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Mother's Day Special: अनाथ की नाथ बनी तृप्ति, 80 बेटियों को लिया गोद, बच्चे प्यार से बुलाते हैं 'दीदी मां'

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Published : May 14, 2023, 4:19 PM IST

Updated : May 14, 2023, 4:27 PM IST

इस मदर्स डे पर आपको एक ऐसी मां के बारे में बताने जा रहे हैं तो कई सालों से अनाथ बेटियों को गोद ले रही हैं और उनका पालन कर रही हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए आजीवन शादी नहीं करने का फैसला लिया है. 80 बेटियों से ज्यादा को गोद लेकर तृप्ति कठैल 'दीदी मां' बनीं.

chhtarapur didi maa adopt many girl child
छतरपुर दीदी मां ने कई बच्चियां गोद लीं

छतरपुर। शहर की एक ऐसी बेटी जो अनाथों और बेसहारा बेटियों के लिए कई सालों से परिवार बनकर रह रही है. नौगांव शहर की एक युवा तृप्ति कठैल ने अपने परिवार से मिले समाजसेवी संस्कार को आगे बढ़ाते हुए अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया है. दरअसल उनके द्वारा अनाथ बेटियों के लालन पालन और आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है. उसमें कहीं वैवाहिक जीवन आड़े न आ जाए इसी वजह से उन्होंने आजीवन शादी न करने का फैसला लिया है. अपना पूरा जीवन अनाथ बेटियों को समर्पित कर उनकी नाथ बन गई हैं. उन्होंने अभी तक 80 बेटियों से ज्यादा को गोद लिया है, जिनके जीवन को 'दीदी मां' बनकर संवारने में लगी हैं.

अनाथ बेटियों की बनी मसीहा: बेटियों और महिलाओं के लिए सामाजिक कार्य कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही अनाथ बेटियों को गोद लेकर उनका जीवन संवारने वाली संस्था शोभा देवी सामाजिक सेवा समिति की अध्यक्ष तृप्ति कठैल ने अपना पूरा जीवन उनके नाम समर्पित कर दिया है. संस्था के द्वारा अब तक लगभग 80 से अधिक अनाथ बेटियों को तृप्ति ने गोद लिया है. इन बेटियों के खाते में तृप्ति हर महीने 500 रुपए जमा करवाती है. उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने के साथ-साथ उनकी शिक्षा दीक्षा और उनके हुनर को निखारने के लिए तृप्ति लगातार काम कर रही है.

chhtarapur didi maa adopt many girl child
बच्ची के साथ दीदी मां

आजीवन बनी रहना चाहती हूं 'दीदी मां': अध्यक्ष तृप्ति कठैल बताती हैं कि "मुझे इस काम के लिए मेरे पूरे परिवार का हमेशा सहयोग मिलता है. परिवार ने कभी एक युवती होने के नाते मेरे कामों में बंदिश नहीं लगाई. पिता से मिली समाज सेवा की विरासत को आगे बढ़ा रही हूं. बेटियों के लालन पालन में परेशानी न हो इसलिए आजीवन वैवाहिक बंधन से मुक्त रहने का फैसला लिया है. शादी के बाद अगर मेरे ससुराल के लोग मेरे द्वारा उठाए गए बीड़ा को आगे बढ़ाने में सहयोग नहीं कर पाते तो मुझे ये बंद करना पड़ता. हमारी संस्था इतनी आगे निकल गई है कि अब पीछे मुड़कर नहीं देखना है. इसी वजह से संस्था के द्वारा गोद ली हुई बेटियां ही मेरा परिवार है और मैं इनके लिए 'दीदी मां' हूं. ये शब्द बहुत सुकून देता है इसलिए अब किसी भी बंधन में न बंधकर बेटियों के लिए ही जीवन समर्पित कर दिया है और आजीवन 'दीदी मां' बनी रहना चाहती हूं."

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बच्ची के साथ दीदी मां

बेटियां के लिए बनेगा अपना घर: अध्यक्ष तृप्ति कठैल बताती हैं कि "अभी पिछले महीने अप्रैल में समिति का दसवां स्थापना दिवस कार्यक्रम था. इसमें मेरी मां शकुंतला कठैल ने जोश और जज्बे को देखते हुए अपने हिस्से की आधा बीघा जमीन संस्था को दान कर दी. इसमें अब संस्था जन सहयोग से बेटियों के रहने और उनके कौशल विकास के लिए जल्द ही अपना घर बनाने जा रही हूं. 2013 से अब तक समिति के द्वारा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 24 से अधिक बेटियों का विवाह करा चुकी हूं. इसमें समिति के द्वारा सभी के सहयोग से बेटी को घरेलू उपयोग का सामान भी दिया जाता है. काम में नगर वासियों सहित सभी का सहयोग मिलता है."

Last Updated : May 14, 2023, 4:27 PM IST
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