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Mothers Day 2023: बेटा हो तो ऐसा...बीमार मां की खातिर छोड़ दी इंजिनियरिंग की नौकरी, रात-दिन सेवा कर रहे राजेश

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Published : May 14, 2023, 11:40 AM IST

Updated : May 14, 2023, 12:14 PM IST

छतरपुर जिले के नौगांव शहर के वार्ड नंबर 8 में रहने वाले राजेश गुप्ता आज के समय में मां की सेवा करने में मिसाल कायम की है. सन 2010 में तीर्थ यात्रा के दौरान हरिद्वार में गिरने के बाद हुए ऑपरेशन में मां मिथिला देवी को पैरालिसिस हो गया. जिसके बाद उनके छोटे बेटे राजेश गुप्ता ने अपनी लाखों रुपए की इंजिनियरिंग की नौकरी का त्याग कर मां की सेवा में लग गए.

Rajesh serving his mother in Chhatarpur
बीमार मां की खातिर छोड़ दी इंजिनियरिंग की नौकरी

छतरपुर। कलयुग में ईश्वर को किसने देखा, लेकिन रामायण से लेकर संतों के मुंह से सिर्फ एक ही बात सुनी कि माता-पिता और गुरू इस धरती पर साक्षात देवता हैं. व्यस्ता से भरी जीवन शैली में ऐसे कम उदाहरण देखने को मिलते हैं जब एक पुत्र अपना सबकुछ छोड़कर अपने मां बाप की सेवा में लग जाए. माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं, उसे पढ़ाते लिखाते हैं, उसकी सेवा करके बड़ा करते हैं. कह सकते हैं कि माता पिता की सेवा और पालन पोषण का वह बालक जन्म के बाद से ऋणी हो जाता है और जब बेटा बड़ा होता है माता पिता वृद्ध हो जाते है उस बेटे को माता पिता के द्वारा किये गये ऋण को चुकाने का समय आ जाता है. उस बच्चे का यह कर्तव्य बनता है कि वह भी अपने माता-पिता की वैसे ही देखभाल व सेवा करे जैसे बचपन में मां-बाप करते थे. शास्त्रों में लिखा है पुत्र, पिता बनने के साथ पिता के कर्ज से मुक्त हो सकता है, पर मां के ऋण से कभी मुक्ति नहीं मिलती.

Rajesh serving his mother in Chhatarpur
रात-दिन मां की सेवा कर रहे राजेश

ऐसे ही संस्कारों से भलीभूत होकर नौगांव में जन्मे राजेश गुप्ता जिनकी उम्र लगभग 50 साल है, अपनी मां की सेवा के लिए उन्होंने अपनी सब कुछ न्यौछावर कर दिया है. घर में माता पिता भाई बहन सब होने के बाद हालत यह बने हैं कि माता ब्रेन हेमरेज और लकवा की शिकार हो कर कई सालों से बिस्तर पर हैं. उनका सिर्फ ब्रेन काम करता है इसके अलावा पूरा शरीर शिथिल है. तीन भाई और एक बहन में सबसे छोटे राजेश ने बीई करने के बाद 2017 में नौकरी छोड़ नौगांव आ गये. इसके पहले उनकी शादी हो चुकी थी, लेकिन वैचारिक मतभेद के बाद अपनी पत्नी से अलग हो गए थे. तब से आज तक उनकी दिनचर्या में वृद्ध माता जो न बोल सकती है और न हाथ पैर हिला सकती हैं, उनकी सेवा करना जीवन का उद्देश्य बन गया है. घर के खर्चे के लिये पिता की आधी पेंशन से गुजारा चल जाता है और इससे वह खुश हैं.

Rajesh serving his mother in Chhatarpur
अपनी मां के साथ राजेश गुप्ता

कोरोना की महामारी या दीवाली, दिनचर्या रोज वही: राजेश गुप्ता बताते हैं कि ''दरअसल यह हालात एकाएक नहीं हुए. यह किस्सा तब शुरू हुआ जब 2010 में माता-पिता हरिद्वार गये और वहां पर होटल में माता जी के गिरने से ब्रेन में चोट आयी. डॉक्टर के परामर्श के बाद पिताजी उन्हें देहरादून के एक अस्पताल में ले गये जहां पर सर्जरी हुई. वह ऑपरेशन असफल रहा तो डॉक्टरों का मत था कि इनकी मौत हो जायेगी, हम एक प्रयास और करके देखते हैं. दूसरा ऑपरेशन हुआ इस बीच पैरालिसिस अटैक माताजी को आया लेकिन दूसरा ऑपरेशन सफल हो गया और उनकी जान बच गयी. डॉक्टरों ने कह दिया इनको घर ले जाओ और इनकी सेवा करो. पिताजी इनको घर लेकर आये छह महीने उन्होंने माताजी की खूब सेवा की. 17 जनवरी 2011 को पिता को ब्रेन हेमरेज हो गया, वह दुनिया से विदा हो गये.'' राजेश बताते हैं कि ''तीन भाई और एक बहन का हमारा परिवार है. बीच वाले भाई महेश गुप्ता पहले नौगांव के एक बैंक में कार्यरत थे फिर उनका स्थानांतरण हो गया तो उन्होंने मुजे बुला लिया. 2017 से हम नौकरी छोड़कर नौगांव आ गये. इस बीच 2022 में बड़े भाई और मैं मां की सेवा करते रहे. लेकिन भाई का 2022 में हार्ट अटैक से निधन हो गया. व्यस्ताओं के चलते बाकी परिवार समय नहीं दे पा रहा था. मैं पहले ही नौकरी छोड़कर नौगांव आ गया था तब से लेकर आज तक छह साल से मां की सेवा कर रहा हूं. मां की सेवा करने का जो सुख है उससे बड़ी पूजा कोई और नहीं.''

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सुबह से लेकर शाम तक मां की सेवा: राजेश बताते हैं कि ''सुबह चार या साढ़े चार बजे के बीच मैं उठ जाता हूं. 5 बजे माता जी भी उठ जाती हैं, उनको पानी पिलाने के बाद नहलाता हूं. 6 बजे तक कभी सोफे पर कभी बिस्तर पर बैठा देते हैं और मोबाइल पर उनके पसंदीदा भजन लगा देते हैं, जिसे वह सुनती हैं. इसके उपरांत वह खुद नहाने चले जाते हैं. लौटकर आकर चाय बनाते हैं, माँ बेटे दोनों बैठकर चाय पीते हैं. इस बीच खाना बनाने के लिये एक बाई रखी हुई है वह खाना बनाती है, वह जब नहीं आती तो मैं स्वयं खाना बनाता हूं. नौ-दस बजे के बीच माता भोजन करती हैं और उसके बाद वह आराम करती हैं. बीच बीच में उन्हें उठाकर पानी पिलाना टॉयलेट ले जाना यह दिनचर्या में शामिल रहता है.'' राजेश कहते हैं ''अगर मुझे कहीं बाहर जाना होता है, सब्जी लेने आदि काम से तो बाहर से ताला लगाकर जाना पड़ता है. शाम को मौसमी फल किसकर मां को खिलाता हूं और सूर्य अस्त होने के तक उनको भोजन करा दिया जाता है. आठ बजे वह सोने चली जाती हैं. नौ बजे तक मैं भी सो जाता हूं.'' राजेश कहते हैं ''कोरोना की महामारी के दौरान भी यही दिनचर्या और सतर्कता जरूर थी. खाना स्वयं बनाते थे. दीवाली हो या होली हमे कोई फर्क नहीं पड़ता.''

युवाओं को राजेश से लेनी चाहिए सीख: जिस तरह पेड़ पौधों को सूर्य से जीवन प्राप्त होता है वैसे ही माता पिता आदि वृद्धजनों के आशीर्वाद से कलयुग में भी जीवन संचालित होता है. राजेश के द्वारा माता की सेवा करना न तो मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए है, न उनके ऊपर कोई एहसान करना है. वह अपने कर्तव्य और मां के प्यार को अपने जीने का अधिकार मानकर उनकी दिन रात सेवा करते हैं. जिससे आज के युवाओं को सीख लेनी चाहिए.

Last Updated : May 14, 2023, 12:14 PM IST
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