ग्वालियर। कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी शनिवार को एक दिवसीय दौरे पर ग्वालियर चंबल अंचल पहुंचे. जहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए सीएम शिवराज सिंह, आरएसएस और सिंधिया पर सवाल खड़े किए. पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए कहा, ''ईमानदारी और राष्ट्रीयता की बात करने वाला संघ बीजेपी की सौदेबाजी और लोकतंत्र की हत्या पर मोहन भागवत चुप क्यों थे. सबसे पहले देश होता, संविधान होता है, जब इसको तार-तार किया जा रहा था, इसकी होली जलाई जा रही थी तब संघ चुप क्यों था.''
'मतगणना के बाद शिवराज को देना पड़ेगा इस्तीफा'
पूर्व मंत्री ने कहा, ''भाजपा ने चुनाव, वोट और विधायकों की मंडी लगा दी है. चुनाव नतीजे 10 तारीख को आएंगे लेकिन आप तो चुनाव परिणाम आने के पहले ही खरीद फरोख्त करने लगे.'' पटवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा, ''देश की सरकार के कहने पर प्रदेश की सरकार को गिराने में प्रदेश के नेता लगे थे. लेकिन जनता ऐसे लोगों को सबक सिखाएगी. मतगणना के बाद तो शिवराज सिंह को इस्तीफा देना पड़ेगा. तैयार रहें लिख कर दे रहा हूं.''
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सिंधिया पर साधा निशाना
जीतू पटवारी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधते हुए कहा, ''हमारे यहां थे तो महाराजा थे, अब क्या हो गए हैं. कभी कहते हैं मैं टाइगर हूं, कभी कौवा और कभी जो शब्द वो इस्तेमाल करते हैं, उसे मैं नहीं करना चाहता ये उनकी गरिमा के खिलाफ है, कभी हमारे भी नेता रहे हैं.''
दमोह को छोड़कर 28 सीटों पर हुआ मतदान
फिलहाल, एमपी विधानसभा की 29 विधानसभा सीटें खाली हैं. दमोह सीट कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी के इस्तीफे से खाली हुई है. राहुल लोधी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, इसलिए दमोह सीट पर परिस्थितियों के हिसाब से चुनाव नहीं कराया गया. लिहाजा फिलहाल 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई.
क्यों बनी एमपी में उपचुनाव की स्थिति
करीब नौ माह पहले राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत की थी. वे अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे. बाद में तीन और कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो गए, जबकि तीन विधायकों के निधन के चलते सूबे में उपचुनाव की स्थिति बनी है.
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ग्वालियर चंबल में सिंधिया की साख दांव पर
ये उपचुनाव बीजेपी से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख का चुनाव बन गया है, क्योंकि कांग्रेस से बगावत करने के बाद उन्हें अपने फैसले को सही साबित करना है, जबकि कांग्रेस ने सिंधिया की बगावत को 'बिकाऊ और गद्दार ' का मुद्दा बनाकर भुनाने की पूरी कोशिश की है. चुनाव प्रचार के दौरान 'टिकाऊ और बिकाऊ' का मुद्दा जमकर गूंजा. 28 सीटों में 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की हैं, जो सिंधिया की के प्रभाव वाली मानी जाती हैं. शायद यही वजह है कि उपचुनाव के प्रचार में सीएम शिवराज ने 84 और सिंधिया ने 41 जनसभाएं कीं, जबकि कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ ने मोर्चा संभाला और 39 सभा की हैं.
विधानसभा की वर्तमान स्थिति
मध्यप्रदेश में कुल 230 सीटें हैं. सत्ताधारी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 87 विधायक हैं. वहीं दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायक हैं. दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. लिहाजा वर्तमान में बीजेपी को बहुमत के लिए महज 8 सीटों की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के लिए सभी 28 सीटें जीतनी होंगी.