस पर प्रशासनिक अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है. दूसरा औद्योगिक क्षेत्र सीतापुर के लिए पानी की सप्लाई की जाती है और भिंड जिले के औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर के लिए भी नूराबाद और कोतवाल बांध से अलग-अलग वाटर सप्लाई सिस्टम लगा कर पानी की आपूर्ति की जा रही है.यहां औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की सप्लाई के लिए जितनी अनुमति ली है, उससे कहीं अधिक सप्लाई की जा रही है. जो उद्योगों को फायदा पहुंचाने के लिए सार्वजनिक जल का दोहन की श्रेणी में आता है.

पूरे मामले की होगी जांच: कलेक्टर

इस मामले में वहां के लोगों का कहना है कि यहां 24 घंटे पानी की आपूर्ति की जाती है. जबकि क्षेत्र में किसानों को कई बार मांग करने के बाद भी प्रशासन द्वारा पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही. वहीं बामोर औद्योगिक क्षेत्र स्थित फार्म हाउस के पंप ऑपरेटर जानकारी नहीं होने की बात कही. फिलहाल 24 घंटे यहां से पंप चलाया जाता है, जो 5 लाख लीटर की बनी पानी की टंकी को नियमित रूप से भरती है. वहीं कलेक्टर अनुराग वर्मा ने इस बारे में कहा कि औसत वर्षा तो हुई है लेकिन गत वर्षों से कम हुई है. कलेक्टर ने कहा औद्योगिक क्षेत्रों को पानी देने का बारे में वो जानकारी लेंगे, कि औद्योगिक क्षेत्रों में कितना पानी देने की अनुमति दी गई है, और कितना पानी वहां दिया जा रहा है.

Last Updated :Sep 30, 2020, 8:06 PM IST
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