जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसला से जिला एवं सत्र न्यायालय इंदौर को झटका लगा है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस वीके शुक्ला की युगल पीठ ने आदेश दिया है कि राज सूचना आयोग के आदेश का परिपालन करते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय तीन हजार का हर्जाना अदा करे. इस आदेश के साथ युगल पीठ ने जिला एवं सत्र न्यायालय इंदौर के द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है.
जिला एवं सत्र न्यायालय इंदौर की तरफ से दायर याचिका में 'आवेदक द्वारा जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट और जमानती वारंट के संबंध में जानकारी मांगी थी. न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचित किया गया था, कि वह व्यक्तिगत प्रकरण के संबंध में जानकारी प्राप्त करें, या फिर सभी न्यायालय के संबंध में अलग-अलग आवेदन दें, जिसके खिलाफ प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष आवेदन पेश किया गया था. प्रथम अपील अधिकारी ने सात दिनों में जानकारी देने के निर्देश जारी किए थे.
निर्धारित समय पर जानकारी नहीं मिलने पर अन आवेदक ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील दायर की थी. जिस पर सूचना आयोग ने जिला एवं सत्र न्यायालय इंदौर को तीन हजार की राशि जुर्माने के तौर पर देने के निर्देश जारी किए थे. दायर याचिका में कहा गया था उनके खिलाफ जुर्माना लगाया गया है.
बता दें, न्यायालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि आरटीआई की धारा 19 (8) के तहत सूचना आयुक्त को हर्जाना निर्धारित लगाने का अधिकार है, और आरटीआई की धारा 20 के तहत जुर्माने का प्रावधान है. युगल पीठ ने जुर्माने और हर्जाने को अलग-अलग परिभाषा में लेते हुए याचिका को खारिज कर दिया.