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Indore Mandi Bhav: केंद्रीय स्टॉक रिलीज होते ही घट गई गेहूं की कीमत, दाम कम मिलने से आंदोलन पर उतरे किसान

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Published : Mar 17, 2023, 9:16 PM IST

mp wheat price decrease by central stock release
एमपी केंद्रीय स्टॉक जारी होने से गेहूं के भाव में गिरावट

केंद्रीय स्टॉक जारी होने से गेहूं के भाव में गिरावट आ गई है. अब इसकी वजह से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसके विरोध में किसानों ने इंदौर में प्रदर्शन भी किया है.

इंदौर। देशभर में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं का केंद्रीय स्टॉक रिलीज किया गया है. इसकी वजह से अब देशभर की मंडियों में गेहूं की कीमत घट गई है. दरअसल, हर साल फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए जो गेहूं, आटा मिलों में पहुंचता था, वह इस बार सेंट्रल स्टॉक से सीधे भेजा जा रहा है. लिहाजा मंडियों में करीब 3 हजार तक बिकने वाला गेहूं इस साल 17 सौ से लेकर 18 सौ रुपए क्विंटल ही बिक रहा है. यही वजह है कि अब केंद्र सरकार की किसान नीतियों का विरोध शुरू हो गया है. इसके चलते भारतीय किसान संघ ने शुक्रवार को मालवा-निमाड़ के सभी जिला मुख्यालयों पर गेहूं की दीर्घकालीन निर्यात नीति की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.

एमपी केंद्रीय स्टॉक जारी होने से गेहूं के भाव में गिरावट

केंद्र सरकार ने स्टॉक किया रिलीज: आटे की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर खाद्य मंत्रालय ने इस पर नियंत्रित करने के लिए अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने का फैसला किया था. इसका असर अब मंडियों में नजर आ रहा है. बीते साल गेहूं के घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और पूर्व की तुलना में गेहूं की कम खरीदी की वजह से इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. उसकी मार भी अप्रत्यक्ष रूप से किसानों पर पड़ी थी. अब जब गेहूं के बंपर उत्पादन के बाद मंडियों में इसकी उपज लगातार पहुंच रही है तो भी इसकी खरीदी को लेकर कोई उत्साह नहीं है. स्थिति ये है कि जो गेहूं पिछले साल 2800 से 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था, वह इस बार 1700 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है. ऐसी स्थिति में मंडियों में आने वाले किसान अपनी उपज के मिल रहे दामों को लेकर खासे निराश हैं. किसानों की परेशानी ये है कि खेतों में पड़ी फसल से गेहूं निकलवाकर बेचना उनकी मजबूरी है.

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भारतीय किसान संघ ने किया विरोध: किसान संघ के इंदौर महानगर अध्यक्ष दिलीप मुकाती बताते हैं, "केंद्र सरकार की बार-बार बदली जाने वाली निर्यात नीति के कारण किसानों को अपनी उपज के दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इन हालातों में खाद्य मंत्रालय पर गेहूं का आयात करने वाले पड़ोसी देशों का भी विश्वास कम हुआ है. इस वजह से भी गेहूं का निर्यात कम हो रहा है. इसके अलावा पिछले साल सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब जबकि किसानों की फसल बाजार में बिकने आ रही है तो सरकार ने अपना स्टॉक रिलीज कर दिया है. इसके फलस्वरूप किसानों को उनकी उपज के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. लिहाजा इस मामले में अब भारतीय किसान संघ द्वारा व्यापक रणनीति बनाई जा रही है. इसके आधार पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा." उन्होंने बताया कि शुक्रवार को सभी जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन सौंपकर प्रदर्शन किया गया है. इसमें केंद्र सरकार से गेहूं की कीमतों पर ध्यान देने की अपील की गई है.

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