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श्रम कानून में बदलाव पर विपक्ष हुआ हमलावर, कहा- मजदूरों को उठानी पड़ेगी परेशानी

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Published : May 8, 2020, 12:18 PM IST

Opposition targeted the government after changes in labor law in bhopal
श्रम कानून में बदलाव के बाद विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

श्रम कानून में किए गए परिवर्तन को लेकर विपक्ष ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं, साथ ही उन्होंने सरकार से निवेदन किया है कि, सरकार कहीं ऐसे फैसले ना लें कि आने वाले समय में मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ जाए.

भोपाल| प्रदेश के श्रम कानून में सीएम शिवराज सिंह चौहान के द्वारा कुछ बदलाव किए गए हैं. सरकार का उद्देश्य है कि, प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को लाया जाए. साथ ही प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाकर रोजगार के अवसर में वृद्धि, नए निवेश को प्रोत्साहित करने और श्रमिकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य श्रम सुधारों की घोषणा की गई है. श्रम कानून में किए गए परिवर्तन को लेकर विपक्ष ने निशाना साधा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं, साथ ही उन्होंने सरकार से निवेदन किया है कि, सरकार कहीं ऐसे फैसले ना लें कि आने वाले समय में मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ जाए.

  • ऐसी क्या मजबूरी है कि मध्य प्रदेश में नई फैक्ट्री खोलने के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन नहीं करने की छूट दी जा रही है। ठेका श्रमिक अधिनियम 1970 ढील देने की स्तिथि तो नहीं है फिलहाल प्रदेश में। @ians_india @ChouhanShivraj @OfficeofSSC @aajtak @ZeeMPCG

    — Arun Yadav 🇮🇳 (@MPArunYadav) May 7, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

श्रम कानूनों को लेकर सीएम ने थी जनता से बात

दरअसल गुरुवार को मंत्रालय में श्रम कानूनों को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जनता से सीधे बातचीत की थी. इस दौरान उन्होंने श्रम कानूनों में किए गए परिवर्तनों की जानकारी भी दी थी. उन्होंने बताया कि, कोरोना के बाद उद्योगों को जरूरी रियायतें देने के लिए उठाए गए कदम कारखाना मालिकों और श्रमिकों के मध्य परस्पर सहयोग का वातावरण निर्मित करेंगे. विभिन्न तरह की अनुमतियों के लिए उद्योग क्षेत्र को बड़ी राहत प्रदान की गई है. साथ ही प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और दफ्तरों के चक्कर लगाने के काम से भी मुक्ति दे दी गई है.

आर्थिक चुनौतियों को अवसर में बदलने का प्रयास

इस दौरान सीएम शिवराज सिंह ने बताया था कि, इन श्रम सुधारों से कोविड-19 से प्रभावित उद्योगों और व्यवसाय को पुनः पटरी पर लाने के साथ ही आर्थिक क्षेत्र की चुनौतियों को अवसर में बदलने का प्रयास सरकार की ओर से होगा. कोरोना के विश्वव्यापी संकट ने अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है. धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होती जा रही हैं. प्रदेश में अब आर्थिक गतिविधियां शुरू हो रही हैं, बदली हुई परिस्थितियों में पुराने उद्योग अपने स्थान परिवर्तन पर विचार कर रहे हैं.

श्रम सुधारों को लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य

सीएम ने कहा कि, नए उद्योग अपने लिए अनुकूल वातावरण वाले स्थान को प्राथमिकता दे रहे हैं. आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए श्रम सुधारों को लागू करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है. कारखानों में कार्य की पाली 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दी गई है. कारखाना मालिक अब खुद शिफ्ट परिवर्तित कर सकेंगे.

पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने किया ट्वीट

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, प्रदेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए उद्योग जगत की मदद करना वाजिब है, लेकिन उनकी मदद में प्रदेश सरकार ऐसे फैसले भी ना लें, जिससे आने वाले समय में हमारे मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़े.

  • क्या प्रदेश के उद्योगपति 8 घंटे के बदले 12 घंटे काम करा कर मजदूरों को उनके पसीने की पूरी कीमत चुकाएंगे। प्रदेश के लाखों मजदूर आपसे जवाब चाहते हैं मुख्यमंत्री जी ।@News18MP @IBC24News @BansalNewsbpl @Ind24Mpcg @

    — Arun Yadav 🇮🇳 (@MPArunYadav) May 7, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अरुण यादव ने सीएम से पूछे सवाल

अरुण यादव ने कहा कि, फैक्ट्री एक्ट में किए जा रहा है बदलाव आने वाले दिनों में हमारे मजदूरों के लिए चुनौती साबित होंगे. ऐसे क्या हालात बन रहे हैं कि, नए बदलाव के बाद मजदूर के हितों के लिए श्रम न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकेंगे. मजदूरों के कल्याण के लिए उद्योगपतियों को प्रति मजदूर 80 रुपए नहीं देनी चाहिए. ऐसी क्या मजबूरी है कि, मध्य प्रदेश में नई फैक्ट्री खोलने के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन नहीं करने की छूट दी जा रही है. फिलहाल प्रदेश में ठेका श्रमिक अधिनियम 1970 ढील देने की स्थिति तो नहीं है. अरुण यादव ने सीएम से सवाल किया है कि, क्या प्रदेश के उद्योगपति 8 घंटे के बदले 12 घंटे काम करा कर मजदूरों को उनके पसीने की पूरी कीमत चुकाएंगे.

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