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ग्वालियर में चिपको आंदोलन, पेड़ों को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने बनाई मानव श्रृंखला

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Published : Jan 11, 2023, 10:20 PM IST

gwalior chipko movement
ग्वालियर में पर्यावरण प्रेमियों ने बनाई मानव श्रृंखला

शहरीकरण ने लगातार जंगलों को सफाया किया है इसके लिए चलाए गए आंदोलन ज्यादा असर नहीं डाल पाए हैं. एक बार फिर ग्वालियर में लगातार पेड़ो की कटाई पर पर्यावरण प्रेमी चिपको आंदोलन पर उतर आए हैं.

ग्वालियर में पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन

ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड का थाटीपुर पुनर्गठन प्रोजेक्ट फिर विवादों में आ गया है. हाउसिंग बोर्ड प्रोजेक्ट में बाधा आ रहे पेड़ों की शिफ्टिंग करा रहा हैं. इस दौरान पेड़ की जड़ों को जमीन से निकालकर उसे बांधकर घसीटा जा रहा है, जिस पर प्रकृति प्रेमियों ने आपत्ति जताते हुए चिपको आंदोलन शुरू कर दिया है. जिसमें 4000 से ज्यादा पेड़ों को बचाने के लिए शहर के पर्यावरणविद् मैदान में हैं, उनके साथ सैकड़ों युवा भी जुड़ गए है. जिन्होनें ग्वालियर के ठाठीपुर पर पहले मानव श्रंखला बनाई फिर उन पेड़ों तक मार्च तक निकाला फिर उन पेड़ों से चिपट गए है. साथ ही नारेबाजी कर रहे है, वह इन पेड़ों को नहीं कटने देंगे.

प्रकृति प्रेमियों का आक्रोश: पर्यावरणविदों का कहना है कि कंस्ट्रक्शन कंपनी ने प्रोजेक्ट एरिया में कई बड़े पेड़ जड़ समेत उखाड़ दिए गए और फिर उन्हें जेसीबी या क्रेन से घसीटकर दूसरी जगह लगा दिया गया है, तो कुछ को फेंक दिया. उच्च न्यायालय ने 1080 पेड़ों में से सिर्फ 79 को काटने और 329 को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने के आदेश दिए थे. जिसका पालन नहीं किया जा रहा है, ऐसे पर्यावरणविदों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है तो वहीं एसपी कलेक्टर से कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है.

1 लाख पेड़ हुए साफ: पिछले दस सालों में शहरीकरण के लिए करीब 1 लाख से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं. जिसकी पूर्ति करने के लिए चलाए गए पौधरोपण के अभियान उतने सफल नहीं हुए जितने की अपेक्षा की जा रही थी. इसके बावजूद डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट हमें कई बार चेता भी चुकी है. बावजूद इसके हमने आने वाली पीढियों के लिए सड़कों पर छांव नहीं छोड़ी. अब हालत ये है रेलवे स्टेशन 213, थाटीपुर योजना में 368 के बाद अब एयरपोर्ट के विस्तार में लगभग 600 पेड़ काटे जाने वाले हैं.

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कॉलोनियां निगल रही पेड़: ग्वालियर शहर में पिछले दस वर्षों में वैध कॉलोनियां करीब 200 और अवैध कॉलोनियां करीब 600 काटी जा चुकी हैं. इनमें से एक कॉलोनी पर औसत 50 पेड़ काटने का अनुमान लगाया जाए तो यह आंकड़ा करीब 40 हजार के आंकड़े तक पहुंचता है. जिसके नुकसान की पूर्ति कुछ अपवाद छोड़ दिए जाएं तो नहीं हो सकी है. वहीं शहर के आसपास जहां से भी हाईवे निकलने और चौड़ीकरण हुआ. वहां हजारों की संख्या में वृक्षों को कटवा दिया गया. लेकिन इनके स्थान पर पौधरोपण कागजों में ही सिमट कर रह गया.

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