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रेप जैसे मामलों की ऑनलाइन सुनवाई का विरोध, याचिका पर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

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Published : Mar 29, 2022, 2:09 PM IST

Online hearing of cases like rape objectional
रेप जैसे मामलों की ऑनलाइन सुनवाई का विरोध

बलात्कार, पास्को सहित अन्य मामले की सुनवाई के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्भया मामले में पारित आदेश का पालन नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका के मामले में युगलपीठ ने याचिकाकर्ता महिला अधिवक्ता को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. (Online hearing of cases like rape)

जबलपुर। बलात्कार, पास्को सहित अन्य मामले की सुनवाई के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्भया मामले में पारित आदेश का पालन नहीं किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय में ऐसे प्रकरणों की सुनवाई का प्रसारण यू-टयूब पर किया जाता है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पीके कौरव की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता महिला अधिवक्ता को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

पीड़ितों की पहचान उजागर होने पर आपत्ति : ग्वालियर की अधिवक्ता संगीता पचौरी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि निर्भया तथा अर्पणा भट्ट के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी किए हैं कि बलात्कार,पॉस्को, छेड़छाड़ सहित अन्य मामले में पीड़ितों का नाम व पहचान उजागर नहीं की जाए. ऐसा करना धारा 354 डी के तहत अपराध माना गया है. याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय में ऐसे प्रकरणों की सुनवाई का प्रसारण यू-टयूब पर किया जाता है. सुनवाई के दौरान जो टिप्पणी की जाती है, उसकी रिकॉर्डिग कर उसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया जाता है.

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ऑनलाइन सुनवाई के कारण पीड़िता की पहचान : याचिका में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन सुनवाई के कारण पीड़िता की पहचान सामने आ जाती है. याचिका में पीआर व आईसी सेल ग्वालियर हाई कोर्ट, प्रमुख सचिव गृह विभाग, डीजीपी तथा एसपी ग्वालियर को अनावेदक बनाया गया है. अधिवक्ता संगीता पचौरी ने बताया कि सोमवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उनके अधिवक्ता को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता महिला अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें. याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की गई है. (Online hearing of cases like rape)

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