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MP में विकसित हुआ देश का पहला स्वदेशी फ्लाइंग सिम्युलेटर, जानें जहाज उड़ाने से पहले पायलटों को क्यों है जरूरी

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Published : Jun 6, 2023, 1:30 PM IST

flying simulator developed in MP
MP विकसित हुआ देश का पहला स्वदेशी फ्लाइंग सिम्युलेटर

एमपी के फ्लाइंग एक्सपर्ट ने स्वदेशी तकनीक से प्लेन उड़ाने के लिए ट्रेनिंग में जरूरी सेट-अप जरूरी फ्लाइंग सिम्युलेटर को तैयार किया है. ड्रोनोबोटिक्स नामक कंपनी के कैप्टन अजय और दीपक कुमार ने बताया कि जल्द ही इसकी लॉचिंग की जाएगी.

एमपी में विकसित हुआ देश का पहला स्वदेशी फ्लाइंग सिम्युलेटर

इंदौर। अब तक प्लेन उड़ाने की तकनीक को लेकर यूरोपीय देशों के भरोसे रहने वाली एयरलाइन कंपनियां और फ्लाइंग क्लब अब स्वदेशी सिम्युलेटर से पायलटों को फ्लाइंग की ट्रेनिंग देकर ट्रेंड कर सकेंगे. दरअसल कई सालों की अथक मेहनत के बाद मध्य प्रदेश के फ्लाइंग एक्सपर्ट कैप्टन अजय सिंह और दीपक कुमार ने हवाई जहाज उड़ाने के लिए सबसे जरूरी ट्रेनिंग सेटअप माने जाने वाले फ्लाइंग सिम्युलेटर को मध्यप्रदेश में ही तैयार कर दिया है. यह पहला मौका है जब भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियरों ने विदेशी टूल्स और टेक्निक की मदद के बिना फ्लाइट सिम्युलेटर को स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित किया हो. दरअसल भोपाल में ड्रोनोबोटिक्स नामक फ्लाइंग कंपनी संचालित करने वाले कैप्टन अजय और दीपक कुमार अगले महीने इस सिम्युलेटर की लॉन्चिंग करने जा रहे हैं जो देश के विमानन क्षेत्र में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है.

पायलटों को दी जाती है ट्रेनिंग: प्लेन के कॉकपिट में बैठकर उसे रनवे पर दौड़ाने से लेकर आसमान में अलग-अलग ऊंचाई और मूवमेंट को हुबहू ऑपरेट करने और महसूस करने के साथ लाइन की गलतियों को प्रत्यक्ष तौर पर दर्शाने वाले सिम्युलेटर को अब तक नीदरलैंड समेत यूरोपीय देशों से इंपोर्ट किया जाता रहा है. देश के विमानन इतिहास में अब तक इंपोर्ट किए गए सिम्युलेटर से ही पायलटों को ट्रेनिंग दी जाती है हालांकि बेंगलुरु में कुछ कंपनियां सिम्युलेटर बनाने की तकनीक और टूल को इंपोर्ट करके सिम्युलेटर बनाती हैं जो विभिन्न विमानन क्लब और कंपनियों में उपयोग के लिए दिया जाता है. हाल ही में मध्य प्रदेश के एयरोनॉटिकल इंजीनियर कैप्टन अजय सिंह और दीपक कुमार ने पहली बार देसी टूल और टेक्निक से कई सालों की मेहनत के बाद स्वदेशी सिम्युलेटर तैयार करने में सफलता प्राप्त की है. अपनी तरह के इस पहले सिम्युलेटर में कमर्शियल पायलट के अलावा बोइंग विमान समेत एअरबस के कमर्शियल पायलटों को ट्रेनिंग दी जा सकेगी.

पायलटों की ट्रेनिंग होगी आसान: कैप्टन अजय के मुताबिक अगले माह भोपाल में इससे मिलिटर की ऑनलाइन लॉन्चिंग की जाएगी जिसे लेकर तैयारियां की जा रही हैं. उन्होंने बताया सिम्युलेटर के हार्डवेयर समेत अन्य टूल पर 18 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन भारत में इस सेटअप की कीमत करोड़ों रुपए में है. इसके बावजूद इसकी टेक्निक को यूरोपीय देशों से इंपोर्ट करना होता है. यही वजह है कि देश में चुनिंदा स्थानों पर ही पायलट को उड़ान की ट्रेनिंग देने के लिए सिमुलेटर का अत्याधुनिक सेटअप मौजूद है. हालांकी उनकी सिम्युलेटर के विमानन सेक्टर में आने के बाद अब देश के पायलटों को उड़ान की ट्रेनिंग देना और आसान हो सकेगा साथी यह विमानन कंपनियों के उपयोग एवं ट्रेनिंग समेत फ्लाइंग क्लब आदि के लिए भी सरलता से उपलब्ध हो सकेगा.

इसलिए जरूरी होता है सिम्युलेटर: किसी भी कमर्शियल पायलट के लिए सिम्युलेटर की ट्रेनिंग के बाद ही डीजीसीए संबंधित पायलट को फ्लाइंग लाइसेंस जारी करता है. यही वजह है कि इस सेटअप कि भारत में बड़ी मांग है फिलहाल स्वदेशी सेटअप पर तैयार हुए सिम्युलेटर को देश के करीब 10 एरोनॉटिकल इंस्टिट्यूट में उपयोग की तैयारी है.

डिफेंस सेक्टर के लिए भी उल्लेखनीय आविष्कार: कैप्टन अजय सिंह और दीपक कुमार ने हाल ही में ऐसा हाइब्रिड ड्रोन तैयार किया है जिसके जरिए भविष्य में AK-47 और AK-56 जैसी अत्याधुनिक राइफल को ड्रोन पर लोड करके ऑपरेट किया जा सकेगा. इसके अलावा वह मिसाइल लोड करने वाले अमेरिकन ड्रोन की तरह ही हाइब्रिड डॉन बना रहे हैं हालांकि उनके द्वारा बनाए गए ड्रोन देश में हाइब्रिड कॉन्बिनेशन की मदद से 6 से 7 घंटे तक लगातार उड़ने की क्षमता रखेंगे.

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