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Republic Day 2022: देश के कई ऐतिहासिक इमारतों और मंत्रालयों की शान बढ़ा रहा ग्वालियर में बना तिरंगा, कई राज्यों में लहराता है यहां बना राष्ट्रीय ध्वज

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Published : Jan 25, 2022, 9:05 PM IST

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को लहराता देख मन आनंदित और सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि देश के ज्यादातर हिस्से में फहराया जाने वाले तिरंगा एमपी के ग्वालियर में बनाया जाता है. इतना ही नहीं कई ऐतिहासिक इमारतों और मंत्रालयों में ग्वालियर में बना राष्ट्रीय ध्वज ही लहरा रहा है.(Gwalior tricolor flying in many parts of country)

Gwalior tricolor flying in many parts of country
देश की शान बढ़ा रहा ग्वालियर में बना तिरंगा

ग्वालियर। इस बार 26 जनवरी को पूरा देश 73वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है और इस दौरान पूरे देश भर में आजाद हिंदुस्तान की आन-बान और शान कहा जाने वाला हमारा तिरंगा फहराया जाएगा. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर में किया जाता है. यूं तो भारत की आजादी में ग्वालियर का प्रमुख योगदान रहा है, आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम रोशन कर रहा है. (Gwalior tricolor flying in many parts of country)

देश की शान बढ़ा रहा ग्वालियर में बना तिरंगा

उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर में तैयार होता है तिरंगा
देश में मात्र तीन जगह हमारे राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जाते हैं और यहां बने देश के अलग-अलग कोनों में हमारे राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाते हैं. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड में राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने के दस्तावेज जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि सभी झंडे खादी सिल्क कॉटन के ही होंगे और मानकों के अनुसार ही बनेंगे. यही वजह है कि देश में मात्र तीन जगह राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया जाता हैं. हमारा तिरंगा मुंबई, कर्नाटक के हुबली और ग्वालियर में तैयार किए जाते हैं. ग्वालियर मध्य भारत खादी संघ, उत्तर भारत का इकलौता राष्ट्रीय ध्वज बनाने वाली संस्था है.

Gwalior tricolor flying in many parts of country
उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर में तैयार होता है तिरंगा

ग्वालियर में ISI प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का होता है निर्माण (ISI certified national flag in Gwalior)
ग्वालियर का मध्य भारत खादी संघ तीन कैटेगरी में तिरंगे तैयार करता है, जिसमें 2×3 फ़ीट, 6×4 फ़ीट, 3×4.5 फ़ीट के तिरंगे झंडे तैयार किए जाते हैं. राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, रंग, चक्र का साइज और जैसे मानक शामिल है. हरिश्चंद्र की लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है. 9 मानकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है. राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने वाले कारीगरों का कहना है कि तिरंगे तैयार करने में हमें अपने आप पर गर्व महसूस होता है. हम अपने आप को खुशकिस्मत समझते हैं कि रोजगार के साथ-साथ हम तिरंगे का निर्माण कर रहे हैं.

Gwalior tricolor flying in many parts of country
ग्वालियर में ISI प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का होता है निर्माण

देश के अलग-अलग कोने लहराता है ग्वालियर में बना तिरंगा
राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की प्रमुख पहचान होती है. आपको जानकर यह गर्व होगा कि देश भर के कई शासकीय और अशासकीय कार्यालय के साथ कई मंत्रालयों पर लहराने वाले तिरंगे हमारी ग्वालियर के होते हैं. उत्तर भारत के एकमात्र मध्य भारत खादी संघ (Madhya Bharat Khadi Association) द्वारा बनाए जा रहे यह राष्ट्रीय ध्वज देश के अलग-अलग कोनों में जाते हैं. राष्ट्रीय ध्वज निर्माता इकाई की मैनेजर नीलू ने बताया है कि यहां बने हमारे राष्ट्रीय ध्वज देश के अलग-अलग राज्य जैसे उत्तर प्रदेश,राजस्थान,हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र गुजरात, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर सहित कई जगहों पर पहुंचते हैं. और गणतंत्रता दिवस,स्वतंत्रता दिवस और संविधान दिवस पर बड़ी शान से फहराए जाते हैं.

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साल भर में एक करोड़ रुपए के तिरंगों का निर्माण
पूरे देश भर की तीसरी और उत्तर भारत के एकमात्र मध्य भारत खादी संघ एक साल में करीब एक करोड़ रुपए के झंडों का उत्पादन करता है. मध्य भारत खाद्य संघ के सचिव रमाकांत शर्मा का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष में अब तक 85 लाख रुपए के झंडों का उत्पादन हो चुका है और उम्मीद है कि 2 महीनों में ये उत्पादन एक करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा.

Gwalior tricolor flying in many parts of country
देश के अलग-अलग कोने लहराता है ग्वालियर में बना तिरंगा
कोरोना महामारी के कारण प्रोडक्शन में कमी
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस उत्पादन पर भी काफी असर देखने को मिला है. प्रोडक्शन कम हुआ है, लेकिन अब धीरे-धीरे हालात सामान्य होते जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस मध्य भारत खाद्य संघ की स्थापना साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला. इस संस्था से मध्य भारत के कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भी जुड़ी रही है. (Republic Day 2022)
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