जबलपुर। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा प्रारंभिक परीक्षा 2019 एवं 2021 का दो भागों में 87 फीसदी एवं 13 फीसदी पर रिजल्ट जारी किया गया. परीक्षा परिणामों की संवैधानिकता को कटघरे में रखते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने मामले में सोमवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात राज्य सरकार व लोक सेवा आयोग (PSC) को एक सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए है. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को निर्धारित की है. (Jabalpur hc sought answers to state government and PSC)
दीपक कुमार और अनुपम पांडे ने दायर की है याचिकाः इस मामले में petition जबलपुर विजय नगर निवासी दीपक कुमार पटेल, बालाघाट निवासी सत्यम बिसेन व अनूपपुर निवासी अनुपम पांडे सहित एक अन्य की ओर से दायर की गई है. जिसमें आवेदकों की ओर से न्यायालय को बताया गया की समान्य प्रशासन विभाग ने 29 सितंबर 22 को एक परिपत्र जारी करके समस्त विभागों में 87 फीसदी पदों पर भर्ती करने के निर्देश दिए गए है. उक्त सर्कुलर 29 सितंबर 22 संविधान के अनुछेद 14 एवं 16 का उल्लंघन सहित राज्य सेवा भर्ती परीक्षा नियम 2015 तथा आरक्षण अधिनियम 1994 के नियम 4 के तथा हाईकोर्ट के आदेश 7 अप्रैल 22 के विपरीत है. अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष स्पष्ट रूप से बताया की सरकार ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना नही चाहती. इसलिए मध्य का रास्ता निकालकर 87 फीसदी एवं विवादित 13 फीसदी का असंवैधनिक खेल खेला जा रहा है. शासन के उक्त सर्कुलर के परिपालन में पीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा 2019 तथा 2021 का परिणाम दो भागों में जारी किया है. (Deepak Kumar anupam Pandey have filed petition)
राज्य सरकार व PSC को 20 तक देना है जवाबः 2019 के भाग-अ में कुल 8965 अभ्यर्थी चयनित किए गए है. जिसमें OBC को केवल 14 फीसदी आरक्षण का लाभ देकर सभी वर्गों में से 87 फीसदी अभ्यार्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चयनित किया गया है. भाग-ब में 13 फीसदी ओबीसी तथा 13 फीसदी अनारक्षित के कुल 4215 अभ्यर्थीयों को प्रावधिक रूप से चयनित किया गया है. अर्थात कुल 113 फीसदी पर अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु सिलेक्ट किया गया है. ठीक इसी प्रकार 2021 में भाग-अ में 6509 तथा भाग-ब में 4002 अभ्यर्थीयों को चयनित किया गया है. प्रावधिक भाग में आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस छात्रों को स्थान नहीं दिया गया है. उक्त चयन में आयोग ने कम्युनल आरक्षण लागू करके Supreme Court के फैसलों का उल्लंघन किया गया है. प्रावधिक भाग के अभ्यार्थियों को परीक्षा के अगले चरण में 87 फीसदी पदों के विरूद्ध चयनित नहीं किए जाने का भी unconstitutional प्रावधान किया गया है. उक्त तर्कों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन सामान्य प्रशासन विभाग, लोकसेवा आयोग से 20 दिसंबर तक जबाब तलब किया गया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह व रूप सिंह मरावी, अंजनी कुमार कोरी ने पक्ष रखा. (State government and PSC have to answer till 20)