दमोह। कहते हैं कि पेट की भूख सबसे बुरी होती है. यह इंसान से जो न करवाए कम है. ऐसा ही एक मामला नगर के अस्पताल चौराहा से निकल कर सामने आया. यहां से 4 साल की एक मासूम बच्ची को कुछ लोग भंडारे का प्रलोभन देकर उसे अगवा कर ले गए. जब बीमार बाप को इस बात का एहसास हुआ तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. अब बीमार पिता अपनी बेटी की वापसी के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है. लेकिन वकील के आवेदन पर पुलिस हरकत में आई और लापता बच्ची को खोजने में लग गई है.
जानिए कैसे हुई बच्ची लापता: पन्ना जिले के सिमरिया क्षेत्र का पूरनलाल रजक अपनी तंगहाली से परेशान होकर मजदूरी करने मथुरा जाने के लिए 3 जुलाई को घर से निकला था. चूंकि पन्ना जिले से रेल लाइन का साधन उपलब्ध नहीं है. इसलिए वह दमोह आया और यहां से ट्रेन पकड़कर मथुरा जाने के लिए बस स्टैंड पर उतर गया. जब वह घूमते हुए अस्पताल चौराहा पहुंचा तो पास में जय गुरुदेव के नारे लग रहे थे और वहां पर भंडारा चल रहा था. लाचार पिता अपनी बेटी के साथ भोजन की लालसा में भंडारे में पहुंच गया. वहां पर उसने खाना खाया. इसी दौरान गुलाबी कपड़े पहने एक युवक और एक युवती उसके पास पहुंचे और किसी अस्पताल में ले जाकर भर्ती कर दिया. उसे दाखिल कराने के बाद वह दोनों उसकी 4 साल की मासूम बेटी को अगवा करके लापता हो गए.
पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाता रहा पिता: काफी देर तक जब उसकी बेटी नहीं आई तो उसने उसे खोजना शुरू किया. लगातार खोजने के बाद भी जब उसका कहीं अता पता नहीं चला तो वह कोतवाली थाने पहुंचा और पुलिस को पूरी आपबीती सुनाई. लेकिन पुलिस ने न तो कोई मामला दर्ज किया और न ही मासूम को खोजने की कोशिश की. करीब 1 माह से अधिक से वह लगातार अपनी बेटी को खोजता रहा, पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाता रहा.
वकील के आवेदन पर पुलिस हुआ अलर्ट: जब उसकी सुनवाई नहीं हुई तो वह एक अधिवक्ता के पास पहुंचा और अपनी आपबीती सुनाई. तब अधिवक्ता ने उसका एक आवेदन बनाया और खुद उसके साथ एसपी ऑफिस पहुंचकर पुलिस अधीक्षक को सारे मामले से अवगत कराया. इसके बाद पुलिस अधीक्षक सुनील तिवारी ने तुरंत ही कोतवाली पुलिस को मामला दर्ज करने और उसकी बेटी को खोजने के निर्देश कोतवाली पुलिस को दिए. पूरन पिछले कुछ समय से लकवा ग्रस्त है और ठीक तरह से चलने फिरने में भी असमर्थ है. ऊपर से घर में खाने के लाले पड़े हैं.
बच्ची को लेकर नहीं बरती जाएगी कोई कोताही: पूरन पिछले कुछ समय से लकवा ग्रस्त है और ठीक तरह से चलने फिरने में भी असमर्थ है. ऊपर से घर में खाने के लाले पड़े हैं. यही सोचकर वह मथुरा के लिए घर से तो निकला लेकिन मथुरा पहुंचने से पहले उसकी बेटी उससे जुदा हो गई. लकवा ग्रस्त पूरन की पत्नी और एक बेटा पहले ही एक दुर्घटना में चल बसे. उसी सदमे में वह भी लकवा ग्रस्त हो गया. अब परिवार के नाम पर उसकी 4 साल की मासूम बेटी उसका सहारा है. इस मामले में पुलिस अधीक्षक सुनील तिवारी का कहना है कि "मेरे संज्ञान में अभी यह मामला आया है. मैंने कोतवाली पुलिस को मामला दर्ज करने और बेटी को तलाश करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में कोई भी कोताही नहीं बरती जाएगी.''