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कोरोना से चौपट रियल स्टेट कारोबार, इंदौर में 2 से साढ़े 3 हजार करोड़ का नुकसान, पटरी पर आने में लगेगा 1 साल

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Published : Jun 6, 2021, 1:58 PM IST

मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी और आवासीय लिहाज से सबसे उपयुक्त माने जाने वाले इंदौर शहर का रियल एस्टेट कारोबार लॉकडाउन, जनता कर्फ्यू के कारण दूसरे साल भी चौपट होने की कगार पर है, स्थिति यह है कि तमाम सरकारी और निजी निर्माण प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं. वहीं मजदूरों के पलायन और निर्माण सामग्री के भाव दुगुने होने की वजह से रियल स्टेट कारोबार करीब 2 से साढ़े 3 हजार करोड़ के घाटे की चपेट में है.

कोरोना से चौपट रियल स्टेट कारोबार
कोरोना से चौपट रियल स्टेट कारोबार

इंदौर। कोरोना ने हर ओर तबाही मचाई है और इससे हर इंसान कहीं न कहीं और किसी न किसी रूप में प्रभावित हुआ है. कोरोना ने कारोबार की भी कमर तोड़ दी है. गौरतलब है कि इंदौर के व्यावसायिक क्षेत्रों से लेकर आवासीय क्षेत्रों में अधूरी बनी इमारतें और लंबित पड़े बड़े आवासीय प्रोजेक्ट भी अब लंबा lock-down और जनता कर्फ्यू खत्म होने के इंतजार में हैं, जिससे यहां निर्माण गतिविधियां फिर से शुरू हो सकें. बीते साल के मार्च से लॉकडाउन लगने के बाद इन प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूर अपने अपने इलाकों में पलायन कर गए. इसके बाद जैसे तैसे लॉकडाउन खुला तो आधे श्रमिक भी शहर नहीं लौट सके, लिहाजा जैसे तैसे निर्माण प्रोजेक्ट शुरू भी हुए तो उनकी निर्माण गतिविधि पूर्व की तुलना में आधी ही रही, अब जबकि इस साल फिर कोरोना की दूसरी लहर के कारण जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाना पड़ा है, तो शहर की निर्माण गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो चुकी हैं. स्थिति यह है कि शहर के आगरा बॉम्बे रिंग रोड बायपास और पश्चिमी क्षेत्र के जितने भी बड़े आवासीय प्रोजेक्ट थे, उन सभी के काम बंद पड़े हैं. रियल स्टेट कारोबारियों और निर्माण में जुटे ठेकेदार इसे फिर से शुरू होने में फिर 1 साल का समय लगाना बता रहे हैं. यह भी तब संभव है जब निर्माण श्रमिकों और कुशल कारीगरों की उपलब्धता निर्माण गतिविधियों के लिए सामान्य हो सके. इस बीच शहर के बिल्डर और संपत्ति व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों का मानना है कि बीते साल से अब तक लॉकडाउन के कारण इंदौर के रियल एस्टेट कारोबार को करीब 2 से साढ़े 3 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है.

लॉकडाउन से रियल एस्टेट कारोबार को भारी नुकसान
सरकारी प्रोजेक्ट भी अटके

इंदौर के तालाब गहरीकरण प्रोजेक्ट के अलावा शहर की शासकीय इमारतों के जो ठेके शासन स्तर पर दिए गए थे, उनका भी काम अब तक अधूरा है. लॉकडाउन के बाद जैसे तैसे काम शुरू हुआ तो अब बारिश शुरू होने का खतरा मंडरा रहा है. इधर शासकीय ठेकों में समय सीमा निर्धारित होने के कारण कई कांट्रेक्टर और ठेकेदार ऐसे हैं, जो निर्धारित समय पर निर्माण प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाएंगे. लिहाजा कई निर्माण एजेंसियों ने सरकारी कामकाज से भी हाथ खींच लिए हैं. इसकी वजह भी मजदूरों की कमी और सतत काम नहीं चल पाने को माना जा रहा है. अभी भी शासन स्तर पर स्पष्ट नहीं है कि कब तक शहर अनलॉक हो सकेगा, जिससे निर्माण गतिविधियों को गति दी जा सके.

करीब 40 फीसदी महंगा हुआ निर्माण मटेरियल

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण निर्माण गतिविधियां ठप होने के बावजूद रियल स्टेट में उपयोग किए जाने वाला तरह-तरह का सामान 1 साल में काफी बढ़ गया है. सामान, परिवहन महंगा होने और पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने के कारण 30 से 40 गुना महंगाई हो चुकी है. रियल स्टेट में उपयोग के लिए लोहा, सीमेंट, सरिया, रेत, गिट्टी और ईट के अलावा इलेक्ट्रिक और प्लंबिंग की पूरी सामग्री लगभग दुगुनी दरों पर मिल रही हैं. यही स्थिति रियल एस्टेट सेक्टर में उपयोग होने वाले अन्य सामान की है. ऐसी स्थिति में आर्थिक भार निर्माण प्रोजेक्ट पर ही पड़ रहा है. इसके अलावा लेबर की दरें भी बढ़ जाने से छोटे से लेकर बड़े प्रोजेक्ट में भी काम पूरा कर पाना चुनौतीपूर्ण हो रहा है. इसके बावजूद यदि काम पूरा कराया भी जाए, तो भी प्रोजेक्ट को बेचकर या लीज पर देने की स्थिति में लागत की भरपाई हो सकेगी या नहीं इसको लेकर भी रियल स्टेट कारोबारी आशंकित हैं. निर्माण गतिविधियां ठप होने की यह भी एक वजह मानी जा रही है.

करीब 40 फीसदी महंगा हुआ निर्माण मटेरियल
करीब 40 फीसदी महंगा हुआ निर्माण मटेरियल
पटरी पर आने में लगेगा 1 साल

रियल एस्टेट कारोबारी और प्रॉपर्टी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक मंदी और लंबे लॉकडाउन के बाद जो बड़े निर्माण प्रोजेक्ट काम बंद होने की मार झेल रहे हैं उनमें निर्माण गतिविधियां एक बार फिर तेज होने के लिए कम से कम 1 साल लगेगा. इसकी वजह निर्माण श्रमिकों की कमी को माना जा रहा है. वहीं बाजार का रोटेशन बिगड़ने, अन्य राज्यों से माल की आवा-जाही रुकने और आपूर्ति नहीं हो पाने के कारण जल्द ही रियल स्टेट कारोबार के सामान्य होने के आसार नहीं हैं. माना जा रहा है कि सारी व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए फिर साल भर लगेगा. हालांकि सितंबर अक्टूबर में फिर कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. इसके कारण भी रियल स्टेट कारोबारी सेक्टर में पैसा लगाने को तैयार नहीं हैं.


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सितंबर- अक्टूबर में फिर कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. और इसके कारण भी रियल स्टेट कारोबारी इस सेक्टर में पैसा लगाने से बच रहे हैं. कारोबारी सरकार से रियायत की उम्मीद और कोरोना के खत्म होने के इंतजाम में हैं. अब देखना होगा कि कब तक रियल स्टेट कारोबार की गाड़ी पटरी पर लौटती है.

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