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मंदसौर का महाघंटा: अफसर और इंजीनियर ने घुटने टेके, दूसरी पास नाहरू के आइडिया ने स्थापित किया 37 क्विंटल का घंटा

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Published : Mar 29, 2022, 9:33 AM IST

Updated : Mar 29, 2022, 2:11 PM IST

Mahaghanta of Mandsaur
मंदसौर का महाघंटा

मंदसौर में मंगलवार को भारत का सबसे बड़ा 37 क्विंटल घंटा अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में स्थापित हो गया है. इस महा घंटे की कीमत 36 लाख रुपये बतायी जा रही है.

मंदसौर। अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में अष्टधातु से बना 37 क्विंटल वजन का घंटा स्थापित कर दिया गया है. यह दुनिया का सबसे बड़ा और वजनी घंटा माना जा रहा है. इस महाघंटे को रविवार को स्थापित किया गया था. 36 लाख रुपए की लागत से बने इस घंटे को 10 कारीगरों की टीम ने तैयार किया है. गत माह जिले भर में इस घंटे को लेकर यात्रा निकाली गई थी, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए थे. (india largest bell in mandsaur)

मंदसौर का महाघंटा

सीएम शिवराज करेंगे उद्घाटनः मंदसौर के महा घंटे के बाहर की ओर भगवान पशुपतिनाथ की आकृतियां उकेरी गई हैं. प्रदेश की बात करें तो दतिया में रतनगढ़ माताजी मंदिर में 1635 Kg का घंटा स्थापित है. सहस्त्र शिवलिंग मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महा घंटे का भी उद्घाटन करेंगे. (cm shivraj inaugurate maha ghanta in mandsaur)

ऐसे आया महा घंटे का आइडियाः श्रीकृष्ण कामधेनु के अध्यक्ष दिनेश नागर ने बताया कि मैं मंदिर में दर्शन करने पहुंचा तो बाहर घंटी नजर नहीं आई. इस पर मुझे मंदिर में विश्व का बड़ा घंटा स्थापित करने का आइडिया आया. महा घंटे के लिए 2017 में अभियान चलाया. शुरुआत में 21 क्विंटल का घंटा स्थापित करने के लक्ष्य के साथ हमने अभियान की शुरुआत की. (idea of largest bell in mandsaur)

150 यात्राओं से एकत्रित किया तांबा-पीतलः संस्था के सदस्यों ने हर रविवार को जिलेभर में यात्रा निकालना शुरू किया. 150 से ज्यादा यात्राओं के माध्यम से मंदसौर शहर और ग्रामीण इलाकों से तांबा पीतल एकत्रित किया गया. भक्तों ने भी पुराने बर्तन महा घंटा निर्माण के लिए दान में दिए. इसके बाद गुजरात के अहमदाबाद की एक कंपनी को इसे बनाने का ठेका दिया. (price of world largest bell)

महाघंटा! 37 क्विंटल अष्टधातु से बना घंटा पशुपति नाथ मंदिर में लगा

दान में मिला 25 क्विंटल तांबा-पीतलः कंपनी ने घंटे को बनाने के लिए 10 लोगों की टीम तैयार की. टीम ने 6 महीने तक दिन-रात मेहनत कर इसे तैयार किया. घंटे को बनाने के बाद डेढ़ महीने तक इसे जमीन में दबाकर रखा गया, ताकि इसे प्राकृतिक ठंडक में ढाला जाए. करीब 36 लाख रुपए की कीमत से बने घंटे के लिए हमें 25 क्विंटल तांबा-पीतल दान में मिला था.

दूसरी पास इंजीनियर ने लगाया महाघंटा: महाघंटा लगाने के लिए जहां इंजीनियर और प्रशासन के अधिकारियों ने मना कर दिया था. वहीं शहर के दूसरी पास इंजीनियर नाहरू भाई ने न सिर्फ महाघंटे को बेहतर तरीके से स्थापित किया. बल्कि इसे अब भक्त बजा भी पाएंगे. कलेक्टर गौतम सिंह ने भी इस पर हैरानी जताई है कि उन्हें भी विश्वास नहीं था कि महाघंटे को इस तरह स्थापित किया जाएगा कि इसे श्रद्धालु बजा भी सकते हैं. इसके साथ ही मंदिर निर्माण में भी कई दिव्यांग कारीगरों ने अपनी सहभागिता निभाई है.

Last Updated :Mar 29, 2022, 2:11 PM IST
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