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नर्मदा नदी के 300 मीटर दायरे में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट में सुनवाई, गाइडलाइन पेश करे सरकार

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 21, 2023, 2:33 PM IST

नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में हुए अवैध निर्माण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि नर्मदा नदी प्रदेश के जिन जिलों से निकलती है, उसके संबंध में जिला प्रशासन द्वारा शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लिए गाइडलाइन पेश की जाए. याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से रिपोर्ट पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया.

illegal construction radius of Narmada River
नर्मदा नदी के 300 मीटर दायरे में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट में सुनवाई

जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है. गौरतलब है कि दयोदय सेवा केंद्र द्वारा नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में अवैध रूप से निर्माण कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए नर्मदा मिशन की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. वहीं पूर्व मंत्री व भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे द्वारा डिण्डौरी में बिना अनुमति नर्मदा नदी के लगभग 50 मीटर के दायरे में बहुमंजिला मकान बनाये जाने को भी चुनौती दी गयी.

नगर निगम ने पेश की रिपोर्ट : इसके अलावा एक अवमानना याचिका सहित तीन अन्य संबंधित मामले को लेकर याचिकाएं दायर की गईं. मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि जबलपुर में साल 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीस सौ मीटर दायरे में तिलवाराघाट, ग्वारीघाट, जिलहेरीघाट, रमनगरा, गोपालपुर, दलपतपुर, भेड़ाघाट में कुल 75 अतिक्रमण पाये गये हैं. जिसमें से 41 निजी भूमि, 31 शासकीय भूमि तथा 3 आबादी भूमि में पाये गये हैं.

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अधिकतम जलभराव क्षेत्र से तीन सौ मीटर दूरी : याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि नदी के अधिकतम जलभराव क्षेत्र से तीन सौ मीटर दूरी निर्धारित है. सरकार की तरफ से टाउन एंड कंट्री के नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए कहा गया कि रिवर बेल्ट से तीन सौ मीटर निर्धारित है. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश जवाब की प्रति पक्षकारों को प्रदान करने के निर्देश जारी करते हुए उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश चंद्र तथा अधिवक्ता सौरभ कुमार तिवारी ने पैरवी की.

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