जबलपुर। वैलेंटाइन-डे एक ऐसा दिन जो प्यार करने वालो के लिए सबसे बड़ा दिन माना जाता है. क्या केवल प्यार का इजहार करना ही सब कुछ होता है, प्यार को उतनी ही शिद्दत से निभाना भी जीवन में एक बड़ी चुनौती होती है. आज हम आपको एक ऐसे सच्चे प्रेमियों से मिलवाएंगे, जिन्होंने जीवन के अंतिम पलों की विषम परिस्थितियों में भी एक दूसरे का साथ नही छोड़ा. (jabalpur valentine day story)
80 साल की उम्र में भी प्यार बेमिसाल
आंखों में झुर्रियां. कांपते हाथ लड़खड़ाती जुबान जीवन के अंतिम पलों में भी एक दूसरे साथ निभाने वाले ये बुजुर्ग दंपति जबलपुर निवासी ज्ञान प्रकाश और कुमुदिनी खरे हैं. 80 साल की इस उम्र में भी इन दोनों का प्यार एक मिसाल बन गया है. ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर हुए ज्ञानप्रकाश का बेटा और बेटी विदेश में हैं, जबकि वो यहां अपनी पत्नी कुमुदनी के साथ अकेले रहते हैं. कुमुदनी को सीओटू नार्कोसिस नाम की बीमारी है. इस बीमारी में उनके शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन पर्याप्त नहीं हो पाता है. उन्हें जिंदा रहने के लिए लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है. कोरोना संकटकाल मे अस्पतालों के लगातार चक्कर काटने के बाद ज्ञानप्रकाश ने अपनी पत्नी को अस्पताल से बेहतर और सुरक्षित माहौल देना चाहा. इसी कवायद में इस रिटायर्ड इंजीनियर ने अपने घर को अस्पताल और अपनी कार को ऑक्सीजन फिटेट एंबुलेंस में बदल दिया. (home icu in jabalpur)
आईसीयू को मात देता है घर का बैडरूम
घर के बैडरूम अच्छे खासे अस्पतालों के आईसीयू वार्ड को मात देते हैं. यहां वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, एयर प्यूरिफायर के अलावा ऐसी भी कई सुविधाएं हैं, जो आम अस्पतालों में न मिलें. रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञानप्रकाश ने अपनी पत्नी के लिए कई मेडिकल डिवाइस भी बनाई हैं. इसमें मोबाइल स्टेथोस्कोप भी अनोखा है, जिसमें वो अपनी पत्नी की हार्टबीट मोबाइल में कैद कर लेते हैं. उसकी साउंड फाइल व्हाट्सएप के जरिए डॉक्टर को भेज देते हैं, ताकि डॉक्टर बिना घर आए ही कुमुदनी को दवाएं दे सकें. पत्नी की देखरेख के अलावा सामाजिक गतिविधियों में भी खासे एक्टिव रहने वाले ज्ञानप्रकाश औरों को भी बढ़ती उम्र का तनाव छोड़कर अपने अनुभव से हर समस्या का समाधान निकालने की सलाह देते हैं. ज्ञानप्रकाश कहते हैं कि पत्नी की देखरेख उनका कर्तव्य है, जिसे वो पूरी शिद्दत से निभा रहे हैं. (husband caring wife in jabalpur)
जबलपुर के आधारताल में अपनी पत्नी के साथ अकेले रह रहे ज्ञानप्रकाश ने अपने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर्स का पर्याप्त स्टॉक भी रखा है, जिसे वो खुद जरूरत पड़ने पर बदलते रहते हैं. हांलांकि घर में अपनी पत्नी की देखरेख के लिए उन्होंने एक नर्स को भी हायर कर रखा है. अपने घर के आईसीयू में कुमुदनी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, जिससे उनकी सेहत में सुधार भी नजर आने लगा है. वेंटिलेटर छोड़कर महज 25 हजार के खर्च में बना ये घरेलू अस्पताल ज्ञानप्रकाश के प्रेम की भी अनोखी निशानी है. (valentine day jabalpur special story)