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CM शिवराज पर जीतू पटवारी का दावा- गूगल पर सर्च करो 30 हजार रजिस्टर्ड झूठ बोलने वाले घोषणावीर मुख्यमंत्री को

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 9:44 AM IST

विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनकी न केवल घोषणा याद दिला रही है बल्कि शिवराज सिंह को घोषणावीर भी करार दे चुकी है. इस बीच पूर्व मंत्री और राऊ विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी जीतू पटवारी ने शिवराज को 30 हजार रजिस्टर्ड झूठ बोलने वाला मुख्यमंत्री बताया है. उन्होंने कहा कि इसे गूगल पर सर्च किया जा सकता है.

Jitu Patwari target CM Shivraj
गूगल पर सर्च करो 30 हजार रजिस्टर्ड झूठ बोलने वाले घोषणावीर मुख्यमंत्री को

गूगल पर सर्च करो 30 हजार रजिस्टर्ड झूठ बोलने वाले घोषणावीर मुख्यमंत्री को

इंदौर। पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित आमने-सामने कार्यक्रम के दौरान कहा कि बीते 18 सालों में विधानसभा में दर्ज आश्वासनों के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह करीब 30 हजार रजिस्टर्ड झूठ बोल चुके हैं. पटवारी ने दावा किया कि अब तो इस तथ्य को गूगल पर भी सर्च किया जा सकता है. सर्च करने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ही नाम आएगा. पटवारी ने कहा कि सीएम शिवराज जब तक कई बार झूठ नहीं बोले लेते, तब तक उनका खाना नहीं पचता.

विधानसभा में भी मिली जानकारी : गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व ब्यावरा से विधायक रामचंद्र डांगी ने विधानसभा में प्रश्न लगाकर जानकारी मांगी थी. मानसून सत्र में आए जवाब में पता चला था कि मुख्यमंत्री ने बीते 3 वर्षों में 2715 घोषणा की हैं. इधर, हाल ही में चुनाव का माहौल बनते ही कांग्रेस अब मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर सवाल उठा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीते दिनों कहा था कि पिछले 18 साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22000 घोषणाएं की हैं, जो अधूरी हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले भी शिवराज सिंह चौहान दोगनी गति से घोषणा कर रहे हैं. घोषणाओं की मशीन डबल स्पीड से चल रही है.

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इंडिया गठबंधन पर बोले : इंडिया गठबंधन पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नाराजगी के सवाल पर जीतू पटवारी ने कहा कि कमलनाथ की मंशा गलत नहीं थी. उनका आशय यह था कि केंद्र में हमारा गठबंधन है. राज्य के स्तर पर हम विचार कर सकते हैं. यह हमारा इंटरनल मामला है. इसमें बैठकर हल निकाल लेंगे. कमलनाथ की मंशा अखिलेश यादव को नाराज करने जैसी नहीं थी. पर यह बात सच है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस राज्य में मिलकर चुनाव लड़ती तो और ज्यादा सीट आ सकती थीं.

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