होशंगाबाद। पितृ मोक्ष अमावस्या पर लोगों ने नर्मदा नदी में में डुबकी लगाकर पितरों का तर्पण किया. इसके साथ ही पितृपक्ष का समापन हो गया. ये आखिरी दिन काफी महत्वपूर्ण होता है, जिसके चलते नर्मदा घाट पर दिनभर लोगों की भीड़ लगी रही. इस दिन भूल-चूक या छूटे हुए श्राद्ध एक साथ कर दिए जाते हैं. माना जाता है कि पितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राद्ध करने से सभी पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल जाती है.
पंडित भालचंद्र खड्डर ने बताया कि 20 साल बाद ऐसा संयोग बना, जब शनिश्चरी और पितृमोक्ष अमावस्या एक साथ पड़ी. जिसके चलते ये दिन और विशेष हो जाता है. कहा जाता है कि इस दिन शनि देव की पूजन कर गरीबों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिल जाती है.
तेज बारिश के चलते नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है. घाटों पर मिट्टी और गाद जमी हुई है. जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. हालांकि जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए हैं.