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बांस कारीगरों पर भी कोरोना की मार, ठप हुआ व्यापार, सब हो गए बेरोजगार !

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Published : Aug 6, 2020, 10:15 AM IST

Updated : Aug 6, 2020, 10:20 AM IST

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कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा रोज कमाकर परिवार का भरण पोषण करने वालों को ज्यादा प्रभावित किया है. लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लोग बाजारों में नहीं जा रहे हैं या फिर सामान खरीदने से बच रहे हैं. ऐसे में बांस से बने सामान बेचकर जीवन यापन करने वालों के सामने अर्थिक संकट आ गया है.

कटनी। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग ने सभी को एक-दूसरे से अलग कर दिया है. इस दौरान लोगों का काम धंधा ठप पड़ा है, लोग बेरोजगार हो गए हैं. हालत यह है कि रोज मेहनत कर घर परिवार का भरण पोषण करने वाले लोगों पर अब आर्थिक संकट गहराने लगा है. इन्हीं में एक है बांस से सामान बनाकर बेचने वाले. बांस से कई प्रकार के सामान बनाकर बाजार में बेच कर अपना घर चलाने वाले कारीगरों का हाल बेहाल है. अब उनके सामने दो जून की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं, ऐसे में अब वे सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.

बांस कारीगरों पर संकट

बांस कारीगरों पर कोरोना की मार

शहर के बाजारों में इन दिनों जगह-जगह बांस से बनने वाले सामान की भरमार लगी है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लोग बाजार नहीं पहुंच रहे. जिस वजह से इनकी बिक्री नहीं हो पा रही है. पहले लॉकडाउन में बांस की सामग्री बनाकर बेचने वाले बेरोजगार बैठे रहे और जब अनलॉक हुआ तो कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन संक्रमण की वजह लोग बाजार में ही नहीं पहुंच रहे हैं, ऐसे में उनके सामने अर्थिक संकट आ खड़ा हो गया है.

त्योहार में भी नहीं हुई बिक्री

बांस से सामान बनाने वाले बंशकार समाज के लोगों का कहना है कि पहले शादी विवाह में कोरोना वायरस संकट रहा, जिस वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा. वहीं त्योहारों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है, ना खरीदार बाजार पहुंच रहे हैं और ना ही उतना व्यापार हुआ.

लोगों ने बताया कि हर छठ में हर साल 20 से 30 हजार का होने वाला व्यापार इस बार कोरोना वायरस की भेट चढ़ गया. उनका कहना है कि हर साल अच्छी खासी इस सीजन में कमाई हो जाती थी. जिससे पूरा बंशकार समाज अपना और अपने परिवार का अच्छे तरीके से भरण-पोषण कर लेता था, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

कोरोना वायरस की वजह से घटा व्यापार

कारीगरों का कहना है कि एक ओर बांस के दाम आसमान पर हैं, तो दूसरी ओर वैश्विक महामारी के कारण खरीदी कम होने से उन्हें घाटे का सौदा करना पड़ रहा है. पिछले साल बांस से बने सामान 150 से 180 रुपए तक बेचते थे, लेकिन सबसे ज्यादा बिक्री के दिनों में यानी छठ में 110 से 130 रुपए में बेच रहे हैं फिर भी बिक्री नहीं हो रही है.

ऐसे में बांस के व्यापार करने वाले लोगों ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा है कि सरकार इस संकट के दौर में कुछ आर्थिक मदद करें, ताकि सही तरीके से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.

Last Updated :Aug 6, 2020, 10:20 AM IST
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