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MP High Court छात्रवृत्ति फर्जीवाड़े के 15 करोड़ 10 साल में नहीं वसूल पाई सरकार, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

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Published : Feb 16, 2023, 7:49 PM IST

मध्यप्रदेश में 10 साल पहले हुए छात्रवृत्ति घोटाले की 15 करोड़ की राशि कॉलेजों से अब तक सरकार वसूल नहीं पाई है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में कॉलेज प्रबंधन से राशि वसूलने के लिए लगाई गई जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है और 2 सप्ताह में जवाब के साथ पेश होने का आदेश दिया है.

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छात्रवृत्ति फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

छात्रवृत्ति फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

जबलपुर। लगभग 10 साल पहले मध्यप्रदेश में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था. इसके तहत पैरामेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन ने फर्जी तरीके से छात्रों के एडमिशन किए थे. इसमें एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के छात्रों के एडमिशन हुए थे. क्योंकि सरकार की छात्रवृत्ति योजना के तहत आरक्षित वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है और पैरामेडिकल में छात्रवृत्ति का पैसा बहुत ज्यादा था. इसलिए कॉलेजों ने कई ऐसे छात्रों के एडमिशन कर दिए, जो दरअसल उनके कॉलेज में पढ़ते ही नहीं थे. कॉलेज में कोई छात्र नहीं आता था लेकिन सरकार से छात्रवृत्ति की राशि ले ली जाती थी.

नामचीन कॉलेज घेरे में : जब इस मामले का खुलासा हुआ तो जबलपुर के कई नामी-गिरामी कॉलेज इस फर्जीवाड़े में फंस गए. जबलपुर के बाहर भी मध्य प्रदेश के कई कॉलेजों में यह गोरखधंधा चल रहा था. इस मामले की जांच लोकायुक्त को सौंपी गई. लोकायुक्त ने तमाम दस्तावेजों के अध्ययन के बाद बताया कि छात्रवृत्ति के इस घोटाले में लगभग 15 करोड़ की राशि गलत तरीके से सरकारी खजाने से निकाली गई है. पैरा मेडिकल कॉलेजों में हुए इस छात्रवृत्ति घोटाले मे 2009 से 2014 तक फर्जीवाड़ा हुआ था. इसकी जांच भी 2014 में पूरी हो गई थी. 10 साल बीत जाने के बाद भी सरकार अब तक इन कॉलेजों से यह राशि वसूल नहीं पाई है.

हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब : पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में जबलपुर के लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने जनहित याचिका लगाई, जिसकी सुनवाई गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने की. इसमें राज्य सरकार से जवाब मांगा गया है कि आखिर अब तक शासन इन कॉलेजों से 15 करोड़ की राशि क्यों नहीं वसूल पाई है. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अंतिम बार मोहलत दी है. अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद तय की गई है.

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सरकार की मंशा पर सवाल : इस मामले में सरकार का रवैया लापरवाही भरा कहा जा सकता है. जब यह तय हो गया कि कॉलेज के प्रबंधन ने फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति की राशि निकाली है. कॉलेज की अनुमति के पहले ही राज्य सरकार कॉलेज की जमीन और इमारत की जानकारी लेती है, जो लोग कॉलेज चला रहे हैं. उनकी भी पूरी जानकारी सरकार के पास होती है. ऐसी स्थिति में आखिर पैसा क्यों नहीं वसूला गया. जबकि छोटे-छोटे मामलों में सरकारी कर्मचारी बड़ी तेजी दिखाते हैं.

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