जबलपुर। क्या कभी जबलपुर के आसपास आदि मानव (Adi manav in jabalpur) रहे हैं. अगर वे रहे हैं, तो उस समय वो कैसे अपना जीवन यापन करते होंगे. क्या खाते होंगे. इन तमाम सवालों का जवाब दे रहे हैं- जबलपुर के रोहित खन्ना, जो पेशे से सेल्स एक्जक्यूटिव हैं. इन्हें पुराने सामानों को खोजकर रखने का ऐसा जूनून है कि ज्यादातर समय वही किसी न किसी पुरानी चीज की तलाश में रहते हैं. हाल ही में रोहित खन्ना ने जबलपुर (exclusive report on Adi manav in jabalpur) के आसपास आदि मानव के द्वारा उपयोग करने वाले पाषण को खोजा है.
मनेरी के पास मिले पाषण युग के पत्थर
सिविल लाइन में रहने वाले रोहित खन्ना का दावा है कि जबलपुर के मनेरी के पास करीब एक लाख साल पहले आदि मानव आए होंगे. ये आदि मानव कभी एक स्थान पर नहीं रहते थे. हमेशा चलने-फिरने के कारण जब कभी वो यहां आए होंगे, तो उन्होंने अपनी सुरक्षा और शिकार के लिए जो पत्थर उपयोग करते थे, वो मनेरी के पास मिले हैं.
पत्थरों से जानवरों का करते थे शिकार
रोहित खन्ना बताते हैं कि उन्हें, जो पत्थर मिले हैं- वो बहुत धारदार हैं. संभवतः आदि मानव शिकार (Paleolithic era stone in jabalpur) करने और फिर जानवर के मांस छीलने के काम मे उपयोग करते थे. रोहित कहते हैं कि मनेरी के पास बहुत सारे पत्थर ऐसे थे, जो कि बहुत ही पुराने थे. उन पत्थरों को जब रोहित ने पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर एसएन मिश्रा को बताया तो उसमें से कुछ पत्थर अलग किए गए.
रोहित खन्ना की माने तो करीब एक लाख साल पहले जबलपुर में आदिमानव जब आए थे, तो उन्होंने काफी लंबा समय यहां गुजारा था. इन्हीं पत्थरों से आदिमानव ने न सिर्फ शिकार किया, बल्कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल किया होगा. रोहित खन्ना कहते हैं कि दिन में वह शिकार किया करते थे. रात को गुफा या फिर पेड़ पर आराम करते थे. जबलपुर पत्थरों का शहर भी कहा जाता है. इस वजह से यहां पर पत्थरों का उस समय बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता था.