ETV Bharat / state

नहीं रहे देव प्रभाकर शास्त्री 'दद्दा जी'

author img

By

Published : May 17, 2020, 5:05 PM IST

Updated : May 18, 2020, 3:11 PM IST

saint-dev-prabhakar-shastri-dadda-ji-passed-away-in-katni
देवप्रभाकर शास्त्री दद्दा जी का निधन

कटनी के गृहस्थ संत देवप्रभाकर शास्त्री दद्दा जी का निधन हो गया है, शनिवारा शाम उन्हें दिल्ली से जबलपुर लाया गया था, शिवभक्ति और पार्थिव शिवलिंग निर्माण, रुद्री अनुष्ठान के लिए देश भर में विख्यात दद्दा जी के शिष्यों में कई नेता और अभिनेता शामिल हैं.

भोपाल/कटनी। गृहस्थ संत देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी का कटनी में निधन हो गया है, उन्हें शनिवार शाम वेंटीलेटर के सहारे दिल्ली से जबलपुर चार्टर्ड प्लेन से लाया गया था. देवप्रभाकर जी शास्त्री पार्थिव शिवलिंग निर्माण और अनुष्ठान के लिए जाने जाते हैं और उनके भक्तों में कई नेता और फिल्म जगत ही हस्तियों के नाम शामिल हैं. दद्दा जी के नाम उज्जैन सिंहस्थ के दौरान सवा पांच करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण का रिकार्ड भी है.

देवप्रभाकर शास्त्री दद्दा जी का निधन

पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर महारूद्र अभिषेक से अपने अनुयायीयों को धर्म लाभ दिलाने वाले दद्दा जी कई धार्मिक अनुष्ठानों के जरिए 400 करोड़ से ज्यादा पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करवा चुके थे और इनके कार्यक्रमों में भारी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ता था. गृहस्थ संत देवप्रभाकर शास्त्री की हालत उनकी पत्नी के निधन के बाद से ही ठीक नहीं चल रही थी. कुछ दिनों पहले ही उन्हें इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया था.

शिष्यों को शिव भक्ति का मार्ग बताते थे दद्दाजी

दद्दा जी देश भर में पार्थिव शिवलिंग निर्माण और रुद्री पूजन के जरिए अपने अनुयायीयों की बाधा दूर करने के लिए देश भर में जाने जाते थे. वे लोगों को शिव का पूजन कराने के लिए प्रेरित करते आए हैं, उनका मानना था कि इस तरह के धार्मिक अनुष्ठानों से जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलने के साथ ही उन्हें प्रसन्न करने का ये सबसे अच्छा मार्ग है.

भक्तों में शामिल नेता और अभिनेता

संत देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी के शिष्यों में कई नेता और फिल्म जगत ही हस्तियों के नाम शामिल हैं. उनके कटनी जिले के कूडा गांव स्थित दद्दा जी आश्रम में लगातार कई बड़ी हस्तियां आशीर्वाद लेने पहुंचती रही हैं. फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, राजपाल यादव के साथ ही प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिह, संजय पाठक और कई आला अधिकारी भी दद्दा जी के शिष्य हैं, ये सभी उनके कार्यक्रमों में भी शामिल होते आए हैं.

सरल स्वभाव और बुंदेली भाषी दद्दा जी

ख्याति से इतर दद्दा जी का स्वभाव सरल थे, उनकी बुंदेली बोली लोगों को उनके प्रति हमेशा आकर्षित करती थी. यही कारण रहा कि उनके अनुयायीयों की संख्या लाखों में हैं. अपने भक्तों की समस्याएं सुन उन्हें बड़ी ही सरल स्वाभाव से मार्ग बतालाते थे, उनके धार्मिक कार्यक्रम देश भर में आयोजित किए गए थे.

दमोह से भी गहरा नाता

दमोह से द्ददाजी का गहरा लगाव रहा है, पुरा पायरा में उनकी ससुराल और हटा रोड पर कुंआखेड़ा में उनका ननिहाल है. दमोह की प्रोफेसर कॉलोनी में उनके बड़े बेटे डॉक्टर अनिल त्रिपाठी के परिवार के साथ रहे हैं. जैसे ही लोगों को दद्दा जी के बारे में सूचना मिली तो आसपास के लोग और उनके अनुयायी दद्दा जी के परिजनों से संपर्क करने में जुट गए थे. दद्दा जी की पत्नी कुंती देवी का निधन 29 मार्च को हो गया था, जिसके बाद से ही दद्दा जी की स्वास्थ बिगड़ रहा था. करीब दो साल से वे कटनी में अपने गृह ग्राम में ही रुक रहे थे कटनी के कूड़ा गांव में भी दद्दा जी का आश्रम है, जहां उनका उनका आना जाना रहता था.

सूत्रों की मानें तो दिल्ली के डॉक्टरों ने दद्दा जी के हालत को देखते हुए उन्हें घर ले जाने की बात कही थी जिसके बाद उन्हें शनिवार शाम जबलपुर लाया गया था और वहां से उन्हें कटनी स्थित उनके पैतृक गांव कुडा ले जाया गया था, बता दें कि दद्दा जी, लीवर और किडनी की बीमारी से परेशान थे और रविवार शाम उन्होंने अपने पैतृक गांव में अंतिम सांस ली.

Last Updated :May 18, 2020, 3:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.