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MP Court News 18 साल पहले के बर्खास्तगी के आदेश निरस्त, व्यापमं में 2 साल की सजा, 2 को आजीवन कारावास

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Published : Jan 14, 2023, 9:46 PM IST

जबलपुर हाईकोर्ट की न्यायाधीश नंदिता दुबे ने याचिकाकर्ता के 18 साल पहले बर्खास्तगी के आदेश को निरस्त कर दिया. एक अन्य मामले में ग्वालियर की अदालत ने व्यापमं के आरोपी को दो साल की सजा सुनाई है. इसके अलावा अनूपपुर में विशेष न्यायालय ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. (MP High Court News)

MP Court News
हाईकोर्ट ने निरस्त किए 18 साल पहले के बर्खास्तगी के आदेश

जबलपुर। हाईकोर्ट ने 18 साल बाद बर्खास्ती के आदेश को निरस्त करने के आदेश जारी किये है. हाईकोर्ट की जस्टिस नंदिता दुबे ने पाया कि याचिकाकर्ता कठोर दंड का पात्र नहीं था. पिछले मुकदमे के आधार पर उसे गंभीर कदाचरण को दोषा बताते हुए कार्यवाही की गयी थी. (18 years ago dismissal order canceled)

20 साल पहले दर्ज हुआ था मारपीट का केसः याचिकाकर्ता पवन मिश्रा की तरफ दायर यााचिका में कहा गया था कि वह कटनी पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आरक्षक के पद पर पदस्थ था. उसके खिलाफ हरीश चंद्र रजक नामक व्यक्ति ने अप्रैल 2002 में मारपीट की शिकायत की थी. शिकायतकर्ता की एमएलसी रिपोर्ट में डॉक्टरों ने मामूली चोट बताई थी. इसके बाद शिकायत पर कार्यवाही करते हुए उसके खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ की गयी थी. विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर उसे पुलिस अधीक्षक ने नोटिस जारी किया था. (case of assault was registered 20 years ago)

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18 साल पहले कर दिया गया था बर्खास्तः काफी इंतजार के बाद भी उसके द्वारा जवाब नहीं दिया गया था. विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर उसे फरवरी 2003 में गंभीर कदाचरण का दोषी पाते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. जिसके खिलाफ उसने अपील तथा क्षमा अपील दायर की थी. उसे खारिज कर दिया गया था. इसके बाद उसने साल 2005 में उपरोक्त याचिका दायर की गयी थी. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता को जारी किये गये कारण बताओं नोटिस में सजा का उल्लेख नहीं किया गया है. इसके अलावा चार्जशीट में याचिकाकर्ता की 17 साल की नौकरी में 28 छोटी सजा तथा दो बड़ी सजा से दण्डित किये जाने का उल्लेख किया गया है. याचिककर्ता ने उसे रोककर उसे सिर्फ एक थप्पड़ मारा था. जांच में महिला के बयान को महत्व नहीं दिया गया. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त याचिका 18 साल से लंबित है. निलंबन अवधि का 50 प्रतिशत बैक-वेज याचिकाकर्ता को प्रदान किया जाये. (18 years ago dismissal order canceled)

व्यापमं फर्जीवाड़े में आरोपी को दो साल की सजाः एक अन्य खबर के अनुसार ग्वालियर की जिला एवं सत्र न्यायालय की सीबीआई कोर्ट ने व्यापमं फर्जीवाड़ा मामले में एक आरोपी मुल्लू सिंह तोमर को दो साल की सजा से दंडित किया है और उस पर दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. करीब सात साल पहले मुल्लू सिंह तोमर ने आरक्षक भर्ती परीक्षा में सॉल्वर की मदद ली थी. उसने अपनी जगह आरक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सॉल्वर को मोटी रकम देकर उसे अपनी जगह बैठाया था. इसके बाद वह खुद फिजिकल टेस्ट में शामिल होने के लिए पहुंच गया था. बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठे के निशान अलग मिलने पर उसे पर्यवेक्षक ने पकड़ लिया था. अभियोजन के मुताबिक आरक्षक भर्ती परीक्षा में अपनी जगह सॉल्वर को बैठाने के मामले में मुख्य आरोपी मुल्लू सिंह तोमर को दो साल की सजा से दंडित किया है. (2 years sentence in vyapam)

दो आरोपियों को आजीवन कारावासः अनूपपुर की विशेष न्यायालय (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) ने थाना भालूमाडा के अपराध की धारा 366, 342, 346, 506 पैरा-2 376(2)(एन), 376(डी)(ए) भादवि 5(जी), 5(एल), 6 पॉक्सो अधिनियम एवं 3(2)(5) एससी एसटी एक्ट के आरोपी 28 वर्षीय मो. सिब्बू उर्फ इसहज मंसूरी पुत्र इसराइल मंसूरी तथा 26 वर्षीय मो. सुहेल अंसारी उर्फ सम्मीन पुत्र मो. मुस्तकीम अंसारी दोनों निवासी ग्राम फुनगा खजूर चौक पर आरोप सिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास और कुल 16,000रु अर्थदण्ड की सजा सुनाई हैं. (life imprisonment for 2)

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