ETV Bharat / state

'खूनी बैशाखी' किताब के साथ पहुंचे जलियांवाला बाग हत्याकांड के गवाह नानक सिंह के पोते नवदीप

author img

By

Published : Oct 23, 2019, 11:58 AM IST

Updated : Oct 23, 2019, 12:30 PM IST

जबलपुर पहुंचे नवदीप सिंह सूरी

जलियांवाला बाग हत्याकांड के गवाह रहे नानक सिंह की किताब 'खूनी बैशाखी' के साथ उनके पोते नवदीप सिंह जबलपुर पहुंचे. जहां उन्होंने

जबलपुर। जलियांवाला बाग हत्याकांड के गवाह नानक सिंह के पोते नवदीप सिंह सूरी जबलपुर पहुंचे. नवदीप अपने दादा द्वारा लिखी किताब 'खूनी बैशाखी' भी लाए थे. जिसमें जलियांवाला बाग हत्याकांड की पूरी घटना को लिखा गया है. ये किताब अंग्रेजों द्वारा बैन कर दी गई थी, साथ ही इसकी सारी प्रतियां जब्त कर ली गई थी. पुस्तक के जरिए नवदीप ने लोगों को बताया कि उनके दादा नानक ने क्या देखा था. वहीं इस घटना के 100 साल पूरे होने पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई.

'खूनी बैशाखी' किताब के साथ जबलपुर पहुंचे नवदीप


रॉलेट एक्ट के विरोध में हो रही सभा में जनरल डायर ने लगभग डेढ़ हजार भारतीयों पर गोली चलवाई थी. इस घटना को इतिहास जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जानता है. इस घटना में नानक सिंह भी मौजूद थे. जलियांवाला बाग में जब गोलियां चल रही थीं तो इत्तेफाक से नानक को गोली नहीं लगी. लेकिन वो बेहोश हो गए थे. उस समय नानक कि उम्र महज 22 साल थी.


नानक को जब होश आया, तो उन्होंने अपने चारों ओर लाशों के ढेर पाए. अंग्रेजों का कहना था कि लगभग 400 लोग मारे गए हैं. वहीं मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि मरने वालों की तादाद डेढ़ हजार से ज्यादा थी. नानक ये नहीं समझ पाए कि आखिर छोटे-छोटे बच्चों को क्यों मारा गया, उनका क्या कसूर था. वे सब तो बैसाखी देखने आए थे. इन सब में सबसे छोटा बच्चा मात्र 6 महीने का था.

'khooni vaisakhi' book
किताब 'खूनी वैशाखी'


नानक सिंह ने इस पूरी घटना को एक कविता के जरिए बयां किया हैं. जिसे एक पुस्तक 'खूनी बैशाखी' में प्रकाशित किया गया था. नानक सिंह की ये किताब गुरुमुखी में थी. किताब में उस मंजर के एक-एक क्षण को बयां किया गया है. अंग्रेजों ने इस किताब को बैन कर दिया था और इसकी सारी प्रतियां जब्त कर ली थी. लेकिन नवदीप सिंह ने भारत सरकार की विदेश सेवा में रहते हुए,सऊदी अरब में भारत के उच्चायुक्त पद इस पुस्तक को खोज निकाला और गुरुमुखी के साथ ही खुद अंग्रेजी में प्रकाशित करवाया.

इस मौके पर नवदीप ने लोगों से कहा कि हमें ये जानना चाहिए कि इतिहास क्या रहा है, बुजुर्गों पर क्या बीती है.

Intro:जलियांवाला बाग हत्याकांड के गवाह रहे नानक सिंह की खूनी क्रांति नाम की किताब के साथ जबलपुर पहुंचे उनके पोते नवदीप सिंह सूरी नवदीप का कहना कि हम अपना इतिहास भूल रहे हैं


Body:जबलपुर रौलट एक्ट के विरोध में हो रही एक सभा में जनरल डायर ने आज से 100 साल पहले लगभग डेढ़ हजार भारतीयों के ऊपर गोली चला कर उनकी हत्या कर दी थी इस घटना को इतिहास जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जानता है इस घटना के गवाह रहे नानक सिंह ने एक पुस्तक लिखी थी इस घटना के 100 साल पूरे होने पर जबलपुर में भी उन लोगों को श्रद्धांजलि दी गई और नानक सिंह के पोते नवदीप सिंह सूरी जबलपुर पहुंचे और पुस्तक के जरिए उन्होंने लोगों को बताया की उनके दादा नानक ने क्या देखा था

जलिया वाले बाग में जब गोलियां चल रही थी तो सरदार नानक सिंह वहीं मौजूद थे इत्तेफाक से उन्हें गोली नहीं लगी लेकिन वे बेहोश हो गए थे नानक सिंह उस समय मात्र 22 साल के थे जब नानक को होश आया तो उन्होंने अपने चारों तरफ लाशों के ढेर पाए अंग्रेजों का कहना था कि लगभग 400 लोग मारे गए वही मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि मरने वालों की तादाद डेढ़ हजार से ज्यादा थी नानक समझ नहीं पाए कि आखिर छोटे-छोटे बच्चों तक को क्यों मार दिया गया उनका क्या कसूर था वे बैसाखी देखने आए थे मरने वालों की लिस्ट में सबसे छोटा बच्चा मात्र 6 महीने का था जिसे गोली लगी थी नानक सिंह ने इस पूरी घटना को एक कविता के जरिए बयां किया और एक पुस्तक छापी जिसका नाम खूनी वैशाखी था नानक सिंह की यह किताब गुरुमुखी मे थी किताब में उस मंजर के एक-एक क्षण को बयां किया गया था जो नानक ने देखा था अंग्रेजों को जब इस किताब के बारे में जानकारी लगी तो उन्होंने इस किताब को बैन कर दिया और इसकी सारी प्रतियां जप्त कर ली

नानक सिंह के परिवार में 2 पीढ़ी तक इस बात की चर्चा होती थी कि नानक सिंह की एक किताब को अंग्रेजों ने जप्त कर लिया था और इस किताब में जलियांवाला बाग के हत्या कांड की बहुत बारीकी से व्याख्या की गई थी लेकिन यह किताब किसी के पास नहीं थी इसी परिवार में नानक सिंह के पोते नवदीप सिंह जो भारत सरकार की विदेश सेवा में रहते हुए सऊदी अरब में भारत के उच्चायुक्त रहे हैं नवदीप सिंह ने इस पुस्तक को खोज निकाला और खूनी वैशाखी नाम से गुरुमुखी की इस पुस्तक को गुरुमुखी के साथ ही अंग्रेजी में प्रकाशित करवाया इसके ट्रांसलेशन करने का काम भी नवदीप सिंह ने खुद किया

नवदीप सिंह ने कभी अंग्रेजों द्वारा बैन की गई इस पुस्तक को दोबारा लोगों को उपलब्ध करवाया है नवदीप का कहना है कि लोगों को यह जानना चाहिए क्यों उनका इतिहास क्या रहा है उनके बुजुर्गों पर क्या बीती है


Conclusion:बाइट नवदीप सिंह सूरी कवि नानक सिंह के पोते
Last Updated :Oct 23, 2019, 12:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.