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Cheetah Project : कूनो के बाद अब चीतों का नया आशियाना गांधी सागर अभ्यारण्य, देखें-व्यापक स्तर पर कैसे किए जा रहे इंतजाम

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 19, 2023, 8:35 AM IST

Cheetah Project
कूनो के बाद अब चीतों का नया आशियाना गांधी सागर अभ्यारण्य

पर्यावरण की दृष्टि से मध्यप्रदेश के मालवा में सबसे अनुकूल जगह होने के कारण अब यहां चीतों की बसाहट के लिए गांधीसागर अभ्यारण्य में एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. गांधी सागर के तराई इलाके में कूनो के बाद अब यहां चीतों की नई सेंचुरी बनने जा रही है. करीब 50 करोड़ रुपए की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के पहले फेस का काम लगभग पूरा हो गया है. अगले साल जनवरी में यहां 10 चीते लाए जाएंगे. Cheetah Project Gandhi Sagar Sanctuary

मंदसौर। भारत भूमि का गर्भ कहे जाने वाले मालवा इलाके में सबसे अनुकूल पर्यावरण होने के लिहाज से केंद्र सरकार ने मंदसौर जिला स्थित गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों का नया घर बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है. पहले चरण में वन विभाग ने गांधी सागर अभ्यारण्य के पश्चिमी क्षेत्र में 64 वर्ग किलोमीटर एरिया को चीता सेंचुरी बनाने का काम जोरों पर कर रहा है. वन विभाग का तकनीकी अमला मजबूत लोहे के पाइप गाड़कर 10 फीट ऊंची लोहे की जालियां कसकर बाड़े को घेरने का काम कर रहा है. यह वन क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से काफी अनुकूल माना जा रहा है. यहां चीतों के जीवन उपयोगी वातावरण और खाने की भरपूर व्यवस्था के अलावा अनुकूल तापमान होने से भविष्य में उनकी संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. Cheetah Project Gandhi Sagar Sanctuary

बाड़े की फेंसिंग का काम जारी : भारत सरकार की चीता स्टैंडिग कमेटी एनटीसीए के चेयरमैन राजेश गोपाल के साथ हाल ही में एक दल ने अभ्यारण्य क्षेत्र का दौरा किया है. इस अभ्यारण्य में समतल जमीन, खाने की उपलब्धता और सघन पेड़-पौधों के अलावा हिरण और चिंकारों की काफी संख्या मौजूद होने से चीतों को सुलभ जीवन मिलने की बात मानी जा रही है. पहले चरण में वन विभाग 17 करोड़ 70 लाख रुपए के बजट से बाड़े की फेंसिंग के अलावा चीतों की निगरानी के लिए जगह-जगह कैमरे और खाने के जीवों की सुलभता के साथ ही पानी की टंकियो की व्यवस्था कर रहा है. Cheetah Project Gandhi Sagar Sanctuary

नामीबिया से कूनो में आए थे चीते : बता दें कि पिछले साल अफ्रीका के नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क में पहले चरण में 8 और दूसरे चरण में12 चीते लाए गए थे. लेकिन उनमें से 9 की मौत होने के बाद विभागीय अमला इस बार उन पहलुओं को सबसे ज्यादा ध्यान में रख रहा है. हालांकि देश में चीतों की बसाहट के लिए कूनो, नौरादेही, गांधी सागर और राजस्थान के एक अभ्यारण्य का एनटीसीए ने चयन किया था. लेकिन कमेटी के लोग इन सभी में गांधी सागर की झील के किनारे इस अभ्यारण्य को सबसे अनुकूल मान रहे हैं.

हर 3 किमी पर सोलर सिस्टम : वन विभाग चीतों के बाड़े को घेरने के लिए करीब 30 किलोमीटर लंबी फेंसिंग का काम कर रहा है. इस फेसिंग के ऊपरी हिस्से पर सोलर सिस्टम से करंट सप्लाई वाली तार की एक जाली लगाई जाएगी. जिससे यदि चीते इस दीवार को फांदकर बाहर कूदना भी चाहें तो करंट के झटके के कारण वह उसे पार नहीं कर पाएंगे. विभाग हर 3 किलोमीटर पर इसके लिए एक सोलर सिस्टम का प्लांट भी स्थापित कर रहा है. दूसरे चरण में यहां चीतों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए एक अस्पताल का भी निर्माण होगा. वर्तमान में यहां 25 कर्मचारियों की एक टीम इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. Cheetah Project Gandhi Sagar Sanctuary

कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी : चीता प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद यहां 10 कर्मचारियों की और संख्या बढ़ाकर 35 की जाएगी. मंदसौर कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने बताया कि प्रोजेक्ट के प्राथमिक चरण का काम पूरी तरह कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि वन विभाग का अमला अभ्यारण्य क्षेत्र में बाकी का काम कर रहा है. वन विभाग के डीएफओ संजय राय खेरे ने बताया कि प्रोजेक्ट की शुरुआत में 17 करोड़ 70 लाख की लागत से चीतों के बाड़े को फेंसिंग से घेरने और उनके जीवन उपयोगी व्यवस्था करने की दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि नवंबर के दूसरे हफ्ते तक प्राथमिक और दूसरे चरण का काम पूरा होगा.

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जनवरी में आएंगे 10 नए चीते : प्रजोक्ट का पहला चरण पूरा होने पर केंद्र की कमेटी एक बार फिर अभ्यारण्य क्षेत्र का दौरा करेगी. दिसंबर का महीना अनुकूल होने की वजह से बाहरी चीते यहां उस समय लाये जाएंगे. इस मामले में केंद्र सरकार की चीता स्टैडिंग कमेटी के सदस्य इस बार चीतों की बसाहट और उनके रहने के स्थान और खाने-पीने की व्यवस्थाओं को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि अगले साल जनवरी में यहां 10 नए चीते लाए जाएंगे और इसके बाद दूसरे चरण में इनकी संख्या और भी बढ़ाई जाएगी. Cheetah Project Gandhi Sagar Sanctuary

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