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ICU में जबलपुर स्वास्थ्य विभाग ! मातृ मृत्यु दर के चौंकाने वाले आंकड़े

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Published : Dec 12, 2020, 7:57 PM IST

Updated : Dec 12, 2020, 8:12 PM IST

शहडोल जिला अस्पताल में हुई बच्चों के मौत के बाद अब जबलपुर जिला अस्पताल से मातृ मृत्यु दर के चौंका देने वाले आकड़े सामने आए हैं. संस्कारधानी जबलपुर में बीते 6 माह के दौरान करीब 35 हजार 249 गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया, जिनमें से की करीब 72 महिलाओं की मौत हुई है. देखिए रिपोर्ट...

Jabalpur
मातृ मृत्यु दर में इजाफा

जबलपुर। मध्य प्रदेश सरकार की इन दिनों नजरें शहडोल जिले में हो रही एक के बाद एक नवजात बच्चों की मौत पर है. सरकार अभी बच्चों की हो रही मौत की जानकारी जुटा नहीं पाई थी कि अब संस्कारधानी जबलपुर में मातृ मृत्यु दर में इजाफा हुआ है. हालांकि इसको लेकर डॉक्टर को कहना है कि कोरोना के समय पर निगरानी ना होना इस मातृ मृत्यु दर की वजह है, लेकिन कहीं ना कहीं ये स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का भी बड़ा कारण सामने आया है जो कि महिलाओं की मृत्यु दर को नहीं रोक पाया. इधर महिला उत्थान संस्था ने भी लगातार हो रही इस मृत्यु दर पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.

मातृ मृत्यु दर की चौंका देने वाली रिपोर्ट

शहडोल में बच्चे तो जबलपुर में मां की हो रही है मौत

मध्यप्रदेश के शहडोल जिला अस्पताल में जहां एक के बाद एक मासूमों की मौत से सिस्टम सकते में आ गया है तो वहीं जबलपुर में भी मांओं की मौत ने स्वास्थ्य विभाग के अमले को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. संस्थागत प्रसव की योजनाओं के बावजूद खुद स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि मातृ मृत्यु दर लगातार बढ़ रहा है. मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में बीते 6 माह के दौरान करीब 35 हजार 249 गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया, जिनमें से की करीब 72 महिलाओं की मौत हुई है.

बड़ी बात यह है कि मातृ मृत्यु दर की स्थिति जबलपुर ब्लॉक यानि जिला मुख्यालय में सबसे ज्यादा हुई है. जबलपुर ब्लॉक में इस साल अब तक 10 हजार गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए भर्ती किया गया, जिसमें से 62 महिलाओं की मौत हुई है. यहां बच्चों के जन्म के साथ ही मां की मौत से नवजात मां की ममता के लिए तरसने को मजबूर हो गए हैं.

Jabalpur
रानी दुर्गावती चिकित्सालय

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मातृ मृत्यु दर बढ़ने की वजह है कोरोना वायरस

जबलपुर संभाग के सबसे बड़े लेडी एल्गिन अस्पताल में रोजाना करीब 40 महिलाओं की डिलीवरी होती है. बावजूद इसके मातृ मृत्यु की संख्या बढ़ना चिंता का विषय है. जबलपुर में मातृ मृत्यु दर बढ़ने की वजह कोरोना संक्रमण व्यवस्था को बताया जा रहा है. जबलपुर जिले में संस्थागत प्रसव की योजना में हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. इसके अलावा सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास के चार हजार से ज्यादा कर्मचारी मैदानी तैनात रहते हैं. बावजूद इसके इस तरह से मातृ मृत्यु दर बढ़ना चिंता की बात है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का ये है मानना

जबलपुर में पदस्थ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस साल कोरोना वायरस से बचाव के लिए मैदानी अमले की ड्यूटी ना लगाने के कारण से आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जच्चा-बच्चा की निगरानी में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए, जिसके चलते मातृ मृत्यु दर की संख्या बढ़ी है. जबलपुर के रानी दुर्गावती अस्पताल में पदस्थ आरएमओ डॉ संजय मिश्रा का कहना है कि प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत की वजह उनमें खून की कमी, हाइपरटेंशन, गर्भावस्था में मां की देख रेख ना होना और पोषण की कमी होना है.

महिलाओं के स्वास्थ्य पर सरकार नहीं दे रही ध्यान

अखिल भारतीय महिला परिषद की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गीता शरद तिवारी ने लगातार हो रही मातृ मृत्यु दर पर सवाल खड़े कर दिए हैं. गीता शरद तिवारी की मानें तो महिलाओं की सुरक्षा को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है, यही वजह है कि अब मां की मौत में लगातार इजाफा हो रहा है. जिस तरह के आंकड़े सामने आए हैं वह निश्चित रूप से काफी चौंकाने वाले हैं, ऐसे में सरकार को कोरोना का बहना ना बनाते हुए महिलाओं की जिंदगी बचाने पर ध्यान देना चाहिए.

एक नजर 6 माह में हुई मातृ मृत्यु दर

ब्लॉक कुल प्रसव कुल मृत्यु
जबलपुर 10005 62
कुंडम 796 02
मझौली 788 01
पनागर 781 00
पाटन 1131 01
शाहपुरा 1276 02
सिहोरा 1323 04

Jabalpur
मातृ मृत्यु दर के आकड़े

करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ये हालत चिंता का विषय

मातृ-शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए मध्यप्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, बावजूद इसके जिस तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं. वह काफी चौंकाने वाले हैं. ऐसे में अब राज्य सरकार सहित स्वास्थ्य विभाग के अमले पर भी कई तरह के सवाल उठने लगे हैं, बहरहाल अगर मातृ मृत्यु दर में कमी नहीं आए तो निश्चित रूप से आने वाले में समय में यह आंकड़ा और भी भयावह हो सकता है.

Last Updated :Dec 12, 2020, 8:12 PM IST
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