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5 करोड़ गए पानी में! भोपाल में ऑनलाइन मंडी प्रोजेक्ट फेल, 5 सालों में एक भी किसान ने नहीं किया online कारोबार

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Published : Jun 24, 2021, 1:05 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 2:32 PM IST

भोपाल की कृषि उपज मंडी को ई-मंडी बनाने में अधोसंरचना विकास, कंप्यूटराइजेशन और किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मंडी फंड से 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. यह राज्य में पहला पायलट प्रोजेक्ट था.अब सवाल ये है कि, ई-नाम मंडी पोर्टल के जरिए भोपाल मंडी से किसान कब अपनी फसल को ऑनलाइन बेच पाएंगे या फिर यह व्यवस्था ठप ही रहने वाली है?

Online Mandi Fail in Bhopal
भोपाल की ऑनलाइन मंडी फेल

भोपाल। दुनिया चांद पर जा रही है पर भोपाल के कृषि उपज मंडी के व्यापारी नई तकनीकी से दूरी ही बना कर रखना चाहते हैं. व्यापारियों का तर्क है कि ऑनलाइन कारोबार में व्यवहारिक समस्या होती है. पांच साल पहले राजधानी भोपाल की कृषि उपज मंडी को ई-नाम-मंडी पोर्टल से जोड़कर ऑनलाइन कारोबार के लिए शामिल किया गया था. लेकिन अब तक इस मंडी से एक भी किसान ने ऑनलाइन कारोबार नहीं किया है. ईटीवी भारत ने भोपाल की ई-मंडी की पड़ताल की और जानने की कोशिश की, कि आखिर ऐसी कौन सी समस्याएं हैं जो ऑनलाइन कारोबार के आड़े आ रही हैं.

भोपाल-मंडी में नहीं होता ऑनलाइन कारोबार

नहीं होता ऑनलाइन कारोबार
भोपाल मंडी को ई-मंडी बनाने में करीब 5 करोड़ रुपए खर्च हुए थे जो बेकार ही चले गए. दरअसल व्यापारी और किसान दोनों ही नहीं चाहते कि मंडी में ऑनलाइन कारोबार हो. राजधानी की करोंद कृषि उपज मंडी को देश की 585 मंडियों में पहली ऐसी मंडी बनाया गया था जहां से ऑनलाइन कारोबार किया जाना तय हुआ था. किसानों के लिए ई मंडी के जरिए किसी भी मंडी में अपनी फसलों का सौदा कर सकने की व्यवस्था शुरू की गई थी. इस सुविधा के शुरू होने के बाद बिचौलियों और कालाबाजारी करने वालों से छुटकारा दिलाने की बात कही गई थी, लेकिन ऑनलाइन कारोबार की ये व्यवस्था ठप हो चुकी है.

ऑनलाइन कारोबार में नहीं थी पारदर्शिता

मंडी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी के मुताबिक, "नाम पोर्टल ऑनलाइन कारोबार के लिए भोपाल मंडी में शुरू किया गया था. इसमें पारदर्शिता नहीं थी. किसान का माल ऑनलाइन कैसे बिक सकता है, माल की बोली कौन लगा रहा है पता ही नहीं चल पा रहा था. ई-नाम पोर्टल अच्छी व्यवस्था नहीं थी". वहीं किसान सुल्तान ने बताया कि, "ऑनलाइन कारोबार शुरू नहीं हो पाया और यह अभी भी बंद पड़ा हुआ है".

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व्यवहारिक दिक्कतें हुईं

मंडी सचिव राजेंद्र बघेल बताते हैं कि, "भोपाल मंडी में इंटरेस्ट-रेट ऑनलाइन कारोबार में तय नहीं हो पाया. इसमें व्यवहारिक दिक्कतें आईं. इसमें आगे काम किया जा रहा है. ऑनलाइन कारोबार में ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक सिस्टम बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है. आने वाले समय में ऑनलाइन कारोबार किए जाने की संभावना है".

5 साल पहले 5 करोड़ हुए थे खर्च

भोपाल की कृषि उपज मंडी को ई-मंडी बनाने में अधोसंरचना विकास, कंप्यूटराइजेशन और किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मंडी फंड से 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. यह राज्य में पहला पायलट प्रोजेक्ट था. इसके बाद राज्य की अन्य मंडियों को ऑनलाइन किए जाने की तैयारी की गई थी. अब सवाल ये है कि, ई-नाम मंडी पोर्टल के जरिए भोपाल मंडी से किसान कब अपनी फसल को ऑनलाइन बेच पाते हैं या फिर यह व्यवस्था ठप ही रहने वाली है?

Last Updated : Jun 24, 2021, 2:32 PM IST
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