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उपचुनाव की तैयारी! दमोह के 'दर्द' से परेशान BJP, 'पंजे' पर बाकी है बगावत का 'जख्म'

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Published : Jul 19, 2021, 10:52 AM IST

Updated : Jul 19, 2021, 11:36 AM IST

जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सरकार से लेकर विपक्ष तक सब सक्रिय होने लगे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद मध्यप्रदेश में हासिये पर चल रही कांग्रेस फिर से मजबूत जमीन तलाशने लगी है. हाल ही में एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ दिल्ली का दौरा खत्म कर लौटे हैं, उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है, ऐसे में कमलनाथ के संकल्प पर संकट मंडराने लगा है क्योंकि जब वो दिल्ली चले जाएंगे तो एमपी में कैसे वापस आएंगे.

file photo
फाइल फोटो

भोपाल। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा पद सौंपे जाने की संभावनाओं के बीच कमलनाथ अपना दिल्ली दौरा खत्म कर भोपाल लौट आए हैं. खबर है कि कमलनाथ कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिये हैं और एमपी में संगठन को मजबूत करने का नया फॉर्मूला लेकर दिल्ली से भोपाल लौटे हैं. एक तरफ जहां दमोह उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी फूंक-फूंक कदम रख रही है, वहीं कांग्रेस बीजेपी का किला भेदकर अपने जख्म भरना चाहती है. आगामी समय में खंडवा लोकसभा के अलावा पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है, इसके अलावा नगरीय निकाय चुनाव व पंचायत चुनाव पर भी दोनों दलों की नजर है.

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कहते हैं दूध की जली बिल्ली छांछ भी फूंककर पीती है, यही हाल आजकल मध्यप्रदेश में बीजेपी का है, जोकि दमोह उपचुनाव में हार के बाद नये सिरे से समीकरण बैठा रही है क्योंकि आगामी समय में एक लोकसभा और तीन विधानसभा उपचुनाव के साथ ही निकाय और पंचायत चुनाव भी होना है, जिसके लिए बीजेपी के सेनापति अपनी बटालियन तैयार कर विपक्षियों को पस्त करने की रणनीति बना रहे हैं. वहीं दमोह का दंगल जीतकर खुश कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से उपजे जख्म का अब तक कोई इलाज नहीं ढूंढ़ पाई है. हालांकि, सड़क से सदन तक और फिजिकल से सोशल तक हर प्लेटफॉर्म पर जोरदार उपस्थिति दर्ज करा रहा है.

कमलनाथ के राष्ट्रीय संगठन का नेतृत्व संभालने की सुगबुगाहट के बीच एमपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. कार्यकर्ता 2023 में कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. हालांकि, बीच-बीच में दबी जुबान कई नेता अपनी दावेदारी भी ठोक रहे हैं. कमलनाथ का संकल्प है कि 2023 में एमपी में कांग्रेस की सरकार बनाएं. कार्यकर्ताओं का मानना है कि दिल्ली बुलावे से उनका संकल्प डगमगा रहा है. ऐसे में खबर है कि कमलनाथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष बनने की बजाय सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन सकते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राष्ट्रीय राजनीति में लंबे अनुभव के चलते कार्यकारी अध्यक्ष की अपेक्षा राजनीतिक सलाहकार बनना कमलनाथ के लिए ज्यादा मुफीद होगा.

महंगाई-बेरोजगारी और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरना चाहती है. इसके लिए वो हर उस स्थान का उपयोग कर रही है, जहां से जनता के बीच कांग्रेस की पैठ मजबूत होने की संभावना है. आधी आबादी के भरोसे पूरी सत्ता पाने की चाहत पाले कांग्रेस महिला सुरक्षा के मुद्दे पर मुखर हो रही है, यही वजह है कि सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि बीजेपी शासित राज्यों में भी इन मुद्दों को लपकने से नहीं चूकती है. ऐसे में यदि कमलनाथ दिल्ली जाते हैं तो एमपी में कांग्रेस को कुशल नेतृत्व की तलाश रहेगी. राजा-महाराजा की लड़ाई अब खत्म हो चुकी है, ऐसे में सिर्फ राजा ही राजा बचेंगे.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह 'बेटियों के मामा और महिलाओं के भाई' के तौर पर पहचाने जाते रहे हैं, अब एक बार फिर उन्होंने अपनी सियासत को आधी आबादी पर केंद्रित करना शुरू कर दिया है. यही कारण है कि लाडली लक्ष्मी योजना-2 के रूप में इसे नया स्वरूप दिया गया है. चौहान का मुख्यमंत्री के तौर पर चौथा कार्यकाल है, उनके मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे चर्चित और प्रभावशाली योजना में देखा जाए तो वह लाडली लक्ष्मी योजना रही है. इस योजना के जरिए चौहान को देश ही नहीं, दुनिया में भी नई पहचान मिली थी. इस योजना की हर तरफ चर्चा थी और माना तो यहां तक जाता है कि वर्ष 2013 का चुनाव वे इसी योजना के बल पर जीते थे.

चौथी बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद चौहान ने एक बार फिर आधी आबादी पर ध्यान केंद्रित किया है. इसके तहत बालिका के जन्म से लेकर उसकी शिक्षा के अलावा धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी. इसके तहत छठवीं में दो हजार रुपये, नवमी में चार हजार, 11वीं व 12वीं में छह हजार, व्यावसायिक शिक्षा के लिए 20 हजार और 21 वर्ष आयु में 80 हजार रुपये दिए जाएंगे. राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए लगातार प्रयास जारी है. पहले पंचायत और नगरीय निकाय में आरक्षण का प्रावधान किया गया, उसके बाद अन्य सुविधाएं महिलाओं को दी गई, साथ ही उन पर होने वाले अपराधों को रोकने और आरोपियों को सजा दिलाने के प्रावधान किए गए. कुल मिलाकर चैहान की राजनीति के केंद्र में महिलाएं रही हैं, एक बार फिर उन्होंने महिलाओं के बीच अपनी पैठ बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं.

Last Updated : Jul 19, 2021, 11:36 AM IST
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