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Tiger Census 2023: बाघ की धारियां होती हैं खास, कोडिंग से पहचान, जानें कैसे टाइगर छिप कर करता है शिकार

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Published : Apr 9, 2023, 7:04 AM IST

Updated : Apr 9, 2023, 12:06 PM IST

भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ अपनी कई विशेषताओं के चलते जंगल में अपना दबदबा बना कर रखता है. बाघ के शरीर में पाई जानें वाली धारियां इसको और आकर्षक बनाती हैं लेकिन क्या आपको पता है ये धारियां शिकार करने में बाघ की मदद भी करती हैं. जानिए कैसे होती है बाघों की गणना...

Tiger Census 2023
टाइगर की धारियों से बनती है उसकी पहचान

भोपाल। जंगल में अपनी बादशाहत चलाने वाले बाघ की दुनिया भी बेहद रोचक है. इन्हें जंगल में घूमते देखना जितना रोमांच पैदा करता है, इनसे जुड़े तथ्य भी उतने ही रोचक होते हैं. जब भी टाइगर की गणना की बात होती है, तो सवाल उठता है कि आखिर एक्सपर्ट टाइगर की पहचान कैसे करते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि टाइगर के शरीर की धारियां ही इनकी पहचान होती हैं और इसके आधार पर ही वन अमला इनकी कोडिंग करते हैं. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट के मुताबिक टाइगर का अपना अलग मिजाज होता है वह शिकार भी चुनकर करता है.

tiger census 2023
टाइगर की धारियों से बनती है उसकी पहचान

दुनिया के हर टाइगर की स्ट्रिप होती है अलग: वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट सुदेश वाघमारे बताते हैं कि इंसानों के फिंगर प्रिंट की तरह टाइगर की पहचान उनकी स्ट्रिप होती हैं. दुनिया में एक इंसान के फिंगर प्रिंट दूसरे इंसान से मेल नहीं खाते. कमोवेश यही स्थिति टाइगर के मामले में होती है. भारत ही नहीं दुनिया के किसी भी बाघ के शरीर की काली पट्टियां यानी स्ट्रिप एक समान नहीं होतीं. भारत के टाइगर की स्ट्रिप अफ्रीका के टाइगर से मेल नहीं खाती. टाइगर की स्ट्रिप के आधार पर उन टाइगरों की पहचान की जाती है. वन अमला इसके आधार पर उनकी कोडिंग करता है.

बाघ के धारियों की खासियत: गहरे नारंगी रंग पर काली पट्टियां बाघ को शिकार में मदद करती है. घना जंगल हो या सूखा घास का मैदान टाइगर की काली पट्टियां उसे आसानी से घास में छुपा देती हैं. आमतौर पर टाइगर कम रोशनी में शिकार करते हैं, ऐसे में टाइगर के रंग की वजह से शिकार उसे आसानी से दूर से देख नहीं पाता. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट कहते हैं कि टाइगर का अपना अलग मिजाज होता है. वह शेर की तरह झुंड में शिकार नहीं करता. वह शिकार भी अपनी पसंद कर करता है. यदि शिकार उसकी पसंद का न हो, तो टाइगर उसे छूता भी नहीं.

आईएफएस अधिकारी रमेश पांडे ने एक टाइगर का वीडियो ट्वीट कर उसका यही व्यवहार बताया था. इसमें घास में टाइगर दुबककर बैठा था. सामने अचानक एक चीतल आ जाता है, बाघ उसको देखता है और उसको अनदेखा करते हुए आगे तरफ बढ़ने लगता है. आईएफएस अधिकारी ने इसमें लिखा था कि यह आपको परेशान नहीं करेगा. वह जितना हो सके अपने संयम को बनाए रखने की कोशिश करता है.

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चार साल में एक बार होती है गणना: बाघों की गणना के आंकड़े 4 साल में जारी किए जाते हैं. बाघों की गिनती पूरे देश में एक साथ एक समय पर की जाती है. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बताते हैं कि जंगल के बीच में एक ट्रांजिक लाइन डाली जाती है और उसके बाद अलग-अलग लोकेशन पर कैमरे लगाए जाते हैं. इसके जरिए टाइगर की फोटो लेकर उन्हें वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को भेजा जाता है. यहां बाघों के डाटा का गहराई से अध्ययन किया जाता है. इसमें ही करीब दो से ढाई साल का समय लग जाता है. इसके बाद रिपोर्ट जारी की जाती है.

Last Updated : Apr 9, 2023, 12:06 PM IST
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