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इंदौर महापौर की याचिका पर HC में सुनवाई, सरकार को नोटिस और रेलवे को बनाया पक्षकार

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 9, 2024, 9:55 PM IST

Gwalior HC News: 10 दिसंबर को जज की गाड़ी से वाइस चांसलर को अस्पताल पहुंचाने वाली याचिका पर आज सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस देते हुए रेलवे प्रशासन को पक्षकार बनाया है.

Gwalior HC News
इंदौर महापौर की याचिका पर सुनवाई
इंदौर महापौर की याचिका पर सुनवाई

ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एबीवीपी छात्रों द्वारा पिछले दिनों एक जज की कार को छीन कर उससे मरीज को अस्पताल पहुंचाने के मामले में दायर इंदौर महापौर की जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. इस पर हाईकोर्ट ने रेलवे की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव को निर्देशित किया है कि वह इस मामले में रेलवे प्रबंधन को भी पक्षकार बनाएं. इसके अलावा हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके 3 सप्ताह में जवाब तलब किया है. इंदौर महापौर द्वारा इस मामले में ग्वालियर एसपी को भी पक्षकार बनाया है. कोर्ट ने कहा है, रेलवे प्रबंधन की कैसी व्यवस्थाएं है अगर यात्रा के दौरान कोई बीमार पड़ जाए उसे स्टेशन पर एंबुलेंस की उपलब्ध नहीं करा सकता है.

इंदौर महापौर ने याचिका को दी चुनौती

दरअसल इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एबीवीपी के छात्रों पर डकैती का मामला दर्ज होने पर पुलिस की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, क्योंकि पड़ाव पुलिस ने जज की गाड़ी उपयोग करने के मामले में एबीवीपी के हिमांशु और सुक्रत शर्मा पर डकैती का मामला दर्ज कर लिया था. पैरवी में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एफआईआर के खात्मे हेतु पक्ष रखते हुए तर्क दिये कि छात्रों द्वारा किया गया प्रयास, समाज को सीख देने वाला था. ये भी मांग की गई है कि प्रोटोकॉल में लगने वाली गाड़ियां शासकीय वाहनों का प्रयोग यदि एंबुलेंस को आने में समय है, तो किया जा सके. ताकि अच्छी से अच्छी मेडिकल सुविधा बस स्टेंड रेलवे स्टेशन पर त्वरित मिले. उसको लेकर प्रयास किए जाएं.

यहां पढ़ें...

छात्रों ने जज की गाड़ी से वाइस चांसलर को पहुंचाया था अस्पताल

गौरतलब है कि 10 दिसंबर की रात मरीज की जान बचाने से ये मामला सामने आया था. शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो रणजीत सिंह दिल्ली से झांसी जाने के लिए ट्रेन पर सवार हुए थे. रास्ते में उनकी तबीयत बिगड़ने पर छात्रों ने उन्हें ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर उतारा. काफी देर तक एंबुलेंस और अन्य साधन नहीं मिलने पर छात्र रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी एक गाड़ी में उनको लेकर गए थे. यह गाड़ी हाईकोर्ट के जज की थी. इस मामले में दोनों छात्रों के खिलाफ पड़ाव पुलिस ने डकैती का मुकदमा दर्ज किया था. उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था. बाद में उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिली थी.

इंदौर महापौर की याचिका पर सुनवाई

ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एबीवीपी छात्रों द्वारा पिछले दिनों एक जज की कार को छीन कर उससे मरीज को अस्पताल पहुंचाने के मामले में दायर इंदौर महापौर की जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. इस पर हाईकोर्ट ने रेलवे की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव को निर्देशित किया है कि वह इस मामले में रेलवे प्रबंधन को भी पक्षकार बनाएं. इसके अलावा हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके 3 सप्ताह में जवाब तलब किया है. इंदौर महापौर द्वारा इस मामले में ग्वालियर एसपी को भी पक्षकार बनाया है. कोर्ट ने कहा है, रेलवे प्रबंधन की कैसी व्यवस्थाएं है अगर यात्रा के दौरान कोई बीमार पड़ जाए उसे स्टेशन पर एंबुलेंस की उपलब्ध नहीं करा सकता है.

इंदौर महापौर ने याचिका को दी चुनौती

दरअसल इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एबीवीपी के छात्रों पर डकैती का मामला दर्ज होने पर पुलिस की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, क्योंकि पड़ाव पुलिस ने जज की गाड़ी उपयोग करने के मामले में एबीवीपी के हिमांशु और सुक्रत शर्मा पर डकैती का मामला दर्ज कर लिया था. पैरवी में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एफआईआर के खात्मे हेतु पक्ष रखते हुए तर्क दिये कि छात्रों द्वारा किया गया प्रयास, समाज को सीख देने वाला था. ये भी मांग की गई है कि प्रोटोकॉल में लगने वाली गाड़ियां शासकीय वाहनों का प्रयोग यदि एंबुलेंस को आने में समय है, तो किया जा सके. ताकि अच्छी से अच्छी मेडिकल सुविधा बस स्टेंड रेलवे स्टेशन पर त्वरित मिले. उसको लेकर प्रयास किए जाएं.

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छात्रों ने जज की गाड़ी से वाइस चांसलर को पहुंचाया था अस्पताल

गौरतलब है कि 10 दिसंबर की रात मरीज की जान बचाने से ये मामला सामने आया था. शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो रणजीत सिंह दिल्ली से झांसी जाने के लिए ट्रेन पर सवार हुए थे. रास्ते में उनकी तबीयत बिगड़ने पर छात्रों ने उन्हें ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर उतारा. काफी देर तक एंबुलेंस और अन्य साधन नहीं मिलने पर छात्र रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी एक गाड़ी में उनको लेकर गए थे. यह गाड़ी हाईकोर्ट के जज की थी. इस मामले में दोनों छात्रों के खिलाफ पड़ाव पुलिस ने डकैती का मुकदमा दर्ज किया था. उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था. बाद में उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिली थी.

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