कोरोना संक्रमित मां से जन्में बच्चों पर होगा शोध, शारीरिक और मानसिक विकास की जांच होगा पैमाना

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Published : Sep 3, 2021, 6:36 PM IST

कोरोना संक्रमित मां से जन्में बच्चों पर होगा शोध

ग्वालियर के जीएमआरसी (GMRC) में कोरोना संक्रमित मां से जन्में बच्चों पर शोध (Research) होने जा रहा है. इस शोध में बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास की जांच की जाएगी.

ग्वालियर। कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) को लेकर तरह-तरह की आशंका जताई जा रही है. अब इसे लेकर एक शोध (Research) ग्वालियर में शुरू किया गया है. शोध में यह पता लगाया जाएगा कि तीसरी लहर बच्चों के लिए कितनी घातक होगी और वायरस बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर क्या प्रभाव डालेगी. ग्वालियर के जीआरएमसी (GMRC) कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने संक्रमित मां से जन्में बच्चों पर शोध शुरू करने की तैयारी कर ली है.

कोरोना संक्रमित मां से जन्में बच्चों पर होगा शोध

संक्रमित हुई मां और बच्चों पर होगा शोध

इस शोध (Research) के जरिए पहली और दूसरी लहर में संक्रमित हुई करीब 800 से अधिक मां से जन्मे बच्चों पर शोध किया जाएगा. इसमें दो बातों का पता लगाया जाएगा. पहला यह कि संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में मां से बच्चों में संक्रमण पहुंचा या नहीं. दूसरा जिन बच्चों में संक्रमण पहुंचा उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर कितना प्रभाव पड़ा है. शोध का मुख्य कारण यह है कि आने वाली तीसरी लहर के दौरान गर्भवती मां के पेट में पल रहे शिशु पर वायरस का प्रभाव होने से रोका जा सके.

5 डॉक्टर्स की टीम करेगी रिसर्च

जीएमआरसी (GMRC) मध्य प्रदेश में यह पहला मेडिकल कॉलेज (Medical College) होगा, जिसके डॉक्टर वायरस पर शोध (Research) करने की तैयारी कर चुके हैं. जीआरएमसी कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय गौड़ ने 5 डॉक्टरों की टीम तैयार की है. एथिकल कमेटी से स्वीकृति मिलने मिलने के बाद शोध की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इसके साथ ही माताओं और बच्चों की लिस्ट भी तैयार की गई है, जो कोरोना की पहली और दूसरी लहर में गर्भवती थी और उन्होंने शिशु को जन्म दिया. इस लिस्ट में सिर्फ ग्वालियर जिले की शिशुओं को शोध के लिए बुलाया जा रहा है. करीब 200 बच्चों पर यह शोध किया जा रहा है.

शोध के जरिए क्या-क्या पता लगाया जाएगा?
पहली और दूसरी लहर में मां से बच्चों में संक्रमण पहुंचा है या नहीं?
जिन बच्चों में संक्रमण पहुंचा है उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर कितना प्रभाव पड़ा?
सामान्य मां से जन्मे बच्चों की तरह शिशुओं के दिल, गुर्दे और फेफड़े काम कर रहे हैं या नहीं?
गर्भवती महिला जब संक्रमण का शिकार बनी, तो उसे अन्य महिलाओं की अपेक्षा क्या परेशानियां बढ़ी?
गर्भ में पल रहे शिशु में खून का संचार ठीक से हुआ या नहीं?

कोरोना काल में ग्वालियर में 1 हजार महिलाओं की हुई डिलीवरी
580 गर्भवती महिलाओं की हुई थी सामान्य डिलीवरी
420 गर्भवती महिलाओं की हुई थी सिजेरियन डिलीवरी
22 गर्भवती महिलाएं ऐसी थी जिनकी डिलीवरी के दौरान मौत हो गई
डिलीवरी के दौरान 119 माहिला पाई गई थी संक्रमित
डिलीवरी के बाद 54 शिशुओं में पाया गया था संक्रमण

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शोध में बच्चों की स्क्रीनिंग और न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट होगा

ग्वालियर में पहली और दूसरी लहर के दौरान जन्में बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी. इस स्क्रीनिंग में बच्चों के शारीरिक विकास जैसे लंबाई, चौड़ाई, वजन, शरीर के अंग, सिर का नाप, मस्तिष्क का विकास जैसे पहलू देखे जाएंगे. वायरस के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सावधानी और किन दवाओं की आवश्यकता होगी, इसका पता लगाया जा सकेगा. हर महीने बच्चों की स्क्रीनिंग करके यह देखा जाएगा कि उनमें क्या परिवर्तन आ रहा है.

हर महीने होगी बच्चों की स्क्रीनिंग

शोध कर रहे डॉक्टर का कहना है कि पहली लहर में संक्रमित मां से जन्मे बच्चों की उम्र अब करीब 6 महीने से अधिक हो चुकी है. अगर बच्चों में लक्षण देखने को मिलेंगे तो उनका न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट कराकर एंटीबॉडी का पता लगाया जाएगा. शोध करने वाले पीडियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय गौड़ का कहना है कि "कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में संक्रमित मां से जन्मे बच्चों पर कोविड का कितना प्रभाव है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर कितना प्रभाव पड़ता है और उससे बचने के लिए क्या सावधानियां रखनी चाहिए. इसकी जानकारी शोध के जरिए पता की जा रही है ताकि आगे आने वाले समय में पहले से ही इसका इलाज किया जा सके."

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