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छिंदवाड़ा नगर निगम कमिश्नर नहीं मिले तो महापौर ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को क्यों सौंपा ज्ञापन

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 16, 2024, 5:25 PM IST

छिंदवाड़ा नगर निगम में अधिकारियों पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए ज्ञापन देने पहुंचे महापौर को कमिश्नर नहीं मिले तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को ज्ञापन देकर कांग्रेस नेताओं ने नारेबाजी की. कांग्रेस ने विकास कार्यों में लापरवाही के आरोप लगाए हैं. Chhindwara nagar nigam hungama

Chhindwara nagar nigam hungama
महापौर ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को क्यों सौंपा ज्ञापन

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा नगर निगम में कांग्रेस की परिषद है, लेकिन इसके बाद भी विकास के काम ठप हैं. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वच्छता रैंकिंग में नगर निगम 14 नंबर से पिछड़कर 55 वे नंबर पर पहुंच गया है. कांग्रेस ने नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन करते हुए कहा कि कांग्रेस की शहर सरकार नगर के विकास के लिये प्रतिबद्ध है, किंतु निगम के चंद प्रशासनिक अधिकारी राज्य की भाजपा सरकार के इशारों पर जनसरोकार के कार्यों को रोक रहे हैं. उनकी इस कार्यशैली के खिलाफ़ कांग्रेस ने हुंकार भरी.

विकास नहीं करने का आरोप : आरोप है कि प्रदेश की भाजपा सरकार, स्थानीय भाजपा नेताओं और निगम आयुक्त के गठजोड़ ने नगर के विकास, आम जनता के कार्यों, कर्मचारी विरोधी निर्णयों और निगम के चुने हुये जनप्रतिनिधियों को दरकिनार दिया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नगर पालिक निगम छिंदवाड़ा में कांग्रेस की परिषद है. इसीलिये बदले की भावना से राज्य की भाजपा सरकार ने निगम को प्रदान की जाने वाली चुंगी की क्षतिपूर्ति राशि में बड़ी कटौती कर दी है. चुंगी क्षति पूर्ति के मद से 2 करोड़ रुपये शासन द्वारा प्रदान की जाती थी, किन्तु बीते सात माह से बिजली बिल के भुगतान एवं नगर निगम के ऋण के भुगतान हेतु शासन द्वारा प्रति माह लगभग डेढ़ करोड़ की राशि की कटौती की जा रही है, जिससे सम्पूर्ण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

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बीजेपी से मिले हैं कमिश्नर : आरोप है कि नगर निगम आयुक्त भाजपा के स्थानीय नेताओं के इशारों पर कार्य करते हुये सम्पूर्ण जनसरोकार के कार्यों को रोक रहे हैं. उनकी जनविरोधी कार्यशैली के खिलाफ शहर कांग्रेस कमेटी एवं कांग्रेस पार्षद दल के नेतृत्व में स्थानीय फव्वारा चौक पर धरना प्रदर्शन कर जनसरोकार से जुड़े कार्यों को जल्द पूरा किये जाने की मांग की. कांग्रेस नेता जब नगर निगम में ज्ञापन देने पहुंचे तो कमिश्नर नहीं मिले. इसलिए प्यून को ज्ञापन सौंप कर ही वे वापस लौट गए. महापौर विक्रम अहके ने कहा कि आयुक्त अपनी नैतिक जिम्मेदारी को भूल चुके हैं. मोक्षधाम में लकड़ियां नहीं हैं. आवारा मवेशी और श्वानों का शहर में आतंक है. स्वच्छता को लेकर वे पूरी तरह उदासीन हैं.

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