कहीं अर्शदीप को फर्श पर लाने की साजिश तो नहीं, आखिरी ओवर में अर्शदीप को बचाने के लिए नहीं मिले थे पर्याप्त रन

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Published : Sep 5, 2022, 10:32 PM IST

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भारत के युवा बायें हत्था गेंदबाज अर्शदीप के साथ रविवार को मैदान में कैच छोड़ने के बाद जो कुछ हो रहा है. उसके लिए भारत के सीनियर क्रिकेटरों को उसके समर्थन में आगे आना चाहिए. अगर इस समय उसकी हौसलाअफजाई नहीं की गई तो उसका आत्मविश्वास डगमगा जाएगा. दबाव में आगे मैचों में उसका प्रदर्शन भी प्रभावित हो सकता है. (guna conspiracy against arshadeep)

गुना/ हैदराबाद। भारत के बायें हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज अर्शदीप के साथ सोशल मीडिया पर जो कमेंटबाजी और किस्से चल रहे हैं, उन्हें किसी भी तरह से उचित नहीं कहा सकता. इसी खिलाड़ी ने अंडर 19 विश्व कप में भारत को जीत का सेहरा बंधवाया था. उसके बाद सीनियर टीम इंडिया में अपने शानदार प्रदर्शन के बल पर स्थान बनाया. ऐसे खिलाड़ी पर इस तरह के आरोप गढ़ना समझ से परे है. "क्रिकेट बाई चांस" इस कहावत से तो सभी भली भांति परिचित होंगे. फिर एक कैच छूट जाना इस खेल में तो आम बात है. माना कि कैच आसान था और उससे मैच पर बहुत फर्क भी पड़ा लेकिन उसके लिए किसी युवा खिलाड़ी पर आतंकवादी जैसे कमेंट करना उसके कैरियर को डेंट या यूं कहें खत्म के लिए हतोत्साहित करने के सिवाय और कुछ नहीं है. (dent arshadeep carrier delivered good last over)

अर्शदीप ने की थी सबसे किफायती गेंदबाजीः अर्शदीप ने पाकिस्तान के खिलाफ पहले लीग मैच और उसके बाद रविवार को खेले गए सुपर फोर मैच में भी शानदार गेंदबाजी की थी। सुपर फोर के मैच में सिर्फ अर्शदीप ही एकमात्र किफायती (3.5-0-27-1) तेज गेंदबाज थे। दूसरे अनुभवी तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार और हार्दिक पांडया ने तो इस मैच में अपने 4 ओवरों में 40 और 44 रन लुटा दिए थे. भारत और पाकिस्तान का कोई भी मुकाबला हो उसमें हर खिलाड़ी पर अन्य मैचों की तुलना में सर्वाधिक दबाव होता है. ऐसे में किसी भी खिलाड़ी से इस तरह का कैच छूट सकता है. यह कैच छूटने के बावजूद अर्शदीप ने आखिरी ओवर इतने दबाव में भी अच्छा डाला था. भुवी ने उनके लिए इस ओवर में अगर 12 रन भी छोड़े होते तो शायद मैच का परिणाम कुछ और होता। आखिरी दो ओवरों में पाकिस्तान को 26 रन चाहिए थे. इसमें से 19 रन तो अकेले भुवी ने 19वें ओवर लुटा दिए थे. अर्शदीप को सिर्फ 7 रन बचाने के लिए मिले थे. लेकिन उसके लिए भी उन्होंने पाकिस्तानी बल्लेबाजों को 5वीं गेंद तक रोके रखा था.(guna conspiracy against arshadeep)

इस हार के लिए भुवी और राेहित भी जिम्मेदारः अगर जिसे भी क्रिकेट का थोड़ा सा ज्ञान है. वह भुवी के 19वें ओवर को ही इस हार के लिए ज्यादा जिम्मेदार ठहराएगा. भुवी को डेथ ओवर का विशेषज्ञ माना जाता माना है. इसके बाद भी उन्होंने अपने इस ओवर में एक भी यार्कर का प्रयोग नहीं किया। अंतिम ओवरों में यह उनका प्रमुख हथियार है. उन्होंने सभी गेंदे स्लोवर या लेग कटर फेंकी. अगर यार्कर की कोशिश में कोई गेंद फुल्टास भी होती भी तो लो फुल्टास में भी चौके छक्के लगाना आसान नहीं होता. इसी तरह अर्शदीप को भी अंतिम ओवर में यार्कर डालने में महारथ हासिल है. उन्होंने आईपीएल में अपने इस ब्रह्मास्त्र से विश्व क्रिकेट के बड़े बड़े बल्लेबाजों को घुटनों पर ला दिया था. इसी प्रदर्शन की दम पर ही उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली थी. अर्शदीप ने भी अपने अंतिम ओवर में यार्कर तो डाली लेकिन ओवर द विकेट. उन्हें इस पर विकेट भी मिला। लेकिन उनकी सबसे बड़ी ताकत राइट हैंड बल्लेबाज को राउंड द विकेट यार्कर डालना है. जिसका उन्होंने इस आखिरी ओवर में उपयोग नहीं किया। रोहित भी इसके लिए बराबर के जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने दोनों ही गेंदबाजों खासकर भुवी को यार्कर डालने के लिए क्यों नहीं कहा. अगर भुवी गेंदों का मिक्सअप करते तो बल्लेबाज को छका सकते थे.

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