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बादलों की लुका-छिपी ने गर्मी से दिलाई राहत, किसानों को मानसून का इंतजार

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Published : Jun 13, 2019, 4:43 AM IST

Updated : Jun 13, 2019, 7:21 AM IST

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खरगोन जिले में बीते सप्ताह 47 से 48 डिग्री तापमान होने के बाद बीते दो दिनों से बादल गरज रहे हैं. जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली है. वहीं रतलाम जिले में हुई प्री-मानसून बारिश से लोगों को तेज गर्मी से राहत राहत मिली है. पिछले एक हफ्ते से 45 डिग्री तक की तपिश के बाद हुई बारिश से मौसम ठंडा हो गया है.

खरगोन। प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है. मानसून का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है. इस समय जिले का तापामान लगातार 46 से 47 डिग्री के बीच है. एक ओर जहां मानसून की देरी किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है और खरगोन जिले में मंगलवार को हुई बूंदाबांदी के बीच लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली है.

बादलों की लुका-छुपी से लोगों को गर्मी से मिली राहत

खरगोन जिले में बीते सप्ताह 47 से 48 डिग्री तापमान होने के बाद बीते दो दिनों से बादल गरज रहे हैं. जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली है. जून महीने का दूसरा सप्ताह शुरू हो गया लेकिन अब तक मानसून नहीं आया है. जिससे किसान चिंतित हैं और बारिश होने की उम्मीद लगाए बैठै है. किसान चंपालाल ने बताया कि उधारी में बीज लेकर बुवाई की गई है. अगर बारिश नहीं हुई तो बीज खराब हो जाएंगे.

वहीं रतलाम जिले में हुई प्री-मानसून बारिश से लोगों को तेज गर्मी से राहत राहत मिली है. पिछले एक हफ्ते से 45 डिग्री तक की तपिश के बाद हुई बारिश से मौसम ठंडा हो गया है. जिले में बुझवार को दिनभर उमस और तेज गर्मी के बाद शाम को तेज हवा के साथ 15 मिनट तक प्री मानसून की बारिश हुई. वहीं कृषि मंडी में फसल लेकर पहुंचे किसानों और व्यापारियों का अनाज भी गीला हो गया है.

Intro:एंकर मानसून की की देरी किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है बीते सप्ताह में 46 से 47 डिग्री तक तपने वाले निमाड़अंचल के खरगोन जिले में मंगलवार को हुई बूंदा बांदी के बीच बुधवार को पानी की कमी झेल रहे किसानों में बरसात की उम्मीद जगी है।
वही अधिकारियों ने भी किसानों को अपनी फसलों को बचाने की सलाह दी है।


Body:निमाड़ अंचल के खरगोन जिले जिले में बीते सप्ताह 47 से 48 डिग्री तापमान होने के बाद बीते दो दिनों से बादलों की आवाज जाही ने लोगों को गर्मी से राहत तो दी ह परंतु जल्द बारिश नहीं हुई तो किसानों को बड़ी समस्या सामना करना पड़ेगा । किसान चंपालाल में बताया कि मध्य प्रदेश सरकार में का जवाब नहीं दिया जिसके बाद हम उधारी में बीज लेकर आए हैं। अगर बारिश नहीं हुई तो महांगे बीज खराब हो जाएंगे और नए बीज लाने में और पैसे की व्यवस्था करना पड़ेगी।
बाइट-अभिषेक भावसार किसान
बाइट- चंपालाल किसान
पी2सी



Conclusion:
Last Updated :Jun 13, 2019, 7:21 AM IST
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