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चंबल नदी किनारे बसे गांवों में आई बाढ़, अपनी जान बचाकर भागे ग्रामीण

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Published : Sep 16, 2019, 11:46 PM IST

कोटा बैराज डैम से पानी छोड़े जाने के बाद चंबल नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ आ गई है, लोग अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं. रहवासी अपने सामन के साथ कई घंटों से नेशनल हाईवे किनारे बैठ रहे.

चंबल नदी किनारे बसे गांवों में आई बाढ़

ग्वालियर। राजस्थान के कोटा बैराज डैम से पानी छोड़े जाने के बाद चंबल नदी का रौद्र रूप लेती जा रही है. जिसकी वजह से चंबल अंचल कई गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. कई गांव तो ऐसे हैं, जो पूरी तरह बाढ़ के पानी से बह चुके हैं. लोग गांव से निकलकर बाहर रोड पर अपने पूरे परिवार के साथ आ चुके हैं. लेकिन प्रशासन यह दावा कर रहा है कि रेस्क्यू टीम के जरिए राहत और बचाव का कार्य जारी है.

चंबल नदी किनारे बसे गांवों में आई बाढ़


चंबल नदी के समीप बसा भानपुर गांव में बाढ़ आने से लोग अपनी जान बचकर भाग रहे हैं. लोग अपने- अपने समान और परिवार के साथ नेशनल हाईवे किनारे बैठ हुए है. लोगों का कहना है कि प्रशासन अभी तक उनके गांव में नहीं पहुंचा है. पूरा गांव बाढ़ के पानी से भरा हुआ है, लोग किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से भाग रहे हैं.

Intro:ग्वालियर- कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद चंबल नदी का रौद्र रूप लेती जा रही है जिसकी वजह से चंबल अंचल की एक सैकड़ा से अधिक गांव में बाढ़ जैसे हालात बन गये है कई गांव तो ऐसे हैं जो पूरी तरह बाढ़ के पानी से बह चुके हैं। गांव के लोग गांव से निकलकर बाहर रोड पर अपने पूरे परिवार के साथ आ चुके हैं लेकिन प्रशासन यह दावा कर रहा है कि रेस्क्यू टीम के जरिए राहत और बचाव का कार्य जारी है लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने एक गांव में पड़ताल की तो पता चला कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए अभी तक प्रशासन का कोई भी व्यक्ति उनके पास नहीं पहुंचा है।


Body:बता दें चंबल नदी के समीप बसा भानपुर गांव में बाढ़ के हालात ऐसे हैं कि लोग घरों को खाली कर कर अपने पशुओं और बच्चों, परिवार के साथ अपने पूरे सामान को बाहर निकालकर सड़क किनारे बैठे हुए हैं। लेकिन प्रशासन यह दावे कर रहा है। रेस्क्यू की टीम हर गांव में तैनात है लोगो को घरों से बाहर निकाला जा रहा है।लेकिन तस्बीर को देखकर साफ होता है कि प्रशासन के दावे झूठे नजर आ रहे हैं। भानपुर गांव का यह प्रभाव नेशनल हाईवे पर अपने सामान को लेकर घंटों से बैठा हुआ है नहीं उसने खाना खाया है। उसका कहना है कि प्रशासन अभी तक उसके गांव में नहीं आया है पूरा गांव बाढ़ के पानी से भरा हुआ है लोग किसी तरह अपनी जान बचाकर घर से बाहर जा रहे हैं।


Conclusion:wt - अनिल गौर
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