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Damoh News: विक्की रोहित आत्महत्या मामले में दलितों ने खोला मंत्री प्रहलाद पटेल व सरकार के खिलाफ मोर्चा

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Published : Jul 4, 2023, 5:10 PM IST

दमोह में विक्रम रोहित आत्महत्या मामले में परिजनों एवं समाज के लोगों ने धरना देकर केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल व राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. यह मामला अब भाजपा के लिए अब गले की फांस बन गया है. धरना प्रदर्शन में भाजपा, कांग्रेस तथा आप के नेता भी मौजूद रहे.

Vicky Rohit suicide case
दलितों ने खोला मंत्री प्रहलाद पटेल व सरकार के खिलाफ मोर्चा

दलितों ने खोला मंत्री प्रहलाद पटेल व सरकार के खिलाफ मोर्चा

दमोह। राशन दुकान के सेल्समैन विक्रम उर्फ विक्की रोहित आत्महत्या मामले में गृह मंत्री द्वारा सीआईडी जांच के आदेश दिए जाने के विरोध में मृतक के परिजनों एवं दलित समाज के लोगों ने अस्पताल चौराहे पर धरना देकर प्रदेश सरकार, केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ प्रदर्शन किया. दरअसल, यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मृतक द्वारा छोड़े गए 2 पेज के सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने सांसद प्रतिनिधि यशपाल ठाकुर, मोंटी रैकवार सहित 5 लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया. इस मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल एफआईआर के पहले ही एसपी को मामले की गंभीरता से जांच करने की आदेश दे चुके थे. लेकिन पुलिस ने 5 लोगों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया.

ऐसे शुरू हुआ विवाद : मामला दर्ज होने के बाद पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के निवास पर धर्मपुरा वार्ड के लोगों ने पहुंचकर एफआईआर से यशपाल ठाकुर का नाम हटाने की मांग की थी. जिसके तुरंत बाद प्रहलाद पटेल ने उसी दिन से पुलिस की किसी भी सेवा लेने का बहिष्कार करते हुए एसपी की आलोचना की थी. प्रहलाद पटेल का यह बयान आने के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सीआईडी जांच के आदेश दिए थे. वहीं, मृतक के परिजन पहले दिन से ही आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. अब गिरफ्तारी न होने के विरोध में उन्होंने धरना दिया.

प्रहलाद पटेल के खिलाफ नारेबाजी : दलित समाज के लोगों ने प्रहलाद पटेल हटाओ दमोह बचाओ के नारे लगाए. इस मौके पर वक्ताओं ने प्रहलाद पटेल पर जातिवाद के भी आरोप लगाए. मृतक के भाई ने भी आरोप लगाया कि केवल गिने-चुने कार्यकर्ताओं को ही तवज्जो क्यों दी जा रही है? जबकि वह बाप दादा के जमाने से भाजपा में हैं. ऐसे में उनके साथ अत्याचार क्यों किया जा रहा है. इस धरना प्रदर्शन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा सरकार द्वारा जो जांच के आदेश दिए गए हैं, उसी के विरुद्ध भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी इस धरना प्रदर्शन में शामिल हुए.

बीजेपी नेता सिद्धार्थ भी उतरे विरोध में : दमोह उपचुनाव में लगे आरोपों के बाद भाजपा से निष्कासित होने तथा कुछ दिन पहले ही पार्टी में वापसी करने वाले सिद्धार्थ मलैया भी इस धरने में शामिल हुए. उन्होंने इशारों ही इशारों में प्रहलाद पटेल पर भी निशाना साधा. राजनीति के जानकारों का कहना है कि ऐसा करके उन्होंने अपनी संभावित टिकट को खतरे में डाल दिया. प्रहलाद पटेल और प्रदेश सरकार से भी सीधा पंगा ले लिया है. ऐसे में पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया की उन प्रयासों को धक्का लग सकता है, जिसमें वह सिद्धार्थ के लिए टिकट दिलाने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं.

प्रहलाद ने किया दलितों को नाराज : यह सारा फसाद उस समय शुरू हुआ जब केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने पुलिस के विरुद्ध मामला दर्ज करने को लेकर बयान दिया. जिसके बाद से लगातार दलित समाज के लोग प्रहलाद पटेल के विरुद्ध सोशल मीडिया पर जंग छेड़े हुए हैं. इस घटनाक्रम के बाद दमोह संसदीय क्षेत्र में निर्णायक भूमिका में मौजूद दलित वोट बैंक न केवल प्रहलाद पटेल बल्कि संसदीय क्षेत्र की 8 सीटों पर बीजेपी के लिए भी बायकाट करके घातक साबित हो सकता है. ऐसे में भाजपा को फूंक-फूंककर कदम रखने की आवश्यकता है.

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पुलिस पर दवाब डालना गलत : इस मामले को कांग्रेस ने बखूबी भुनाते हुए आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया और केंद्रीय मंत्री और प्रदेश सरकार को निशाने पर लेने से नहीं चूके. इस अवसर पर भाजपा नेता सिद्धार्थ मलैया ने कहा कि यह आंदोलन इसलिए है, क्योंकि परिजनों और समाज के लोगों का मानना है कि जिस तरह से न्यायिक प्रक्रिया चल रही है, उसमें हस्तक्षेप किया गया. परिवार का यह मानना है जिनको हम आरोपी मानते हैं, वह दोषी सिद्ध होंगे या नहीं होंगे, यह न्यायालय तय करेगा. इस बीच जिम्मेदार (प्रहलाद पटेल) अगर टीका टिप्पणी करके दबाव डालते हैं तो यह नैसर्गिक न्याय का हनन है.

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