Chhatarpur District hospital बेड की किल्लत से जूझ रहा छतरपुर का जिला अस्पताल, CMHO बोले डेढ साल में बन जाएगा नया प्रसूति वार्ड

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Published : Aug 24, 2022, 12:24 PM IST

Updated : Aug 24, 2022, 12:40 PM IST

Chhatarpur Maternity Ward Beds Shortage

छतरपुर के जिला अस्पताल का प्रसूति वार्ड बिस्तरों की समस्या से जूझ रहा है. जिला अस्पताल के CMHO डॉ. लखन तिवारी ने बताया कि अस्पताल को 100 बिस्तरों की जरूरत है. Chhatarpur District Hospital lack of Beds, Chhatarpur Maternity Ward Beds Shortage

छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर के जिला अस्पताल में प्रसूति वार्ड में बेड की भारी कमी देखी गई थी. बेड ना मिलने के चलते कई महिलाओं की जमीन पर ही डिलीवरी के मामले सामने आए थे. बेड की कमी को लेकर जिला अस्पताल के CMHO डॉ. लखन तिवारी ने कहा कि प्रसूति वार्ड में हमारे पास लगभग 23 बिस्तर हैं, जो दैनिक आधार पर अपर्याप्त हैं. छतरपुर में बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए 100 बिस्तरों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मैं जिला अस्पताल पर नजर रखे हूं. अस्पताल में असुविधाओं को सुधारने के लिए आरएमओ को निर्देश दिये गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रशासन 1 डेढ साल के भीतर नया प्रसूति वार्ड स्थापित करेगा. Chhatarpur Maternity Ward Beds Shortage

डॉक्टर्स को रास नहीं आ रही सरकारी नौकरी: मध्यप्रदेश में डॉक्टर्स की कमी को पूरा करने के लिए सरकार कोशिश में जुटी है. इसके लिए सरकार पीएससी के माध्यम से डॉक्टर्स की भर्तियां करने की तैयारी कर रही है, लेकिन उधर कई डॉक्टर्स को प्रदेश के हॉस्पिटल्स में सरकारी नौकरी रास नहीं आ रही. इसके चलते मध्य प्रदेश की राह छोड़ डॉक्टर्स दूसरे राज्य की राह पकड़ रहे हैं. हर साल करीबन 800 से ज्यादा डॉक्टर्स या तो नौकरी छोड़ रहे हैं या फिर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं. चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े डॉक्टर्स के संगठन इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं में विसंगतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

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पसंद आ रही दूसरे राज्यों की डगर: मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी को पूरा करने के लिए लगातार मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस, एमडी की सीटों में बढ़ोत्तरी की जा रही है. प्रदेश में सरकारी कॉलेजों की संख्या 13 है. इनमें एमबीबीएस की सीटें 2,055 हैं, जबकि निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 11 है. इनमें एमबीबीएस की सीटों की संख्या 1,900 है. इस साल प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की करीब 300 सीटें बढ़ी हैं. इस तरह प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या 3,955 है. एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद डॉक्टर्स को प्रैक्टिस के पहले मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीयन कराना होता है और यदि उन्हें सरकारी नौकरी या किसी दूसरे प्रदेश में जाना होता है तो उन्हें काउंसिल से एनओसी लेनी होती है. डॉक्टर्स द्वारा हर साल लेने वाली एनओसी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. MP Doctors New Trend

चौंकाते हैं एनओसी लेने वाले डॉक्टर्स के आंकड़े: मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पिछले साल 1,100 डॉक्टर मध्य प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों में जा चुके हैं. इस साल अभी तक काउंसिल से एनओसी लेने वाले डॉक्टर्स की संख्या करीब 400 है. डॉक्टर्स ने या तो एनओसी ले ली है या इसके लिए आवेदन लगाया है. साल 2020 में 1,102 डॉक्टर्स ने प्रदेश छोड़ा था. इसके पहले साल 2019 में 1,054 डॉक्टर्स ने एनओसी ली थी, जबकि इस साल पंजीयन लेने वाले डॉक्टर्स की संख्या 1,823 है. यानी डॉक्टर्स मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पढ़कर निकल रहे हैं, जबकि कई डॉक्टर काम यहां नहीं कर रहे. प्रदेश छोड़ने वाले डॉक्टर्स में एमबीबीएस ही नहीं बल्कि स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी शामिल हैं. MP Doctors Shifting in other States

Chhatarpur District Hospital lack of Beds, Chhatarpur New maternity ward will be built

Last Updated :Aug 24, 2022, 12:40 PM IST
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