छिन्दवाड़ा। पुलिस विभाग में सिपाही की नौकरी कर रहे अनिल विश्वकर्मा (Anil Vishwakarama) ने अपनी बड़ी बेटी सोना के तीसरे जन्मदिन पर (Birthday Gift Piano) पियानो गिफ्ट किया था, अनिल विश्वकर्मा संगीत के शौकीन हैं, पर वह कभी संगीत नहीं सीख पाए, इसलिए वे अपनी बेटियों को संगीत सिखाना चाहते थे, अब बेटियां उनके सपनों को पंख दे रही हैं, उनकी एक बेटी सारा आसमान है तो दूसरी शुद्ध खरा सोना. अनिल विश्वकर्मा की बड़ी बेटी सात वर्षीय सोना विश्वकर्मा (Piano Player Sona Vishwakarma) जब पियानों पर सुरों के तार छेड़ती है तो वो कानों के रास्ते सीधे दिल में उतर जाती है क्योंकि इस सुर में उसकी छोटी बहन चार वर्षीय सारा ड्रम (Birthday Gift Drum) पर अपना सारा ज्ञान उड़ेल देती है. दोनों बहनें जब सुर-ताल के साथ कदमताल करती हैं तो बरबस ही हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
सोना सारा सिस्टर्स बैंड के सुर-ताल कर देंगे दीवाना
बड़ी बेटी सोना को जब पिता ने जन्मदिन पर पियानो तोहफे में दिया तो अगले कुछ ही महीनों में वो पियानो बजाना भी सीख गई, उसके बाद जब सारा तीन साल की हुई, तब उसके पापा ने उसे जन्मदिन पर बतौर गिफ्ट ड्रम दिया, फिर क्या था, सारा भी अगले 6 महीने तक ड्रम पर हाथ आजमाती रही और जल्द ही वह एक प्रोफेशनल ड्रमर बन गई. अब दोनों बहनों की जुगलबंदी बनी रहे, इसके लिए उन्होंने अपने बैंड का नाम सोना-सारा सिस्टर्स बैंड (Sona Sara Sisters Band) रख लिया. अब बेटियों की संगीत में रुचि देख पिता का सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाता है क्योंकि बेटियां जो उनके सपनों को साकार कर रही हैं, अब पिता भी बेटियों की शिक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं, इसलिए संगीत शिक्षक भी नियुक्त किए हैं, जोकि उन्हें लगातार संगीत की तालीम दे रहे हैं.
लॉकडाउन में रंग लाई दोनों बहनों की जुगलबंदी
सारा-सोना (Drum Player Sara Vishwakarma) के परिवार वाले बताते हैं कि लॉकडाउन में दोनों बहनें लगातार रियाज करती थी, ऐसा करके इन्होंने लॉकडाउन का सही उपयोग किया, वे अक्सर दूसरे काम निपटाकर रियाज करती थी, जिससे घरवालों का मनोरंजन (Entertainmant) भी होता था, इसी के चलते उन्होंने गायकी और संगीत में अपनी अलग पहचान बना ली.
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3 साल की उम्र से शुरू किया गाना-बजाना
सोना विश्वकर्मा तीन साल की उम्र से ही पियानो बजाना (Piano Player Sona Vishwakarma) शुरू कर दिया था, लगातार रियाज से इतने कम समय में ही सोना एक प्रोफेशनल पियानो वादक बन गई हैं और अक्सर पियानों की तान पर सुरों की धुन छेड़ती रहती हैं. सोना की उम्र अभी 7 साल है और दूसरी कक्षा में पढ़ती हैं, जबकि उनकी छोटी बहन सारा महज चार साल की है, जोकि यूकेजी में पढ़ती है और उसे भी ड्रम बजाने में महारत हासिल है. दोनों बहनें रोजाना घर में 3 घंटे संगीत का रियाज करती हैं.
पिता के शौक को बेटियों ने दिया नया मुकाम
सारा और सोना के पिता अनिल विश्वकर्मा पुलिस विभाग में सिपाही हैं, बचपन से ही उन्हें संगीत का शौक था, लेकिन वो पूरा नहीं कर पाए, इसलिए उन्होंने अपनी बेटियों को संगीत के लिए मोटिवेट किया और तीन की उम्र में बेटियों के जन्मदिन पर पियानो और ड्रम उपहार में दिया था. ताकि उनकी बेटियां उनके सपनों को नया मुकाम दे सकें.
सोशल मीडिया से शुरूआत के बाद ले रहीं ट्रेनिंग
शुरुआत में दोनों बहनों ने सोशल मीडिया के जरिए देख सुनकर पियानो और ड्रम बजाना शुरू किया था, धीरे-धीरे जब बेटियों को वाद्य यंत्रों की समझ हो गई तो बाद में पिता ने संगीत शिक्षक लगा दिए, जो अब घर पर ही सारा और सोना को संगीत की शिक्षा देते हैं. सारा-सोना बताती हैं कि संगीत शिक्षक सप्ताह में एक बार आते हैं और उन्हें असाइनमेंट देकर चले जाते हैं. उसी पर लगातार रियाज करती हैं, संगीत की दुनिया में नाम कमाने के साथ-साथ अच्छे इंसान भी बनना चाहती हैं.
कई संस्थाएं कर चुकी हैं सम्मानित
बड़ी बहन सोना विश्वकर्मा पियानो बजाने के साथ ही अच्छी गायक भी हैं, उन्होंने मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह कॉर्न फेस्टिवल सहित कई आयोजनों में अपनी प्रस्तुति दी थी, कई संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित भी किया था, वहीं छोटी बहन सारा भी 15 अगस्त को स्टेज शो कर चुकी है.