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Chaitra Navratri 2023: छिंदवाड़ा के षष्ठी देवी मंदिर में बच्चों के कपड़े उतारकर किए जाते हैं अर्पित, जानें क्यों चली आ रही है परंपरा

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Published : Mar 28, 2023, 10:04 AM IST

Shashti Devi temple
षष्ठी देवी मंदिर

छिंदवाड़ा जिले में एक मंदिर ऐसा है, जहां देवी के सामने बच्चों के कपड़े उतारकर अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को किसी भी प्रकार की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है.

छिंदवाड़ा। कहते हैं कि जहां आस्था और विश्वास हो, वहां लोग खिंचे चले आते हैं. ऐसा ही एक मंदिर है छिंदवाड़ा जिले के कपुरदा में. जहां षष्ठी माता के मंदिर में आस-पास के हजारों लोगों की अटूट आस्था है. माना जाता है कि इस मंदिर में देवी षष्ठी के सामने बच्चों के कपड़े उतारकर अर्पित करने से उनको हर प्रकार की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है.

Shashti Devi temple
बच्चों के कपड़े उतारकर किए जाते हैं अर्पित

कुएं से निकलीं 6 मूर्तियां: कपुरदा के जिस खेत में यह मंदिर बना है, उसके मालिक और ट्र्स्टी शंकर श्रीवास्तव ने बताया, 'सन् 1923 में इसी खेत में बने कुएं से देवी की 6 प्रतिमा निकली थीं. इनमें से तीन एक साथ और तीन अलग-अलग मिली थीं.' श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी दादी को सपना आया था कि खेत के कुएं में देवी की मूर्तियां हैं. बार-बार कहे जाने पर उनके दादाजी ने कुएं को साफ कराया तो 6 प्रतिमाएं निकलीं. संख्या में 6 होने की वजह से इनका नाम षष्ठी माता रखा गया. लोगों का मानना है कि यहां जो मुरादें मांगी जाती हैं, पूरी होती हैं.

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कुएं के पानी से नहलाने का महत्व: षष्ठी माता मंदिर के बारे में मान्यता है कि रोगग्रस्त बच्चों को मंदिर लाने के बाद उनके कपड़े उतारकर मैली देवी के पास रख दिए जाते हैं. इन बच्चों को पानी से नहलाया जाता है या पानी लोटे से उतार दिया जाता है. ऐसा करने से रोग अपने आप ठीक हो जाते हैं. श्रद्धालुओं का कहना है, 'माता कुएं से प्रकट हुई थी, इसलिए इसके पानी का विशेष महत्व है. अधिकतर लोग यहां पहुंचकर सबसे पहले इसी पानी से स्नान करते हैं. इसे घरों को लेकर भी जाते हैं.' यूं तो मंदिर में हर दिन सैकड़ों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं लेकिन नवरात्रि में यहां विशेष भीड़ लगती है. यहां आकर भक्त अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित करते हैं और आखिरी दिन विसर्जन करने भी पहुंचते हैं.

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