ग्वालियर। मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेंद्र बरुआ का अजीबोगरीब बयान सामने आया है. उनका कहना है कि ''नई शिक्षा नीति के तहत भारत के इतिहास में चेंज हुआ है''. ग्वालियर प्रवास पहुंचे शैलेन्द्र बरूआ ने कहा कि ''नवीन शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट तैयार हो गया है और आगामी सत्र से सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रमों में बड़ा बदलाव संभवतः देखने को मिलेगा. इसके तहत शिक्षा के पैट्रन और पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए हैं. यह शिक्षाविदों की एक कमेटी ने सुनिश्चित किया है और पाठ्यक्रम में मुगलकालीन इतिहास में भी परिवर्तन किया जा रहा है. जितना आवश्यक है उतना पाठ्यक्रम में मुगलों का इतिहास सत्यता के आधार पर शामिल किया जाएगा''. (Text Book Corporation president statement)
प्रदेश की सड़कों में हुआ सुधार: स्थानीय मंत्रियों के क्षेत्रीय विधानसभा तक सीमित रहने के सवाल को पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेंद्र बरुआ ने सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि ''पहले वे विधायक हैं, इसलिए विभाग के साथ-साथ क्षेत्र की चिंता करते हैं और चिंता रहनी भी चाहिए. अगर विधायक रहेंगे तभी मंत्री बनेंगे''. प्रदेश की खस्ताहाल सड़कों को लेकर शैलेंद्र बरुआ का कहना है कि ''2003 की तुलना में प्रदेश की सड़कों में सुधार देखने को मिला है. नेशनल हाईवे हों या शहर की सड़कें, इनमें निरन्तर गुंजाइश की स्थिति रहती है''.
प्रद्युम्न सिंह तोमर को अपने क्षेत्र की चिंता है: प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता के चलते ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के चप्पल त्यागने के सवाल पर शैलेंद्र बरुआ ने दोनों का ही बचाव किया और कहा कि ''प्रशासनिक मशीनरी काम कर रही है. मंत्री को अपने क्षेत्र की चिंता है और उनकी क्षेत्र में सक्रियता किसी से छुपी नहीं है''. बता दें कि जनता के दर्द को समझने के लिए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने चप्पलें पहनना छोड़ दी. मंत्री तोमर ने कहा था कि कंकड़- गिट्टी चुभने का एहसास होगा तो ज्यादा अच्छी तरह से सरकारी अधिकारियों से काम करवा पाऊंगा. जो काम तीन महीने में होता है, उसे दो महीने में करा पाऊंगा.