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Gwalior Sikh Diwali: सिखों की दीपावली का ग्वालियर से है खास नाता, जानिए क्या है 'दाता बंदी छोड़' की रोचक कहानी

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Published : Oct 19, 2022, 10:40 PM IST

24 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा. दिवाली से पहले घरों में साफ-सफाई और साज सज्जा शुरू हो गई है. हिंदू धर्म में दीपावली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि सिख समुदाय भी दीपावली उत्सव बड़े ही उत्साह से मनाते हैं. सिखो में दीपावली मनाने की शुरूआत मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले से हुई थी, जिसके पीछे एक बड़ी हो रोचक कहानी है. (gwalior sikh diwali) (sikhs diwali festival relation with gwalior) (sikhs start diwali from gwalior) (know story of daata bandi chod gurdwara) (diwali 2022)

Gwalior Sikh Diwali
सिखों की दिवाली

ग्वालियर। दीपावली का त्योहार आने वाला है और इस त्यौहार को हिंदू धर्म बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं, क्योंकि हिंदू धर्म के लिए यह दिवाली का त्योहार आस्था और संस्कृति से जुड़ा हुआ है. भगवान राम ने अधर्म पर सत्य की पताका लहराई थी, लेकिन आपको जानकार यह भी आश्चर्य होगा कि यह दीपावली जितनी हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखती है, उतना ही सिख समाज के लिए ये दीपावली महत्व रखती है. वे त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन सबसे खास बात यह है कि सिख धर्म की दीपावली से ग्वालियर का एक गहरा रिश्ता है. कहा जाता है कि सिख धर्म की दीपावली मनाने की शुरुआत इसी ग्वालियर से हुई थी. इसके पीछे की कहानी क्या है और ग्वालियर से इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई. जानिए इस रोचक कहानी के बारे में. (gwalior sikh diwali) (sikhs diwali festival relation with gwalior)

Gwalior Sikh Diwali
ग्वालियर किले के अंदर दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ का इतिहास: बता दे ग्वालियर के विश्व प्रसिद्ध किले की ऊंचाई पर एक बड़े हिस्से में ऐतिहासिक गुरुद्वारा, जिसे दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा के नाम से पूरे देश भर में जाना जाता है. इस गुरुद्वारे के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है और यही से सिख समाज की दीपावली मनाने की शुरुआत हुई थी. कहा जाता है कि जब सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए मुगल शासक जहांगीर ने सिखों के छठे गुरु हरगोविंद साहिब को बंदी बनाकर ग्वालियर के किले में कैद कर दिया था और उस समय पहले से ही 52 हिंदू राजा कैद थे. गुरु हरगोविंदजी जब जेल में पहुंचे तो सभी राजाओं ने उनका स्वागत किया, लेकिन गुरु हरगोविंद साहिब जी को बंदी बनाने के बाद जहांगीर बीमार पड़ गया. तभी जहांगीर के काजी ने सलाह देते हुए कहा कि आप की बीमारी की वजह एक सच्चे गुरु को किले में कैद करना है. जहांगीर अपने काजी की बात को सुनकर आश्चर्य रह गया और उस समय काजी ने कहा अगर आप एक सच्चे गुरु को रिहा नहीं करेंगे, तब तक आप की अब बीमारी बढ़ती जाएगी.

सिखों की दिवाली का ग्वालियर से रिश्ता

52 हिंदू राजाओं को जहांगीर की कैद से आजाद कराने वाले मसीहा की जयंती आज

जहांगीर की चालाकी समझ गुरु हरगोविंद ने मानी शर्त: काजी की बात को सुनकर जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब को छोड़ने का आदेश जारी किया, लेकिन गुरु हरगोविंद साहिब ने अकेले रिहा होने से इंकार कर दिया. गुरु हरगोविंद साहिब जी ने अपने साथ सभी 52 हिंदू राजाओं को भी रिहा कराने की शर्त रखी. शर्त को स्वीकार करते हुए जहांगीर ने भी एक अनोखी शर्त रख दी, उसकी शर्त थी कि किले से गुरु जी के साथ सिर्फ वही राजा बाहर जा सकेंगे, जो सीधे गुरुजी का कोई अंग या कपड़ा पकड़े हुए होंगे. जहांगीर सोच रहा था कि एक साथ सभी राजा गुरु जी को छू नहीं पाएंगे और इस तरह बहुत से राजा इस किले में कैद ही रहेंगे. जहांगीर की चालाकी को गुरु हरगोविंद साहिब पूरी तरह समझ चुके थे, उन्होंने मुस्कुराते हुए जहांगीर की इस शर्त को मान लिया.

Gwalior Sikh Diwali
दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा

52 कलियों का कुर्ता सिलवाया था गुरु हरगोविंद सिंह ने: उसके बाद गुरु हरगोविंद साहिब ने एक विशेष कुर्ता सिलवाया. जिसमें 52 कलियां बनी हुई थी. इस तरह एक-एक कली को पकड़े हुए सभी 52 राजा किले से आजाद हो गए. 52 राजाओं को इस दाताबंदी छोड़ से एक साथ छुड़वाया गया था, इसलिए इस गुरुद्वारे को दाता बंदी छोड़ भी कहा जाता है. जहां लाखों की तादात में सिख धर्म के अनुयायी अरदास करने के लिए पहुंचते हैं. यहां पर देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्वभर से सिख धर्म के लोग छठवे गुरु हरगोविंद साहिब के गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए आते हैं.

Gwalior Sikh Diwali
ग्वालियर किला

हिंदू राजाओं को बंदी से रिहा कराने पर मनाते हैं दीपावली का त्योहार: इसके साथ ही गुरु हरगोविंद साहिब ने कार्तिक की अमावस्या यानी दीपावली के दिन 52 हिंदू राजाओं को अपने साथ जेल से बाहर निकाला था, तभी से सिख धर्म के लोग इसे दीपावली के रूप में मनाते हैं और कार्तिक माह की अमावस्या को दाता बंदी छोड़ दिवस भी मनाया जाता है. वही दिवाली के 2 दिन पहले सिख समुदाय के अनुयायी धूमधाम से यहां से अमृतसर स्वर्ण मंदिर पहुंचते हैं और दिवाली के दिन वहां भी प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि गुरु हरगोविंद साहिब रिहा होने के बाद सीधे स्वर्ण मंदिर गए थे. (gwalior sikh diwali) (sikhs diwali festival relation with gwalior) (sikhs start diwali from gwalior) (know story of daata bandi chod gurdwara) (diwali 2022)

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